Atma ki yatra and astrology
ShareCLass date 18-1-2017
कल अतीत... भविष्य... और सप्तम त्रिकोण पर बात कर रहे थे.... आज उसी शृंखला को और आगे बड़ाते है...
किस प्रकार से ग्रह के alignments या स्थापना करनी है... आप लोग सीख चुके है...
पहले direction ya दिशा अनुयायी फिर डिग्री अनुसार...
आप सब ज्योतिष है.... या आगे चलकर ज्योतिष बनेंगे.... आपके पास जब भी कोई क्लाइंट आते है.... मुख्य रूपसे उसके कुछ प्रश्न होते है...
शरीर... शिक्षा... कर्म... विवाह... संतान.. धन.. गाड़ी... मकान.. आदि आदि...
प्रश्न जिस क्षेत्र पर है.... उस पॉइंट को पकड़ना है...
मानले आपके पास... कोई पुरुष आते है.. और अपको उनके बारे मे जानना है.. तो पुरुष जीवकारक गुरु पर ध्यान केंद्रित करना है....
आपके पास कोई स्त्री यदि आते है... तो स्त्री जीवकारक शुक्र को केंद्र बनाकर बिचार करना है.
यदि अपको किसी पुरुष की विवाह या स्त्री के बारे मे जानना है.. तो शुक्र पर प्रकाश डालना है...
और यदि किसी स्त्री के विवाह या पति के विषय मे विचार करना है तो मंगल पर प्रकाश डालना है...
कहने का तात्पर्य है.... हर बार अपको सम्बंधित ग्रह पर ही बिचार करना है.. Concerned planet...
मानले येअह एक पुरुष की कुंडली है... और जातक के बारे मे जानना है...
तो जीवकारक गुरु पर concentrate या ध्यान केंद्रित करना है.
गुरु सिंह मे है.. +सूर्य... अर्थात् पूरब मे
मेष +धनु मे कोई ग्रह नही
तो पूरब त्रिकोण मे - गुरु +सूर्य है..
अर्थात् जीब +अत्मा का सम्बंध है...
अब गुरु से अतीत ya 12 राशि कर्क है...
अर्थात् अतीत त्रिकोण कर्क +वृसचिक +मीन है..
तो अतीत त्रिकोण या उत्तर मे... मंगल +शुक्र +राहू (kark) +शनि (वृश्चिक) +मीन मे कोई ग्रह नही...
तो अतीत (उत्तर) मे... मंगल +शुक्र +राहू +शनि...
भविष्य, अर्थात गुरु से द्वितीय.... कन्या राशि है...
तो भविष्य त्रिकोण या दक्षिण त्रिकोण मे बुध (कन्या) +केतू (मकर) +चंद्रमा (वृष) मे है..
साथ लिखे तो भविष्य त्रिकोण (दक्षिण /south) मे - बुध +केतू +चंद्रमा.
Directional चार्ट कुछ इसप्रकर है.
अब interpretation या बख्या...
इस जातक के गुरु (जीवा) +सूर्य (आत्मा) एक है... अर्थात् जातक के जीवात्मा और परमात्मा एक साथ है...
अब इसका अतीत क्या है....?
इस जीव रूपी परमात्मा ने... मंगल (देह) +शुक्र (स्त्री /धन /Laxmi) +राहू (माया) +शनि (कर्म) को पार कर के आया है.
इसका भविष्य क्या है...?
इसका भविष्य है... बुध (बुद्धि /बुद्ध) +केतू (मोक्ष) +चंद्रमा (मन /परिवर्तन)
गुरु (जीव) +सूर्य (आत्मा) +राहू (माया)... Eak साथ है...
तो जातक के जीवात्मा परमात्मा के साथ मिला हुआ है... परंतु माया के प्रभाव मे है.
इसके अतीत मे जाए तो... येअह बुध (बुद्धि) चंद्रमा (मन) को पार करके आया है..
जीवकारक से पूरे प्रारब्ध या संचित कर्मो का लेखा सामने आजाता है.
: तो आज एक महत्पूर्ण विषय... जाना गया... की गुरु =जीव कारक और सूर्य =आत्मा यदि किसी कुंडली मे एक साथ है... तो हम उसे जीवात्मा कहेंगे. जिसमे परमात्मा की प्रकाश ज्यादा होती है.
किसी भी.. सच्चे अध्यात्मिक व्यक्ति के कुंडली मे... गुरु +सूर्य के सम्बंध अर्थात् जीव +अत्मा के एक ही त्रिकोण मे हिना स्वाभाविक है.
http://www.futurestudyonline.com/astro-details/47