Ravinder Pareek
11th Sep 2020घाघ-भड्डरी की वर्षा संबंधी व लोकप्रिय कहावतें
💥चैते गुड़ बैसाखे तेल,
जेठ मे पंथ आषाढ़ में बेल।
सावन साग न भादों दही,
क्वारें दूध न कातिक मही।
मगह न जारा पूष घना,
माघेै मिश्री फागुन चना।
👳♀घाघ! कहते हैं, चैत (मार्च-अप्रेल) में गुड़, वैशाख (अप्रैल-मई) में तेल, जेठ (मई-जून) में यात्रा, आषाढ़ (जून-जौलाई) में बेल, सावन (जौलाई-अगस्त) में हरे साग, भादों (अगस्त-सितम्बर) में दही, क्वार (सितम्बर-अक्तूबर) में दूध, कार्तिक (अक्तूबर-नवम्बर) में मट्ठा, अगहन (नवम्बर-दिसम्बर) में जीरा, पूस (दिसम्बर-जनवरी) में धनियां, माघ (जनवरी-फरवरी) में मिश्री, फागुन (फरवरी-मार्च) में चने खाना हानिप्रद होता है।
💥जाको मारा चाहिए
बिन मारे बिन घाव।
वाको यही बताइये घुइया पूरी खाव।।
👳♀घाघ! कहते हैं, यदि किसी से शत्रुता हो तो उसे अरबी की सब्जी व पूडी खाने की सलाह दो। इसके लगातार सेवन से उसे कब्ज की बीमारी हो जायेगी और वह शीघ्र ही मरने योग्य हो जायेगा।
💥पहिले जागै पहिले सौवे,
जो वह सोचे वही होवै।
👳♀घाघ! कहते हैं, रात्रि मे जल्दी सोने से और प्रातःकाल जल्दी उठने से बुध्दि तीव्र होती है। यानि विचार शक्ति बढ़ जाती है।
💥प्रातःकाल खटिया से उठि के
पिये तुरन्ते पानी।
वाके घर मा वैद ना आवे
बात घाघ के जानी।।
👱🏽भड्डरी! लिखते हैं, प्रातः काल उठते ही, जल पीकर शौच जाने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है, उसे डाक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
💥सावन हरैं भादों चीता,
क्वार मास गुड़ खाहू मीता।
कातिक मूली अगहन तेल,
पूस में करे दूध सो मेल
माघ मास घी खिचरी खाय,
फागुन उठि के प्रातः नहाय।
चैत मास में नीम सेवती,
बैसाखहि में खाय बसमती।
जैठ मास जो दिन में सोवे,
ताको जुर अषाढ़ में रोवे
👱🏽भड्डरी! लिखते हैं, सावन में हरै का सेवन, भाद्रपद में चीता का सेवन, क्वार में गुड़, कार्तिक मास में मूली, अगहन में तेल, पूस में दूध, माघ में खिचड़ी, फाल्गुन में प्रातःकाल स्नान, चैत में नीम, वैशाख में चावल खाने और जेठ के महीने में दोपहर में सोने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है, उसे ज्वर नहीं आता।
💥कांटा बुरा करील का,
औ बदरी का घाम।
सौत बुरी है चून को,
और साझे का काम।।
👳♀घाघ! कहते हैं, करील का कांटा, बदली की धूप, सौत चून की भी, और साझे का काम बुरा होता है।
💥बिन बेलन खेती करै,
बिन भैयन के रार।
बिन महरारू घर करै,
चैदह साख गवांर।।
👱🏽भड्डरी! लिखते हैं, जो मनुष्य बिना बैलों के खेती करता है, बिना भाइयों के झगड़ा या कोर्ट कचहरी करता है और बिना स्त्री के गृहस्थी का सुख पाना चाहता है, वह वज्र मूर्ख है।
💥ताका भैंसा गादरबैल,
नारि कुलच्छनि बालक छैल।
इनसे बांचे चातुर लौग,
राजहि त्याग करत हं जौग।।
👳♀घाघ! लिखते हैं, तिरछी दृष्टि से देखने वाला भैंसा, बैठने वाला बैल, कुलक्षणी स्त्री और विलासी पुत्र दुखदाई हैं। चतुर मनुष्य राज्य त्याग कर सन्यास लेना पसन्द करते हैं, परन्तु इनके साथ रहना पसन्द नहीं करते।
💥जाकी छाती न एकौ बार,
उनसे सब रहियौ हुशियार।
👳♀घाघ! कहते हैं, जिस मनुष्य की छाती पर एक भी बाल नहीं हो, उससे सावधान रहना चाहिए। क्योंकि वह कठोर ह्दय, क्रोधी व कपटी हो सकता है। ‘‘मुख-सामुद्रिक‘‘ के ग्रन्थ भी घाघ की उपरोक्त बात की पुष्टि करते हैं।
💥खेती पाती बीनती,
और घोड़े की तंग।
अपने हाथ संभारिये,
लाख लोग हों संग।।
👳♀घाघ! कहते हैं, खेती, प्रार्थना पत्र, तथा घोड़े के तंग को अपने हाथ से ठीक करना चाहिए किसी दूसरे पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
💥जबहि तबहि डंडै करै,
ताल नहाय, ओस में परै।
दैव न मारै आपै मरैं।
👱🏽भड्डरी! लिखते हैं, जो पुरूष कभी-कभी व्यायाम करता हैं, ताल में स्नान करता हैं और ओस में सोता है, उसे भगवान नहीं मरता, वह तो स्वयं मरने की तैयारी कर रहा है।
💥विप्र टहलुआ अजा धन
और कन्या की बाढि।
