चंद्रमा और शनि की युति :विष योग। by astro pramod tripathi
Shareकिसी भी कुंडली चंद्रमा और शनि की युति से विष योग का निर्माण होता हैं।प्रत्येक भाव इसका फल इस प्रकार हैं। 1 प्रथम भाव मे इस योग का निर्माण होने से जातक के लिए प्राणघातक सिद्ध होता है।लेकिन अन्य योग प्रबल हो तो जीवन को शक्ति मिलती हैं। 2दुसरे भाव मे यह योग हो तो माता को कष्ट होता हैं। 3 तीसरे भाव मे यह योग हो तो संतान के लिए घातक होता हैं। 4 चौथे भवनों जातक शूरवीर शत्रु हन्ता होता हैं। 5 पाचवे भाव मे हो तो जीवन साथी अच्छा मिलने के बाद वैवाहिक जीवन मे अधूरापन रहता हैं 6 छठे भाव मे जातक रोगी होता है। 7 सप्तम भाव मे हो तो जातक धार्मिक स्वभाव का लेकिन जीवन साथी को कष्ट तथा बहु पत्नी योग भी बनाता हैं। 8 आठवे भाव मे जातक को दानवीर बनाता हैं। 9नवे भाव मे यह योग जातक धार्मिक लंबी यात्रा करता है। 10 ,दसवे भाव मे यह योग जातक को महाकंजूस होता हैं। 11 एकादश भाव मे यह योग शारीरिक पीड़ा धर्म से विमुख नास्तिक व कष्ट पाता है। 12 बारहवे भाव मे इस योग के होने से जातक धर्म के नाम पर पैसा कमाता है। एस्ट्रो प्रमोद त्रिपाठी