हिन्दू शादी में फेरो पर सात वचन देने के बाद ही बधु को वर के वाम अंग ( उलटे हाथ ) में आने का अधिकार प्राप्त होता है मगर अधिकतर विवाह में जयमाला के बाद वधु वर के वाम अंग में खड़ी होती है क्या यह उचित है सोच कर देखे , यदि है तो वचन के बाद पाटा फेर क्यों ज्यादातर ;लोगो का मत है के पहले जमाने मे जयमाला डालनें क़ो भी विवाह ही माना जाता था मगर हकीकत में लडक़ी द्वारा जयमाला लड़के के गले में डालने का अर्थ है के लड़की की इस लड़के से विवाह करने में सहमति है लड़के द्वारा लड़की को माला पहनाने का अर्थ भी यहि है के वो भी इस लड़की से विवाह के लिए राजी है आज के परिवेश में जयमाला एक दूसरे की सहमति को समाज के सामने दर्शाता है न की विवाह को फोटो खिचवाने के लिए हम अपने संस्कारो और रस्मो पर उचित अनुचित का ध्यान ही नहीं देते वधु को वचन के बाद ही वर के वाम अंग में आकर बैठना/खड़ा होना चाहिए बात जरा सी मगर ध्यान कोई नहीं देता