||#भाग्योदय_किस_रास्ते_से_होगा?|| जन्मकुंडली में भाग्य का भाव 9वां होता है भाग्य ही सबसे प्रमुख जीवन का एक पहलू है।भाग्य उदय होने के लिए सबसे पहले 9वे भाव और इस भाव के स्वामी का बली होना जरूरी है साथ ही कुंडली के अन्य भाग्य सहयोगी भावो का भी बली होना जरूरी है।जन्म कुंडली का हर एक भाव किसी न किसी संबंधी व्यक्ति, दिशा या कार्य आदि का प्रतिनिधित्व करता है।जैसे पहला भाव जातक खुद है, दूसरा भाव परिवार, तीसरा भाव छोटा भाव या मित्र, चौथा भाव माँ या घर, पाचवा संतान इसी तरह आगे के भाव भी अपने अपने कारत्व स्वामी का प्रतिनिधित्व करते है। बलवान नवमेश(9वें भाव का स्वामी) का सम्बन्ध जिस भी बली भावेश से होगा उसी भावेश से सम्बंधित दिशा, व्यक्ति या कार्य छेत्र से व्यक्ति का भाग्योदय होगा #जैसे:- बलवान नवमेश का सम्बन्ध बलवान लग्नेश से केंद्र या त्रिकोण में हो तब जातक का भाग्योदय खुद की मेहनत या खुद की योग्यता के सहारे होगा लग्नेश-भाग्येश जिस दिशा कार्य छेत्र आदि के कारक है उसी दिशा या कार्य छेत्र आदि से भाग्योदय होगा।इसी तरह दूसरे #उदारहण अनुसार, बली भाग्येश का बली पंचमेश से सम्बन्ध और कुण्डलों के अन्य भाग्योदय संबंधी भावेशों और ग्रहो का बली होना व्यक्ति का भाग्योदय संतान होने के बाद होगा या अपनी किसी काबिल शिक्षा के सहयोग से भाग्यदय होगा क्योंकि पांचवा भाव संतान , शिक्षा आदि का है, इसी तरह तीसरा #उदाहरण यदि बली नवमेश का सम्बन्ध बली दूसरे भाव के स्वामी या बली सातवे भाव के स्वामी से है तब जातक का भाग्योदय अपने किसी परिवारिक व्यक्ति या शादी के बाद होगा क्योंकि दूसरा भाव परिवार का है और सातवा भाव शादी या जीवनसाथी का है जो इस बात को निश्चित करता है कि व्यक्त्ति का भाग्योदय होना इस जगह और इस व्यक्ति आदि के द्वारा होना है।इसी तरह भाग्येश 9वे ही भाव में हो तब जातक अपने आप में ही भाग्यशाली होगा।यदि बली होकर भाग्येश 12वे भाव में है और कुण्डली में राजयोग है तब व्यक्ति का भाग्योदय अपने जन्म स्थान से दूर जाकर होगा जो भी ग्रह भाग्येश है वह ग्रह जिस दिशा का कारक होगा उसी दिशा में भाग्योदय कराएगा।इसी तरह भाग्येश जिस भी भाव से सम्बन्ध बनाकर कुंडली में भाग्योदय के योग बना रहा होगा उसी के अनुसार जातक का भाग्योदय होगा। भाग्योदय में भाग्येश और भाग्येश जिस भी भावेश आदि से सम्बन्ध बना रहा हो उसमे भाग्येश और सम्बंधित ग्रह अस्त, नीच, कमजोर या पीड़ित नही होना चाहिए वरना भाग्योदय उदय न होकर भाग्य की हानि होगी।साथ ही भाग्योदय का समय ग्रह दशा और सम्बंधित भाव के फल मिलने पर भाग्योदय का समय होग।#जैसे:- भाग्य का उदय होना शादी के बाद लिखा है या संतान होने के बाद लिखा है तो तब तक भाग्योदय नही होना जब तक। शादी न हो जाए या शादी के बाद संतान न हो जाए।इसी तरह जन्म कुंडली में भाग्य कहाँ कैसे उदय होगा? यह कुंडली में भाग्येश और भाग्योदय संबंधी ग्रह और सम्बंधित भाव की स्थिति पर निर्भर करेगा।