जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल की पूजा करते समय रखें इन बातों को खास ध्यान हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार 11-12 अगस्त यानी दो दिन मनाया जाएगा। मेरी माने तो 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना ज्यादा उत्तम है. क्योकि सूर्य उदय के समय की तिथि को ही तिथि मानी जाती है जो अष्टमी हैं तथा जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरुप की उपासना की जाती है. हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन श्रीकृष्ण के भक्त उनकी आराधना में उपवास रखते हैं. घरों में बाल गोपाल की पूजा होती है. उनके लिए झूले सजाएं जाते हैं. हालांकि बाल गोपाल की पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. आइए आपको बताते हैं कौन सी हैं वो बातें. -सुबह जल्दी उठने के बाद सबसे पहले बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए और उन्हें भोग लगाना चाहिए. बाल गोपाल की पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सभी सामग्रियों का शुद्ध होना जरूरी है. इसलिए पूजा के बर्तन को जरूर साफ करें. -बाल गोपाल को साफ जल और गंगाजल से प्रतिदिन स्नान करवाना चाहिए. स्नान करवाने के बाद चंदन का टीका लगाएं. -बाल गोपाल के कपड़ों को रोजाना बदलें. इसके अलावा दिन के अनुसार अलग-अलग रंग वाले कपड़े ही पहनाएं जैसे सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी, शनिवार को नीला और रविवार को लाल कपड़ा. -बाल गोपाल को मक्खन, मिश्री और तुलसी के पत्ते बहुत पसंद हैं इसलिए भोग में रोजाना इन्हें जरूर शामिल करें. रोजाना बाल गोपाल के श्रृंगार में उनके कान की बाली, कलाई में कड़ा, हाथों में बांसुरी और मोरपंख लगाएं. -श्रृंगार के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की आरती उतारे फिर बाल गोपाल की. आरती के बाद अपने हाथों से उन्हें भोग लगाएं, झूला झूलाएं और फिर झूले में लगे परदे को बंद करना न भूलें. -सुबह और शाम के दोनों वक्त बाल गोपाल की आरती करें और भोग लगाएं. शुभ अवसर और त्योहार पर उन्हें नए कपड़े और अच्छे अच्छे पकवान का भोग जरूर लगाएं. -बाल गोपाल की पूजा और भोग लगाएं बिना खाना नहीं खाना चाहिए. उन्हें भोग लगाने के बाद भोजन प्रसाद बन जाता है. घर में बाल गोपाल हैं तो मांस-मदिरा का सेवन, गलत व्यवहार और अधार्मिक कार्यों से बचना चाहिए. -रात को सोने से पहले बाल गोपाल को सुलाने के बाद ही सोएं. होली, दीपावली और जन्माष्टमी जैसे प्रमुख त्योहार में इनकी विशेष रूप से पूजा करें. लेखक रविन्द्र पारीक
very nice article by sir ji