इतने से न धन घटे
तो करैं बड़ेन सों रारि।।
👳♀घाघ! कहते हैं, ब्र्राह्मण को सेवक रखना, बकरियों का धन, अधिक कन्यायें उत्पन्न होने पर भी, यदि धन न घट सकें तो बड़े लोगों से झगड़ा मोल ले, धन अवश्य घट जायेगा।
💥औझा कमिया, वैद किसान।
आडू बैल और खेत मसान।
👱🏽भड्डरी! लिखते हैं, नौकरी करने वाला औझा, खेती का काम करने वाला वैद्य, बिना बधिया किया हुआ बैल और मरघट के पास का खेत हानिकारक है।😀
भविष्यवाणियों के रूप में गुंथी हुई वर्षा संबंधी कुछ कहावतें प्रस्तुत हैं-
घाघ-भड्डरी की वर्षा संबंधी कहावतें
आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान।
कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान-पिसान।।
अर्थात आर्द्रा नक्षत्र के आरंभ और हस्त नक्षत्र के अंत में वर्षा न हुई तो घाघ कवि अपनी स्त्री को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ऐसी दशा में किसान पिस जाता है अर्थात बर्बाद हो जाता है।
आसाढ़ी पूनो दिना, गाज, बीज बरसन्त।
नासै लक्षण काल का, आनन्द माने सन्त।।
अर्थात आषाढ़ माह की पूर्णमासी को यदि आकाश में बादल गरजे और बिजली चमके तो वर्षा अधिक होगी और अकाल समाप्त हो जाएगा तथा सज्जन आनंदित होंगे।
उत्तर चमकै बीजली, पूरब बहै जु बाव।घाघ कहै सुनु घाघिनी, बरधा भीतर लाव।।
अर्थात यदि उत्तर दिशा में बिजली चमकती हो और पुरवा हवा बह रही हो तो घाघ अपनी स्त्री से कहते हैं कि बैलों को घर के अंदर बांध लो, वर्षा शीघ्र होने वाली है। उलटे गिरगिट ऊंचे चढ़ै। बरखा होई भूइं जल बुड़ै।।
अर्थात यदि गिरगिट उलटा पेड़ पर चढ़े तो वर्षा इतनी अधिक होगी कि धरती पर जल ही जल दिखेगा।
करिया बादर जीउ डरवावै। भूरा बादर नाचत मयूर पानी लावै।।
अर्थात आसमान में यदि घनघोर काले बादल छाए हैं तो तेज वर्षा का भय उत्पन्न होगा, लेकिन पानी बरसने के आसार नहीं होंगे। परंतु यदि बादल भूरे हैं व मोर थिरक उठे तो समझो पानी निश्चित रूप से बरसेगा।
चमके पच्छिम उत्तर कोर। तब जान्यो पानी है जो।।
अर्थात जब पश्चिम और उत्तर के कोने पर बिजली चमके, तब समझ लेना चाहिए कि वर्षा तेज होने वाली है।
चैत मास दसमी खड़ा, जो कहुं कोरा जाइ।
चौमासे भर बादला, भली भांति बरसाइ।।
अर्थात चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को यदि आसमान में बादल नहीं है तो यह मान लेना चाहिए कि इस वर्ष चौमासे में बरसात अच्छी होगी।
जब बरखा चित्रा में होय। सगरी खेती जावै खोय।।
अर्थात यदि चित्रा नक्षत्र में वर्षा होती है तो संपूर्ण खेती नष्ट हो जाती है। इसलिए कहा जाता है कि चित्रा नक्षत्र की वर्षा ठीक नहीं होती।
माघ में बादर लाल घिरै। तब जान्यो सांचो पथरा परै।।
अर्थात यदि माघ के महीने में लाल रंग के बादल दिखाई पड़ें तो ओले अवश्य गिरेंगे। तात्पर्य यह है कि यदि माघ के महीने में आसमान में लाल रंग दिखाई दे तो ओले गिरने के लक्षण हैं।
रोहनी बरसे मृग तपे, कुछ दिन आर्द्रा जाय।
कहे घाघ सुनु घाघिनी, स्वान भात नहिं खाय।।
अर्थात घाघ कहते हैं कि हे घाघिन! यदि रोहिणी नक्षत्र में पानी बरसे और मृगशिरा तपे और आर्द्रा के भी कुछ दिन बीत जाने पर वर्षा हो तो पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाते-खाते ऊब जाएंगे और भात नहीं खाएंगे।
सावन केरे प्रथम दिन, उवत न दीखै भान।
चार महीना बरसै पानी, याको है परमान।।
अर्थात यदि सावन के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को आसमान में बादल छाए रहें और प्रात:काल सूर्य के दर्शन न हों तो निश्चय ही 4 महीने तक जोरदार वर्षा होगी।
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Chander Mukhi Nice sir ji
Chander Mukhi Nice sir jo
Chander Mukhi Good sir ji
Suman Sharma good knowledge
very good knowledge
very nice article by Astro Ravi ji
घाघ-भड्डरी की वर्षा संबंधी व लोकप्रिय कहावतें
madan mohan very nice article by Astro Ravinder ji
बहुत महत्वपूर्ण ज्ञान