जंगल में शबरी के झूठे बेर को सस्नेह पूर्वक खाना दुश्मन को युद्ध से पहले ही चरणों में अपने गिराना दिल में ज़रा भी नफरत माँ कैकई के लिए न लाना भाईयों को अपने अपनी पलकों पर पल पल बैठाना बिना किसी भेद भाव न्याय प्रणाली को राज्य में चलाना अपने वचन के लिए अपने प्राणो तक को है लुटाना अपनी पत्नी सीता को अपने संग सिंघासन पर बैठाना आसान नहीं है किसी के लिए भी यूही राम बन जाना