सूर्यग्रहण के चलते पंच दिवसीय दीपोत्सव इसबार 6 दिन का
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*सूर्यग्रहण के चलते पंच दिवसीय दीपोत्सव इसबार 6 दिन का*
धनतेरस/धनवंतरी जयंती कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को मनाई जाती है, इसबार 22 अक्टूबर शाम 06:02 से 23 अक्टूबर शाम 06:03 रहेगी धनतेरस। ऐसी स्थिति में दो दिन होगी धन वर्षा, दो दिन बन रहे शुभसंयोग।
धनत्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इसदिन को धनतेरस के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन वैभव देने वाली त्रयोदशी का विशेष महत्व माना जाता है। धनवंतरी को प्रिय धातु पीतल बर्तन व गहने आदि खरीदना शुभ माना जाता है, विशेषता धनवंतरी आयुर्वेद के प्रतीक माने जाते हैं इसदिन आमला व हल्दी की पूजा करने का महत्व है। प्रदोषकाल में घर के बाहर यमदीप चौमुखा या पंचमुखी दीपक जलाने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। शहर के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार *खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त* 22 अक्टूबर शनिप्रदोष त्रिपुष्कर योग में लाभ,अमृत चौघड़िया दोपहर 01:32 से 04:22 तक, प्रदोषकाल 05:46 से 07:22 धनलक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा।
लेकिन 23 अक्टूबर रविवार अमृतसिद्धि योग होने से खरीदी के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त,
प्रात:09:18 से 12:30 दोपहर 01:32 से 02:57 तक,शाम 05:46 से रात्रि 08:57 तक शुभ समय रहेगा।
*रूप चौदस /नरक चतुर्दशी* कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी रविवार 23 अक्टूबर शाम 06:03 से 24 अक्टूबर शाम 05:26 तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार,
छोटी दीवाली शाम 06:03 के बाद मना सकते है, दीपदान आदि कर सकते है।
लेकिन अभ्यंग स्नान 24 अक्टूबर को प्रातःकाल ही हो सकेंगे क्योंकि चतुर्दशी उषाकाल में चंद्रोदय सोमवार को ही होंगे, चंद्रोदय के समय अभ्यंग स्नान करने का महत्व है। जल में अपामार्ग की जड़ व पत्तों से अरुणोदय प्रात: काल में चंद्र की किरणों में स्नान करने से रूप में निखारता आती है। मान्यता के अनुसार इसीलिए रूप चौदस के नाम से जाना जाता है। चंद्रोदय 24 अक्टूबर प्रातः 06:08 पर होगा।
*दीवाली महालक्ष्मी पूजन* कार्तिक कृष्ण अमावस्या सोमवार 24 अक्टूबर को दीपावली पूजन का मुख्य प्रदोषकाल में विशेष महत्व होता है। जिसमें स्थिर लग्न की प्रधानता होती है स्वाति नक्षत्र का योग भी प्रशस्त होता है। "महाविद्याक्षरा ज्योतिष संस्थान" के अनुसार ज्योतिषीय गणना में सातवां भाव पत्नीभाव है, जिसे हम लक्ष्मी भाव कहते हैं। सातवीं राशि में सूर्य और चंद्र का मिलन तुला राशि में ही त्यौहार होता है।दीप जलाते हैं, घर में रोशनी करते हैं, यह तभी करते हैं जब सूर्य सप्तम भाव में आते हैं। अतः दीपों का जलाना ही दीपावली है।
*दीवाली पूजन मुहूर्त* ज्योतिषाचार्य के अनुसार रेवाड़ी स्टैंडर्ड समयानुसार
दिवाकाल,प्रात:09:18 से 10:43, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:45 से 12:30,
दोपहर,01:32 से शाम05:46, प्रदोषकाल शाम 05:46 से 08:18, सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त वृषलग्न 6:58 से 8:54तक।
लाभ चौघड़िया रात्रि 10:32 से 00:07 तक, निशिथकाल रात्रि 11: 42 से 00:33 तक
