परेशानियों के कारण बाहर न खोजकर भीतर खोजें। आत्ममंथन करेंगे तो दोष भीतर ही दिखेंगे और हम समर्पण ध्यान द्वारा उनका निराकरण कर सकते हैं। *आत्ममंथन व स्वदोष-निराकरण के सरल उपाय :* लगभग सभी दोष चक्रों से संबंधित होते हैं।
🌺 *मूलाधार चक्र :* मूलाधार चक्र प्रमुखतः दो कारणों से दूषित होता है : १) जब स्त्री-पुरुष एक दूसरे को शुद्ध भाव से नहीं देखते और २) भोजन में अत्याधिक चित्त होना। उपाय : १) हमें एक-दूसरे के प्रति शुद्ध भाव रखना चाहिए। खासकर युवाओं को , विद्यार्थियों को शुद्ध दृष्टि से व्यवहार करना चाहिए। २) बच्चों को शुरु से ही सबकुछ खाने की आदत डालनी चाहिए (अर्थात योग्य आहार में खाने-पीने के नखरे नहीं रखने चाहिए।)
🌺 *स्वाधिष्ठान चक्र :* यह अतिविचार से दूषित होता है। हमारी ऊर्जा विचारों में ही नष्ट हो जाती है। उपाय : १) गृहिणियाँ रसोईघर में मुँह के सामने दीपक जलाकर रखें। संतुलित गति/स्थिति में यदि खाना पकता है , तो पूरा परिवार संतुलित रहेगा। २) शयनकक्ष में दीपक जलाएँ। वैचारिक प्रदूषण दूर होने से नींद भी अच्छी आएगी। ३) सोते समय गुरुदेव से प्रार्थना करें। नींद में भी निर्विचार रहेंगे। ४) भोजन करते समय बातचीत नहीं करें। भोजन की मेज पर भी दीपक जला सकते हैं।
🌺 *नाभि चक्र :* पती-पत्नी का स्थान है। एक-दूसरे की भावना का आदर करें। अहम् को दूर रखें। कभी भी वार्तालाप/संवाद बंद मत कीजिए। आत्मसंतोष का भाव जागृत करें। छोटी-छोटी बातों को प्रार्थना कर समर्पित कर दो।
🌺 *हृदय चक्र :* माता-पिता का स्थान है। माता-पिता की सेवा करो , उनको उचित मान दो। अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएँँ। अपने कर्तव्य का पालन करें और शेष स्वामीजी पर छोड़ दें। हृदय मर्यादा का स्थान है। मर्यादाओं का उल्लंघन न करें।
🌺 *विशुद्धि चक्र :* यह विराट् का , सफलता का स्थान है। मानवधर्म को प्राथमिकता दें , फिर देह धर्म का पालन करें। अपनी जिव्हा से सदा अमृत बाँटो। भाई-बहनों से सदा संपर्क रखें। छोटी-छोटी बातों से रिश्तों में कड़वाहट मत आने दो।
🌺 *आज्ञा चक्र :* यह गुरु का स्थान है। शुद्ध स्थान पर ही गुरु विराजते हैं। प्रकृति भी अपनी शुद्धि करती है ; वसंत में पुराने पत्ते झड जाते हैं। लोभ , मोह , क्रोध , द्वेष , अहंकार को आज्ञा चक्र में मत बैठने दो , अन्यथा गुरु को कहाँ बैठाओगे ? सुबह-शाम गुरुवर को सब समर्पित कर दो। सुबह समर्पण करने से दिन अच्छा बीतेगा। शाम को समर्पण करने से दिनभर के दोष दूर हो जाते है।
🌺 *सहस्त्रार चक्र :* जब सब चक्र शुद्ध रखोगे तो माँ कुंंडलिनी शक्ति सीधे सहस्त्रार पर पहुँचेगी और परमचैतन्य स्वतः ही प्रवाहित होने लगेगा। *॥आत्म देवो भवः॥