कुण्डली में जन्म के सूर्यदेव पर सभी ग्रहों का गोचरजन्म कुंडली से भविष्य का फल
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कुण्डली में जन्म के सूर्यदेव पर सभी ग्रहों का गोचरजन्म कुंडली से भविष्य का फल बताते हुए गोचर के द्वारा समय तक पहुंचा जा सकता है| परन्तु ज्योतिष में कुछ ग्रह ऐसे है जो लम्बे समय तक एक ही राशि में टिके रहते है| ऐसे में उन ग्रहों का फल कब घटित होगा यह बताना बहुत मुश्किल हो जाता है। न्डली के ऊपर जब गोचर के ग्रह अपनी युति देते है,तो वर्तमान में चल रही गति विधियों के बारे में ज्ञान मिलता है,ज्योतिषी इस बात के सहारे ही अपनी ज्योतिष विद्या का मान रखते है,जब किसी भी जातक के सामने चलता हुआ वर्तमान और बीता हुआ भूत बखान किया जाता है,और जातक हर बात पर सही का टिक करता जाता है,तब जाकर भविष्य के बारे में कथन करना उपयुक्त माना जाता है,और की गयी भविष्यवाणियां खरी उतरती है,ग्रह गोचर में अपना फ़ल जो देता है,उसमे ध्यान यह भी रखना पडता है,कि जो ग्रह बक्री है,या अस्त है,वह जो भी फ़लादेश लिखा जा रहा है,विपरीत कथन माना जा सकता है,साथ ही जो भी खराब ग्रह खराब स्थान यानी छ: आठ या बारहवें भाव में है,वह बजाय गलत प्रभाव के अच्छा प्रभाव देगा,जब वह बक्री हो या अस्त हो.यही बात स्थान परिवर्तन के मामले में देखी जाती है,और फ़लकथन करते वक्त ध्यान रखा जाता है.प्रस्तुत है गोचर में कुन्डली के ग्रहों पर गुजरने के दौरान मिलने वाले फ़ल:-
सूर्य पर गोचर से विभिन्न ग्रहों के गुजरने का फ़ल:-
सूर्य पिता है,सूर्य जातक की आत्मा है और सूर्य ही पुत्र है,जब चन्द्र गोचर से जन्म के सूर्य से गुजरता है,तो पिता को अपमान सहना पडता है,शरीर का सूर्य वीर्य के नाम से जाना जाता है,किसी छलिया स्त्री से या किसी छलिया पुरुष से ठगा जाना और अपमान का सामना करना पड सकता है,इन किसी भी कारकों के अन्दर अपने वीर्य को बरबाद किया जा सकता है,सूर्य पिता है,और चन्द्र यात्रा है,पिता को यात्रा भी करनी पड सकती है,जातक के साथ भी यही हो सकता है.चन्द्रमा का सूर्य के ऊपर से गुजरना मात्र सवा दो दिन का माना जाता है,और प्रभाव भी अन्त की सवा दो घडी का होता है.सूर्य और चन्द्र मिलकर महिने का काला दिन भी माना जाता है,इस दौरान किसी भी तरह से किया गया तांत्रिक कार्य शरीर पर प्रभावी हो जाता है,इन दिनो जातक को शमशान यात्रा,किसी तांत्रिक के पास जाना,और किसी प्रकार से किसी दूसरे के प्रति की जाने वाली बुराई से बचना चाहिये,अन्यथा काया और आम में दाग आसानी से लग सकता है.अगर सूर्य कुन्डली में बलवान है,और चन्द्रमा कमजोर है तो जातक की अहम की मात्रा में भडकाव भी आ सकता है,जातक के दिमाग में उग्रता आने से वह किसी भी प्रकार से अपने को बरवाद भी कर सकता है.
मन्गल का सूर्य के ऊपर गोचर:-
मन्गल सूर्य की स्थिति वाली राशि में आता है,तो जातक को खून सम्बन्धी बीमारी से जूझना पड सकता है,पित्त की अधिकता से जातक को उल्टी या दस्त वाली बीमारी हो सकती है,भाई का पिता के साथ कोई जिद्दीपना हो सकता है,पति का पिता के साथ झगडा हो सकता है,हड्डी वाली बीमारियों के लिये किसी डाक्टर से मदद ली जा सकती है,पुलिस का सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप हो सकता है,खुद के साथ भी पुलिस के साथ किसी बात को लेकर कानूनी मामला फ़ंस सकता है,इनकम टेक्स या किसी सरकारी कर के बारे में छापा पड सकता है.