रात्रि सिंहलग्न 01:29 से 03:46 श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा।
विशेष पूजन गणेश, इंद्र, कुबेर सहित महालक्ष्मी पूजन संपन्न होगा।।
*25 अक्टूबर मंगलवार अमावस्या को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। इसका सूतक प्रात:04:29 से प्रारंभ हो जाएगा,शाम 04:29 से ग्रहण शुरू होकर सूर्यास्त पर समाप्त हो जायेगा। तुलाराशि में होने वाला यह ग्रहण स्वाति नक्षत्र वालों के लिए, रोग_ पीड़ा कष्टकारी रहेगा* अतः प्रतिष्ठित व्यक्ति, सैन्य अधिकारियों के लिए, कष्ट पीड़ा, राजा और मंत्रियों में फूट, चोरों तथा अग्नि का उपद्रव, राजा और प्रजा का अधर्म, परस्पर मित्रों में वैरभाव होगा।
भगवान सूर्य की आराधना के साथ महामृत्युंजय का जाप तथा गेहूं का दान करना लाभप्रद रहेगा सूर्य ग्रहण कभी भी देखना नहीं चाहिए और खुली आंखों से तो बिल्कुल भी नहीं अन्यथा इसके दुष्प्रभाव नेतृत्व में सामने आते हैं गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधानी रखना चाहिए।
*महाविद्याक्षरा ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री* ने बताया है।
सूर्य आत्मा है। आत्मा पर जब राहु का प्रभाव रहेगा तो, जीवन के सामने संकट खड़ा होता है, आत्मा तो प्रत्येक जीव में होती है। इसलिए सूर्य ग्रहण अधिक प्रभावी होता है। वह भी सूर्य जिस नक्षत्र के चरण में होगा, उस नक्षत्र चरण वाले (रू) अक्षर वाले *व्यक्ति, देश, शहर, गांव को प्रभावित करेगा, स्वाति नक्षत्र व तुला,राशि को प्रभावित करेगा।* क्योकिं वह नक्षत्र का फल दे रहा है। सूतक 12 घंटे पहले मान्य होंगे। *ग्रहण काल में जपनीय मन्त्र*-- ॐ घृणि सर्याय नमः, आदित्य हृदय स्तोत्र , गायत्रीमंत्र,महामृत्युंजय आदि। अथर्वेद-- कांड19, सूक्त9, मन्त्र-10 शं ग्रहाश्चान्द्रमसा: शभा दित्य श्च राहुणा।शं नो मृत्युरधुमकेतु: श रुद्रास्तिगमतेजस:।। अर्थात-चन्द्र मण्डल के ग्रह, राहु से ग्रस्त सूर्य, धूमकेतु का अनिष्ट और रुद्र के तीक्ष्ण कष्ट देने वाले उपद्रव शांति प्रद हो। सूर्य ग्रहण हमें शांति दे, समृद्धि दे, हमे आनन्द दे, व सभी अनिष्टों को शांत करें।
*गोवर्धन पूजा/ अन्नकूट* कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा बुधवार 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी। यह गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण व गोवर्धन पर्वत को समर्पित है, इसदिन गोबर के गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा गंध,अक्षत,पुष्प,धूप,दीप, नैवेद्य 56 भोग लगाकर की जाती है। पूजा के बाद गोवर्धन की सात परिक्रमा लगाने का विधान है।
भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्र का मान मर्दन करके ब्रज वासियों की रक्षा की थी। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है।
*भैया दूज /यम द्वितीया* कार्तिक शुक्ल द्वितीया गुरुवार
27 अक्टूबर को भाईदूज या यम द्वितीया है, इसदिन चित्रगुप्त पूजन भी होता है। मान्यता के अनुसार यमी ने अपने भाई यम को बुलाकर तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना करती है व भोजन कराती है। यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार पंचपर्व दीपोत्सव 6 दिन में होंगे।
"ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री"
"महाविद्याक्षरा ज्योतिष संस्थान"
धारूहेड़ा चुंगी रेवाड़ी।