गुरु का धनु में गोचर का प्रभाव
Shareबृहस्पति का धनु राशि में गोचर का राशि अनुसार प्रभाव भारतीय वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों में बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना गया है और ग्रहों के मंत्रिमंडल में इन्हें मंत्री का पद भी प्राप्त है। ये नैसर्गिक रूप से सब से शुभ ग्रह माने जाते हैं।
गुरु ग्रह विवेक - बुद्धि, आध्यात्मिक व् शास्त्र ज्ञान, विद्या, पारलौकिकता, धन, न्याय, पति का सुख (स्त्री की कुंडली में), पुत्र संतति, बड़ा भाई, देव-ब्राह्मण, भक्ति, मंत्री, पौत्र, पितामह, परमार्थ, एवं धर्म के कारक माने जाते है। इसके अतिरिक्त परोपकार, मन्त्र विद्या, वेदांत ज्ञान, उदारता, जितेन्द्रियता, स्वास्थ्य, श्रवण शक्ति, सिद्धान्तवादिता, उच्चाभिलाषी, पांडित्य, श्रेष्ठ गुण, विनम्रता, वाहन सुख, सुवर्ण, कांस्य, घी, चने, गेंहू, पीत वर्ण के फल, धनिया, जौ, हल्दी, प्याज-लहसुन, ऊन, मोम, पुखराज, आदि का विचार भी किया जाता है। मनुष्य शरीर में चर्बी, कमर से जंघा तक, ह्रदय, कोष संबंधी, कान, कब्ज एवं जिगर संबंदी रोगों का विचार भी गुरु से किया जाता है। कुंडली में गुरु यदि अशुभ राशि में अथवा अशुभ दृष्टि में हो तो उपरोक्त शरीर के अंगों में रोग की संभावनाएं रहती है। इसके अतिरिक्त गुरु अशुभ होने की स्थिति में पैतृक सुख-सम्पति में कमी, नास्तिकता, संतान को या से कष्ट, उच्चविद्या में बाधा एवं असफलता एवं लड़को के विवाह में अड़चने आना जैसे अशुभ फल होते है। गुरु और शुक्र दोनों शुभ ग्रह है परंतु गुरु से पारलौकिक एवं आध्यात्मिक एवं शुक्र से सांसारिक एवं व्यवहारिक सुख अनुभूतियों का विचार किया जाता है। गुरुदेव बृहस्पति का कुंडली पर प्रभाव 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ कुंडली में बृहस्पति की अनुकूल स्थिति व्यक्ति को मान सम्मान और ज्ञान प्रदान करती है तथा व्यक्ति को धन की प्राप्ति भी अच्छी मात्रा में होती है। संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी बृहस्पति की मजबूत स्थिति को देखा जाता है। वहीं दूसरी ओर गुरु बृहस्पति जब इसके विपरीत अवस्था में होते हैं तो इन सभी कारकों में कमी आने की संभावना बढ़ जाती है। यह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क राशि में उच्च तथा मकर राशि में नीच अवस्था में माने जाते हैं। कुंडली में चंद्रमा लग्न पर बृहस्पति की दृष्टि अमृत समान मानी जाती है। अगर कुंडली में बृहस्पति की स्थिति अनुकूल नहीं है तो आपको बृहस्पति ग्रह की शांति के उपाय करने पड़ते है। बृहस्पति गोचर का समय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ गुरु देव बृहस्पति ग्रह 5 नवंबर 2019, मंगलवार प्रातः 5 बजकर 20मिनट पर अपनी राशि धनु में प्रवेश करेंगे और 29 मार्च 2020, रविवार रात्रि 7 बजकर 05 मिनट तक इसी राशि में स्थित रहेंगे। गुरु बृहस्पति के इस राशि परिवर्तन का शुभाशुभ प्रभाव सभी 12 राशियों पर होगा। गुरु के गोचर का राशि अनुसार फल 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ) बृहस्पति मेष राशि में नवम भाव के स्वामी होने के साथ द्वादश भाव के भी स्वामी हैं। शुभ ग्रह बृहस्पति आपकी राशि से नवम भाव में गोचर करेंगे। इस गोचर के फलस्वरूप आपको पूर्व में किये शुभ कर्मों का फल अवश्य मिलेगा, नौकरी करने वाले जातकों को उन्नति मिलने की संभावना रहेगी। अपना कारोबार करने वाले जातकों को भी इस अवधि में अटके कार्य पूर्ण होने के साथ नए कार्यो में भी सफलता मिलने की संभावना बढ़ेगी। दाम्पत्य जीवन मे भी पुरानी कड़वाहट में कमी आने से आपसी प्रेम और विश्वास में वृद्धि होगी। निसंतान दंपतियों को संतान सुख भी मिल सकता है। नौकरी करने वाले व्यवसायी या गृहणी सभी के लिये यह समय बीते दिनों से बेहतर रहने वाला है। इस अवधि में आपकी आर्थिक योजनाए सफल हो सकती है आय के नए साधन भी बनेंगे लेकिन प्रयास करने पर ही। धर्म कर्म के प्रति आस्था बढ़ेगी तीर्थ यात्राओं एवं दान पुण्य पर खर्च भी करेंगे।
