गोचर मैं सिंह राशि में मंगल के प्रति फलादेश वर्तमान मे मंगल का गोचर सूर्य की राशि मे चल रहा है,यह कारण सरकारी क्षेत्र मे और राजनीति में जिद्दी होने की बात को प्रकट करता है,सबसे पहले जिद्दी शब्द की व्याख्या करना जरूरी है। जब किसी कार्य मे परेशानी का कारण पैदा होने लगता है तो उस कार्य को जबरदस्ती करने की दिमाग मे आती है,बाकी के सभी कार्य छोड कर एक ही कार्य करने की जिद दिमाग मे पैदा हो जाती है। इससे व्यक्ति रूप मे भी दिमाग मे जिद्दीपन आजाता है,और व्यक्ति के आसपास के जो कार्य होते है उनके अन्दर परेशानी का कारण पैदा होना शुरु हो जाता है। काल पुरुष के अनुसार मंगल का स्थान संतान परिवार विद्या बुद्धि मनोरंजन जल्दी से धन कमाने के क्षेत्र खेलकूद के प्रति की जाने वाली भावना माता के परिवार माता के धन पिता के द्वारा रिस्क लेकर किये जाने वाले कार्य जीवन साथी के मित्र आदि के भाव मे इस मंगल का गोचर करना माना जाता है। इन सभी कारणो मे किसी न किसी प्रकार की उत्तेजना के कारण दिक्कत का होना माना जा सकता है। इन कारणो मे सरकार का परिवार का सन्तान का और इसी प्रकार के कारको का मानसिक तनाव भी माना जा सकता है। इन्ही क्षेत्रो मे कार्य करने वाले लोग किसी न किसी प्रकार से आहत भी होते है और चोट आदि के द्वारा दिक्कत भी उठाते है। मंगल खून की गर्मी का कारक है इस कारण से गुस्सा का बढना भी माना जाता है,जब कोई बढचढ कर बात करने के लिये अपनी मानसिकता को आगे रखता है या ताव खाता है तो अभिमान की मात्रा बढने से लडाई झगडे की नौबत भी आजाती है। अगर जातक की कुंडली में सूर्य भी इसी स्थान मे है तो जातक के पिता के प्रति यही धारणा मानी जा सकती है पुत्र के प्रति भी यही कारण माना जा सकता है इन दोनो को किसी प्रकार चोट आदि से पेट सम्बन्धी दिक्कत का होना भी माना जा सकता है.अगर इस भाव मे चन्द्रमा है तो जातक की माता को परेशानी का कारण पैदा होता है जनता के अन्दर किसी न किसी बात पर गुस्सा आता है और तोड फ़ोड जैसे कारण पैदा हो जाते है। शासन मे कोई स्त्री शासक यात्रा आदि मे अपने बिजी रखता है,परिवार मे भाई की यात्रा का कारण भी माना जा सकता है,इस युति से उतावलापन भी देखने को मिलता है। अगर इसी स्थान मे बुध है तो मानसिक अशान्ति और और दुश्मनी मे बढोत्तरी होने लगती है जो मित्र होते है वह भी अधिक अभिमान या अहम के कारण शत्रु बनने लगते है,पेट सम्बन्धी बीमारी का होना भी माना जा सकता है। अगर इस भाव मे गुरु के साथ मंगल का गोचर होता है तो जातक के अन्दर जितनी विद्या है उससे अधिक बात करने का कारण बनता है और कार्य के अन्दर जाकर वह झूठा अहम खत्म हो जाता है इसलिए अपमान भी होता है और अगर स्त्री की कुंडली मे यह युति बनती है तो उसके पति का यात्रा वाला या स्थान परिवर्तन का योग बनता है। वैसे उन्नति का समय भी माना जा सकता है। गोचर से जब मंगल इस भाव मे शुक्र पर आता है तो जान पहिचान मे बढोत्तरी होने की बात भी मिलती है सम्बन्धी घर आने लगते है,उत्सव आदि होने की बात भी होती है स्त्री जातक की कुंडली मे पति को लाभ होता है और भाई को किसी स्त्री से जान पहिचान का कारण भी माना जा सकता है। यही मंगल जब शनि पर गोचर करता है तो नौकरी आदि मे परेशानी देने का कारण बनता है किसी उच्च अधिकारी से मनमुटाव हो जाता है और धन की भी हानि होने का कारण बनता है यह बात अक्सर कार्य के अन्दर अधिक तकनीक लगाने और अपनी बात को उत्तेजना मे आगे रखने का कारण बनता है,यही पर राहु का असर होता है तो जातक के भाई पर परेशानी का कारण पैदा होता है जिद मे बढोत्तरी होती है पेट के अन्दर गैस का बनना और पाचन क्रिया का खराब होना भी माना जा सकता है,केतु के साथ मंगल का गोचर होने से भाई के अक्समात धार्मिक बनने की बात भी मानी जा सकती है या पति का किसी प्रकार से धर्म के प्रति लगाव शुरु हो जाता है आचार्य राजेश