सूर्य व चन्द्र ग्रहण कैसे पड़ता है।
Shareकिसी भी मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को जो नक्षत्र हो, वही नक्षत्र पूर्णिमा को हो तो चन्द्र ग्रहण होता है। चन्द्र( मन) पर जब राहु हुकूमत करता है, तो मन पीड़ित होता है। मन उसी का पीड़ित होता है, जब पूर्णिमा को जो नक्षत्र जिस चरण में हो,उस अक्षर वाले व्यक्ति, नगर, गांव, देश के सामने व्यक्तियों को विचलित करता है। सूर्य ग्रहण-- सूर्य जिस नक्षत्र में होता है, उसी नक्षत्र में अमावस्या होतो, वह संध्या के समय प्रतिपदा तिथि लग जाय तो सूर्य ग्रहण होगा। सूर्य आत्मा है। आत्मा पर जब राहु का प्रभाव रहेगा तो, जीवन के सामने संकट खड़ा होता है, आत्मा तो प्रत्येक जीव में होती है। इस लिए सूर्य ग्रहण अधिक प्रभावी होता है। वह भी सूर्य जिस नक्षत्र के चरण में होगा, उस नक्षत्र चरण वाले व्यक्ति, देश, शहर, गांव को प्रभावित करेगा। दोनों ही पक्षों में-- राशि वालों को कष्ट नहीं देगा। न ही उस ग्रह को देखने वाली राशियों को प्रभावित करेगा। क्योकिं वह नक्षत्र का फल दे रहा है। ग्रहण काल में जपनीय मन्त्र-www.futurestudyonline.com ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के साथ।
अथर्वेद-- कांड19, सूक्त9, मन्त्र-10 शं ग्रहाश्चान्द्रमसा: शभा दित्य श्च राहुणा।शं नो मृत्युरधुमकेतु: श रुद्रास्तिगमतेजस:।। अर्थात-चन्द्र मण्डल के ग्रह, राहु से ग्रस्त सूर्य, धूमकेतु का अनिष्ट और रुद्र के तीक्ष्ण कष्ट देने वाले उपद्रव शांति प्रद हो। चन्द्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण हमें शांति दे, समृद्धि दे, हमे आनन्द दे, व सभी अनिष्टों को शांत करें। ॐ हरि ॐ।