यह गोचर मेष राशि जातको के माता - पिता के लिए भी लाभदायक होगा, जिस किसी भी जातक के माता पिता अथवा अन्य सेज संबंधी सरकारी क्षेत्र से जुड़े है उन्हें इस अवधि में अवश्य की कुछ ना कुछ लाभ होगा साथ ही जिम्मेदारियां भी बढ़ेंगी। उपाय: अनाथ आश्रम अथवा अंध विद्यालय में पीला अन्न दान करें।
वृषभ 🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) देव गुरु बृहस्पति का गोचर वृषभ राशि से अष्टम भाव में हो रहा है। इस भाव को आयु-मृत्यु एवं पुरातत्त्व भाव भी कहते है। यह भाव जीवन में अचानक आने वाले उतार चढ़ावों और शुभाशुभ घटनाओं के बारे में संकेत देता है। बृहस्पति का गोचर इस भाव मे होने से इस राशि के जातकों को दैनिक जीवन मे काफी उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा। इस गोचर काल में कोई दुखद समाचार मिलने से आपका मन व्यथित हो सकता है। अनचाही खर्चीली यात्राएं इस अवधि में परेशान करेंगी। सेहत में भी विकार आने की सम्भवना रहेगी। धन का संचय होने की जगह अपव्यय होने के आसार ज्यादा रहेंगे। इस आवधिक में कर्ज में भी बढ़ोतरी हो सकती है। नौकरी पेशा और व्यवसायी दोनो के लिए यह समय आशानुकूल नहीं रहेगा धन एवं सुख पाने के लिये अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ेगा। लेकिन दाम्पत्य जीवन मे इस गोचर का ज्यादा बुरा प्रभाव नही पड़ेगा पति पत्नी के बीच आपसी तालमेल और प्रेम में वृद्धि होगी छोटी मोटी कहासुनी को अनदेखा करें। उपाय👉 सफेद रंग के बैल अथवा असहाय लोगो को प्रतिदिन सामर्थ्य अनुसार कुछ ना कुछ सेवा करें।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा) बृहस्पति मिथुन राशि के सप्तम और दशम भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति का गोचर इस राशि से सातवे भाव मे हो रहा है। कुंडली का सप्तम भाव विवाह और व्यावसायिक साझेदारी और नौकरी का प्रतिनिधित्व करता है। गुरु का यह गोचर आपके वैवाहिक जीवन में प्रगाढ़ता लाएगा इस अवधि में पति-पत्नी एक दुसरे को अधिक सहयोग करेंगे। लंबी पर्यटन की इच्छा वाले जातकों की कामना इस अवधि में पूरी हो सकती है। नौकरी करने वालो को उन्नति के अवसर मिलेंगे। व्यवसायी वर्ग को भी कारोबार में वृद्धि करने के अवसर उपलब्ध होंगे। आर्थिक रूप से यह समय बीते कुछ दिनों से बेहतर रहने वाला है लेकिन इसके लिये आपको योजना बनाकर कार्य करना पड़ेगा। वाणी में नरमी रहने से दुर्लभ कार्य भी सुलभ बनेंगे। सामाजिक छवि में सुधार होगा। इस अवधि में आपका कोई गहरा राज खुलने पर कुछ समय के लिये बदनामी भी हो सकती है सतर्क रहें। नए कार्य मे निवेश लाभदायक रहेगा। उपाय👉 निर्धन लोगो को गर्म ऊनि वस्त्र दान करें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो) बृहस्पति का गोचर कर्क राशि से छठे भाव में होगा। कुंडली का छठा भाव रोग एवं शत्रु का प्रतिनिधित्व करता है। मामा पक्ष भी इसी भाव से विचार किया जाता है। गुरु का छठा गोचर शारीरिक एवं व्यवहारिक रूप से आपके लिए अशुभ फलदायक रहेगा। इस अवधि में पेट संबंधित समस्या प्रबल रहेगी। खान पान का विशेष ध्यान रहना पड़ेगा। मादक