2019 में घटित होने वाला तीसरा सूर्य ग्रहण
Shareइस साल का तीसरा सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 को घटित होगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जो गुरुवार की सुबह 08:17 से 10:57 बजे तक रहेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत सहित पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। इस वर्ष का यह एक मात्र सूर्य ग्रहण है जो भारत में दृश्य होगा, इसलिए यहाँ पर ग्रहण का सूतक मान्य होगा। ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में लग रहा है, इसलिए इस राशि और नक्षत्र से संबंधित जातकों को सावधान रहने की आवश्यकता होगी। 26 दिसंबर 2019 को घटित होने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक काल 25 दिसंबर 2019 अर्थात ग्रहण के एक दिन पूर्व, संध्या को 5:33से प्रारंभ हो जाएगा आप अपना भोजन सूतक काल से पहले खाएं और पकाएं उसके बाद में ना खाना ना पकाना है ग्रहण का स्पर्श काल अर्थात जब पूरा ग्रहण शुरू हो जाएगा वह 26 दिसंबर की सुबह 8:17 से होगा ग्रहण का मोक्ष काल यानी समाप्ति 26 दिसंबर को सुबह 10:57 बजे सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद समाप्त होगा। सूतक काल के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। सूतक काल एक अशुभ समय है इसलिए इस दौरान कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें नहीं करना चाहिए। जैसे :- किसी नये कार्य का शुभारंभ न करें भोजन बनाना और खाना वर्जित है! ग्रहण के दौरान मनुष्य की पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है इसलिए इस दौरान खाया गया भोजन आसानी से नहीं पचता है और व्यक्ति अपच का शिकार होता है। मल-मूत्र और शौच जाने से बचें देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श न करें दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी आदि न करें घर से बाहर न निकलें ग्रहण को न देखें सिलाई एवं कढ़ाई का काम न करें सब्जी काटने और छीलने से बचें सुई व चाकू का प्रयोग न करें ग्रहण के दौरान कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें करना चाहिए। संध्या, भजन, ईश्वर की आराधना और व्यायाम करें सूर्य संबंधित मंत्रों का उच्चारण करें ग्रहण समाप्ति के बाद घर की शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव करें ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें देवी-देवताओं की मूर्तियों को गंगा जल से शुद्ध करें और उनकी पूजा करें सूतक काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन बनाएँ और ग्रहण करें! मूल नक्षत्र में ग्रहण है इस लिए व्यक्ति को अपनी माता, पत्नी, बहन, बुआ व पुत्री को मान सम्मान देकर आशीर्वाद व शुभकामनाएं लेनी चाहिएे जिससे जीवन में सहजता आएगी। सूर्य ग्रहण के दौरान इस मंत्र का जाप करें "ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ”! सूर्य ग्रहण से संबंधित तथ्य सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के मध्य से होकर गुजरता है तो इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस स्थिति में चंद्रमा की छाया सूर्य पर पड़ती है। आंशिक सूर्य ग्रहण - जब सूर्य का कुछ भाग चंद्रमा की छाया से ढक जाता है तो इस स्थिति को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण - जब सूर्य पूरी तरह चंद्रमा की छाया से ढक जाता है तो इस स्थिति को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा सूर्य के बीचो बीच अपनी छाया डालता है और सूर्य का बाहरी क्षेत्र प्रकाशित होता है तो इस स्थित में सूर्य वलय या कंगन के रूप में चमकता है। सूर्य ग्रहण पर सभी धार्मिक मत पूजा-पाठ,जप-तप, स्नान-ध्यान, दान-पुण्य करने का विशेष महत्व बताते हैं। दूसरी तरफ ग्रहण के दौरान सभी मन्दिरों व पूजा स्थानों को बन्द करने की परम्परा है। जिज्ञासु मन का प्रश्न करना स्वाभाविक है कि जब मन्दिर बन्द ही कर दिये तो उक्त पूजा-पाठ, जप-तप, स्नान-ध्यान, दान-पुण्य का महत्व कैसे ? इस सन्दर्भ में कुछ विद्वानों का मत है कि पूजा-पाठ, जप-तप, स्नान-ध्यान, दान-पुण्य मंदिरों में ना करके अन्य स्थानों पर करें।धार्मिक ग्रन्थों में ग्रहण पर पूजा आदि का विशेष महत्व तो मिलता है लेकिन मन्दिरों के कपाट बन्द करने की परम्परा का कोई नियम नहीं पाया गया। यह प्रथा अभी कुछ वर्षो से ही प्रारम्भ हुई है। इस दौरान किसी भी स्थान पर बैठ कर पूजा-पाठ, जप-तप, स्नान-ध्यान, दान-पुण्य करने से अन्य दिनो मे की गई भक्ति से 10 गुना फल मिलता है।तीर्थ तट पर किया गया यह कार्य 100 गुना फल देता है।🙏🙏🙏
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