चंद्र ग्रहण पर विशेष 16-17 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगा। ग्रहण वाले दिन गुरु पूर्णिमा भी है। यह ग्रहण खण्डग्रास चंद्र ग्रहण होगा। इससे अलावा इस ग्रहण में ही सावन महीने की शुरुआत भी होगी। 16 जुलाई की रात 1.31 बजे ग्रहण का स्पर्श होगा, मध्य तीन बजे व मोक्ष रात 4.30 बजे होगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में कुल मिलाकर 2 घंटे 59 मिनट होगा। चंद्र ग्रहण धनु राशि और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा।ज्योतिषीय दृष्टिकोण से लंबी अवधि तक दिखाई देने वाला यह चंद्रग्रहण भारत सहित पाकिस्तान, मध्य-एशिया और दक्षिण-अमेरिका के लिए विशेष रूप से अशुभ साबित हो सकता है। ग्रहण के समय चंद्रमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होकर धनु और मकर दोनों राशियों को प्रभावित करेंगे। अग्नि तत्व की राशि धनु के अंतिम अंशों से शुरू होकर यह चंद्रग्रहण मकर राशि के शुरुआती अंशों को पीड़ित करता हुआ बेहद तीव्र रूप से फल देने वाला होगाइस क्रम में चंद्रग्रहण के नौ घंटे पूर्व 16 जुलाई को सूतक लगने के कारण शाम 4:30 से मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियां ज्यादा हावी रहती हैं, हमारे ज्योतिष शास्त्रों ने चंद्रमा को चौथे घर का कारक माना है. यह कर्क राशी का स्वामी है. चन्द्र ग्रह से वाहन का सुख सम्पति का सुख विशेष रूप से माता और दादी का सुख और घर का रूपया पैसा और मकान आदि सुख देखा जाता है. जन्म कुंडली में यदि चन्द्र राहू या केतु के साथ आ जाये तो वे शुभ फल नहीं देता है.ज्योतिष ने इसे चन्द्र ग्रहण माना है, यदि जन्म कुंडली में ऐसा योग हो तो चंद्रमा से सम्बंधित सभी फल नष्ट हो जाते है माता को कष्ट मिलता है घर में शांति का वातावरण नहीं रहता जमीन और मकान सम्बन्धी समस्या आती है.चन्द्र ग्रहण योग की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है,चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है,माँ के सुख में कमी आती है, कार्य को शुरू करने के बाद उसे अधूरा छोड़ देना लक्षण हैं, फोबिया,मानसिक बीमारी, डिप्रेसन ,सिज्रेफेनिया,इसी योग के कारण माने गए हैं, मिर्गी ,चक्कर व मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है. —-चन्द्र+केतु ,सूर्य+राहू ग्रहण योग बनाते है..इसी प्रकार जब चंद्रमा की युति राहु या केतु से हो जाती है तो जातक लोगों से छुपाकर अपनी दिनचर्या में काम करने लगता है . किसी पर भी विश्वास करना उसके लिए भारी हो जाता है .मन में सदा शंका लिए ऐसा जातक कभी डाक्टरों तो कभी पण्डे पुजारियों के चक्कर काटने लगता है .अपने पेट के अन्दर हर वक्त उसे जलन या वायु गोला फंसता हुआ लगता हैं .डर -घबराहट ,बेचैनी हर पल उसे घेरे रहती है .हर पल किसी अनिष्ट की आशंका से उसका ह्रदय कांपता रहता है .भावनाओं से सम्बंधित ,मनोविज्ञान से सम्बंधित ,चक्कर व अन्य किसी प्रकार के रोग इसी योग के कारण माने जाते हैं ।। कुंडली चंद्रमा यदि अधिक दूषित हो जाता है तो मिर्गी ,पागलपन ,डिप्रेसन,आत्महत्या आदि के कारकों का जन्म होने लगता हैं । चूँकि चंद्रमा भावनाओं का प्रतिनिधि ग्रह होता है .इसकी राहु से युति जातक को अपराधिक प्रवृति देने में सक्षम होती है ,विशेष रूप से ऐसे अपराध जिसमें क्षणिक उग्र मानसिकता कारक बनती है . जैसे किसी को जान से मार देना , लूटपाट करना ,बलात्कार आदि .वहीँ केतु से युति डर के साथ किये अपराधों को जन्म देती है . जैसे छोटी मोटी चोरी .ये कार्य छुप कर होते है,किन्तु पहले वाले गुनाह बस भावेश में खुले आम हो जाते हैं ,उनके लिए किसी विशेष नियम की जरुरत नहीं होती .यही भावनाओं के ग्रह चन्द्र के साथ राहु -केतु की युति का फर्क होता है मित्रों आप की कुंडली में भी चंद्र ग्रहण दोष है तो आप मुझसे या किसी अच्छै astrologer से मिलकर कल उपाय करें यह आपके लिए यह बेस्ट रहेगा