वस्तुओ के सेवन से दूरी बना कर रखे अन्यथा शारीरिक, आर्थिक और चारित्रिक हानि होने निश्चित है। कार्य क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र पर अनचाहे शत्रु बनेंगे। इस अवधि में व्यवहारिकता से काम लेना जरूरी है। घर मे भी कुटुम्बी जन से मामूली बात कर बेवजह की बहस होगी। जहां कोई राह ना दिखे वहां मौन होकर काम निकालना बेहतर रहेगा। व्यवसाय में भी इस अवधि में धोखा या ठगी के कारण हानि हो सकती है। पुश्तैनी कार्यो में सबको साथ लेकर चले। प्रतियोगी परीक्षा देने वालो एवं विद्यार्थी वर्ग के लिये यह समय अनुकूल रहेगा। उपाय👉 पीली गाय को प्रतिदिन गुड़ चना और रोटी खिलाये। गुरु से मिले मंत्र का अधिक से अधिक जप करें।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे) सिंह राशि से पंचम भाव मे बृहस्पति का गोचर इन जातको के लिये लाभदायक रहेगा। इस अवधि में इन जातकों की विद्या बुद्धि में सुधार आएगा। बुद्धि के बल पर सामाजिक क्षेत्र पर लाभदायक संबंध बनाएंगे ये निकट भविष्य में आपके लिये सहयोगी बनेंगे। गुरु का पंचम गोचर जातक को आध्यात्म से जोड़ता है इसलिये इस अवधि में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यो को जानने में रुचि लेंगे। मन्त्र, तंत्र, जप आदि के लिये समय देंगे। आध्यात्मिक क्षत्र से जुड़े जातको के लिये यह गोचर विशेष फलदायी रहेगा। किसी विशेष विषय साधना आदि मे सफलता मिल सकती है। आर्थिक रूप से यह समय ज्यादा प्रभाव नही दिखा पायेगा फिर भी इस अवधि में आपके अचल संपत्ति या वाहन आदि की खरीद में निवेश करने की संभावना है। नौकरी पेशा एवं व्यवसायी वर्ग दोनो में आत्मसंतुष्टि की भावना बढ़ने से आर्थिक मामलों को ज्यादा गंभीरता से नही लेंगे। उपाय👉 सप्ताह में कम से कम 3 दिन विकलांगो को भोजन सामग्री दान करना शुभ रहेगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो) बृहस्पति का गोचर कन्या राशि से चतुर्थ भाव में होगा। कन्या राशि मे बृहस्पति चतुर्थ और सप्तम भाव के भी स्वामी हैं। चौथे भाव को सुख भाव और सप्तम भाव को स्त्री, विवाह और व्यावसायिक सांझेदारी का भाव कहा जाता है। चौथे भाव का संबंध माता और भूमि भवन से होने के कारण चतुर्थ भाव में गुरु के गोचर फलस्वरूप इन जातको इस अवधि में माता तथा भूमि भवन संबंधित समस्याएं पनपेगी। माता-पिता एवं इनके तुल्य लोगो से के साथ संबंध बिगड़ सकते है। दाम्पत्य जीवन मे भी कड़वाहट आने की संभावना है। इस अवधि में सरकार संबंधित कार्य कुछ प्रयास के बाद पूर्ण हो जाएंगे लेकिन अचल संपत्ति में धन का निवेश करने से बचें। नौकरी व्यवसाय में बीच बीच मे कुछ मुश्किलें बनेगी परन्तु इनका हल भी स्वतः ही हो जाएगा। भाई बंधुओ से ईर्ष्या युक्त संबंध बनेंगे। लेकिन इस अवधि में धर्म कर्म में रुचि बढ़ेगी। परोपकार करने में पीछे नही हटेंगे इसका परिणाम शुभ फलों के रूप में आने वाले समय मे देखने को मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग के लिये यह समय परेशानी खड़ा करेगा पढ़ने में आलस्य करेंगे याद भी कठिनाई से होगा। उपाय👉 गाय को नित्य हरा चारा खिलाये, जरूरतमंदो की यथा सामर्थ्य सहायता करें। हनुमान जी की उपासना करें।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते) गुरु का गोचर तुला राशि से तृतीय भाव में होगा। तुला राशि मे गुरु तीसरे और आठवे भाव के स्वामी है। पराक्रम भाव पर गुरु का गोचर होने से स्वभाव में आलस्य बढेगा। कोई भी कार्य करने का मन नही करेगा करेंगे भी तब जब अन्य कोई विकल्प नही बचेगा। इन जातकों को व्यर्थ वजह की यात्राएं करनी पड़ेंगी। घर अथवा व्यावसायिक क्षेत्र में भी परिवर्तन के योग बन सकते है। व्यवसायी वर्ग को अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। आर्थिक कार्य बिना भागदौड़ के संपन्न नही होंगे। इस अवधि में कार्य क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है अन्यथा जिस लाभ के हकदार है उससे वंचित रह जाएंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर टोका टाकी अथवा किसी के कार्य मे नुक्स निकालने से बचना होगा वरना अपमान हो सकता है। सेहत में विकार आएगा शरीर मे चर्बी बढ़ने से परेशानी भी हो सकती है। धार्मिक कार्यो में रुचि बढ़ेगी लेकिन स्वार्थ की भावना से ही धर्म कर्म में हिस्सा लेंगे। उपाय👉 वृद्धाश्रम में सफेद अन्न का दान और गुरु मंत्र का निरंतर मानसिक जप करना हितकर रहेगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू) गुरु ग्रह का गोचर वृश्चिक राशि से दूसरे धन भाव मे हो रहा है। गहन भाव मे गुरु का गोचर लाभदायक माना जाता है। इस अवधि में आप जितना परोपकार करेंगे उसका दुगना फल आपको वापस मिल सकता है। परंतु इस अवधि में किसी को उधार खास कर धन देने से बचें अन्यथा वापस लेने में परेशानी आएगी। हाँ उधार की वसूली थोड़ी या बहुत इस अवधि में अवश्य होगी। व्यक्तित्त्व में विकास होने से अपनी बात खुलकर परिजनों अथवा बाहरी लोगों के बीच रख सकेंगे। इससे दाम्पत्य जीवन मे विश्वास बढ़ने के साथ माता पिता से भी संबंधों में घनिष्ठता आयेगी। नौकरी अथवा कारोबार में उन्नति के योग जब भी बनेंगे तभी किसी से व्यर्थ की दुश्मनी भी बढ़ेगी परन्तु धैर्य से कार्य करेंगे तो विजय आपकी ही होगी। परिवार में कोई बड़ा मांगलिक आयोजन हो सकता है। इस अवधि में व्यर्थ के विषयों को जानने और बहस करने में रुचि दिखाएंगे इनसे बचने का प्रयास करें। उपाय👉 अपने गुरुदेव से मिला मंत्र अथवा गुरु का बीजमंत्र का जप अधिक से अधिक करने का प्रयास करें। मंगल शनि को हनुमान जी को चोला चढ़ाकर कम से कम 2 असहायो को भोजन कराना विशेष लाभदायक रहेगा।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे) धनु राशि में गुरुदेव बृहस्पति इसी राशि यानि आपके लग्न भाव में गोचर करने वाले हैं। यह गोचर धनु जातको के लिये अधिकांश कार्यो में शुभ फल देगा। इस अवधि में धन का संचय अपनी बुद्धि बल से कर सकेंगे लेकिन हद से ज्यादा आत्मविश्वास करने से भी बचना होगा अन्यथा आकस्मिक हानि भी हो सकती है। कार्य व्यवसाय में ज्यादातर निर्णयों में भाग्य का साथ मिलने से मुश्किल आसान बनेंगी। बस अपनी कटाक्ष करने की आदत छोड़ना पड़ेगा। पति पत्नी के बीच प्रेम बढ़ेगा लेकिन खर्च को लेकर आपस मे ठन भी सकती है। नौकरी करने वालो को आरंभिक व्यवधान के बाद तरक्की मिल सकती है। कारोबारियों को भी इस अवधि में स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अवसर मिलेगा। सेहत इस अवधि में छूट पुट बातो को छोड़ अच्छी ही रहेगी। कला अथवा अन्य रचनात्मक कार्यो से जुड़े जातको को इस अवधि में विशेष सफलता मिल सकती है। कई दिनों से रुकी योजना अपने अंतिम चरण में पहुचेगी। उपाय👉 सामर्थ्य हो तो किसी ज्योतिषी से परामर्श कर पुखराज धारण करना अतिलाभदायक सिद्ध होगा। घर से निकलते समय निर्धन को यथा सामर्थ्य धन का दान करके ही निकलें।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी) बृहस्पति का गोचर मकर राशि से द्वादश भाव में होगा। यहां गुरु द्वादश के साथ मकर राशि अनुसार तृतीय भाव के स्वामी भी हैं। इस गोचर के प्रभाव से मकर जातको को आर्थिक मामलों में बहुत सोच समझकर कार्य करना पड़ेगा। इस अवधि में लंबिदूरी कई यात्राएं भी होंगी लेकिन इनसे लाभ होने में समय लग सकता है। कार्य व्यावसाय में धन का निवेश देखभाल कर करें। उधारी के व्यवहार इस अवधि में जितना कम करेंगे उतना ही आपके लिए हितकर रहेगा धन नाश होने के प्रबल योग हैं। इन जातकों को विदेश यात्रा अथवा विदेश में बसने के अवसर मिलेंगे फिलहाल यह खर्चीला साबित हॉक लेकिन आने वाले समय मे लाभदायक सिद्ध होगा। इस अवधि में आपके किसी वरिष्ठ सम्मानित व्यक्ति, किसी धर्माचार्य मठाधीश से संपर्क बनेंगे। मन मे आध्यात्मिक भावो का उदय होगा धर्म को जानने की लालसा बढ़ेगी। भौतिक सुखों से प्रति नीरसता आने से एकांत में रहना भायेगा। घरेलू सुख सामान्य रहेगा। उपाय👉 अनाथ कुंवारी कन्याओं का विवाह कराने में योगदान करें आपके भविष्य निर्माण में सहायक होगा। पीले रंग के वस्त्रों का अधिक प्रयोग करें।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा) गुरु देव बृहस्पति का गोचर कुम्भ राशि से एकादश भाव में हो रहा है। लाभ भाव गुरु का गोचर होने से इस राशि के जातको को विभिन्न क्षेत्रों में अच्छे परिणाम दिलाएगा। जो जातक किसी लंबी बीमारी से पीड़ित है उन्हें इस अवधि में राहत मिल सकती है। कार्य क्षेत्र पर लोग आपके कार्य से प्रभावित होंगे। सामाजिक क्षेत्र पर भी व्यक्तित्त्व में विकास होगा जिससे लोग आँख बंद कर आपके ऊपर भोरोसा करेंगे। अगर अनैतिक कार्यो से दूर रहेंगे तो इस अवधि में भाग्य पल पल पर आपके साथ रहेगा अवधि का लाभ अवश्य उठाये। के दिनों से मन मे चल रही मनोकामना पूर्ति इस अवधि में होने की संभावना है। नौकरी पेशा लोगो पर अधिकारी वर्ग मेहरबान रहेंगे इस कारण कुछ गुप्त शत्रु में बनेंगे इनकी परवाह ना करें अपने कार्य पर ध्यान दें तो यह अवधि हर प्रकार से आपके लिए लाभदायक रहेगी। पारिवारिक संबंधों की कड़वाहट दूर होगी। किसी पुराने विवाद का भी निपटारा होने की सम्भवना है। इस अवधि में किसी से किसी भी प्रकार की जबरदस्ती करने से बचे अन्यथा फल विपरीत हो सकते है। उपाय👉 प्रत्येक दिन बजरंगबाण का कम से कम 21 बार पाठ करें। मछलियों को उडद की दाल की रोटियां खिलाना लाभदायक रहेगा।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची) बृहस्पति का यह गोचर मीन राशि से दसवें भाव मे हो रहा है। इन जातकों के कर्म भाव मे गुरु का गोचर होने से कार्य व्यवसाय एवं सामाजिक जीवन मे नई जिम्मेदारियां मिल सकती है। इस अवधि में मीन जातको के स्थान में परिवर्तन होने के भी प्रबल योग बन रहे है इसका लाभ निकट भविष्य में किसी न किसी रूप में देखने को अवश्य मिलेगा। व्यवसायी वर्ग इस अवधि में नए नए प्रयोग कर लाभ कमाएंगे। नौकरी पेशाओ के लिये भी यह समय शुभ रहेगा पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। इस अवधि में आपको किसी वरिष्ठ व्यक्ति अथवा अधिकारी वर्ग के निर्णय कड़वे लगेंगे इस कारण आरम्भ में कुछ परेशानी आ सकती है लेकिन बाद में यही सुखदायक सिद्ध होगा। कर्ज में डूबे जातक इस अवधि में कुछ विशेष उपाय अवश्य करें बड़ी राहत मिलने की संभावना रहेगी। इस अवधि में स्वयं एवं परिजनों को सुसंस्कार दे ने की आवश्यकता है। गलत संगत होने के कारण मानहानि होने के योग भी है। विद्यार्थी वर्ग को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की संभावना अधिक रहेगी। किसी परिजन की लंबी बीमारी में सुधार आने से राहत मिलेगी। उपाय👉 पुखराज धारण करना एवं नित्य मछलियों को आटा खिलाना और जरूरतमंदों को धन का दान करना आपके लिये आर्थिक संपन्नता दायक रहेगा।