बुध का सूर्य के ऊपर गोचर:-
बुध भूमि का कारक माना जाता है,पिता को या खुद को किसी प्रकार की भूमि का लाभ हो सकता है,भूमि चाहे किराये से या किसी प्रकार से कुछ समय के लिये बैठने के लिये प्रदान की गयी हो,बुध हर हाल में सूर्य का मित्र है,जातक को किसी मित्र से मिलना भी होता है,सूर्य जातक है,तो बुध व्यापार भी है,जातक को कोई नया व्यापार सामने आ रहा हो,सूर्य जातक है तो बुध बहिन बुआ बेटी भी है,जातक के पास मिलने के लिये बहिन बुआ बेटी आ रही हो,बुध बक्री है,और गोचर से बुध अगर सूर्य से मिलने आ रहा है,तो लम्बे समय से पास में रहने वाली बहिन बुआ बेटी कही कुछ समय के लिये जा रही हो.
गुरु का सूर्य के ऊपर गोचर
सूर्य और गुरु दोनो मिलकर जीवात्मा संयोग कहलाता है,गुरु जीव और सूर्य आत्मा दोनो मिलकर महानता की तरफ़ अपने को ले जाते है,गुरु अगर कुन्डली में बलवान है तो जातक को इस समय में काफ़ी सफ़लता मिलती है,अगर धन के भाव का प्रभाव रखता है,तो धन की सफ़लता मिलती है,अगर भाई बहिन के भाव के प्रति अपनी भावना रखता है,तो उनका सहयोग मिलता है,घर और परिवार के प्रति भावना है,तो घर बनता है,और माता के लिये तथा सम्बन्धित जनता के लिये फ़ायदा देने वाला होता है,शिक्षा से जुडा हुआ तो शिक्षा मे सफ़लता देता है,कर्जा दुश्मनी बीमारी से जुडा हुआ है तो उसमे फ़ायदा देता है,जीवन साथी के भाव से जुडा है,तो जीवन साथी या साझेदार से फ़ायदा या सहायता दिलवाता है,अविवाहित लोगों की शादी का समय भी पास मे होता है,मृत्यु के भाव मे होता है,तो बैंक बीमा या किसी प्रकार से पुराना फ़ंसा हुआ धन दिलवाता है,नवे भाव का योगकारक होता है,तो भाग्य और धर्म की तरफ़ रुचि देता है,दसवें भाव का भाव कारक है,तो काम धन्धे और सरकारी कार्यों के अन्दर तरक्की के मार्ग खोलता है,ग्यारहवें भाव से अचल सम्पत्ति और मित्रो से फ़ायदा दिलवाता है,किसी बुद्धिमान का साथ देता है,और अगर बारहवें भाव का कारक बना हुआ है,तो हवाई यात्रायें या ध्यान समाधि की तरफ़ इशारा करता है.
शुक्र का सूर्य के ऊपर गोचर
शुक्र धन और भौतिक कारकों का सहायक माना जाता है,शुक्र ही पुरुष की कुन्डली में पत्नी का कारक होता है,और स्त्री की कुन्डली मे गहनो जेवरातो और सजावत वाली चीजो के बारे मे जाना जाता है,शुक्र को ही जमीनी कारकों से जोडा जाता है,शुक्र से ही फ़लो सब्जियों के लिये जो रस युक्त होती है,के बारे में अपना भाव बताता है,सूर्य स्वर्ण है,तो शुक्र जेवरात के बारे में भी अपनी राय बताता है,सूर्य के साथ जब शुक्र का गोचर होता है,तो जातक को धन की कमी अनुभव होती है,पत्नी बीमार होती है,खेती में सरकारी दखल होता है,गेहूं की पैदावार में बढोत्तरी होती है,गेहूं के भाव चढते है,फ़लो के प्रति सरकारी दखल होता है,गाय और दूध वाले जानवरों के अन्दर तेजी आती है.सरकारी मीडिया और सजावटी सामान की बिक्री के लिये नुमायश आदि का प्रोग्राम आदि बनता है.
शनि का सूर्य के ऊपर गोचर
शनि कार्य का दाता है,शनि जब गोचर से सूर्य के साथ गोचर करता है,तो कार्य में असंतोष पैदा होता है,जो भी काम करवाने वाले होते है,वे अधिकतर खुश नही रहते है,धन बेकार के कामों में खर्च होता रहता है,पिता पुत्र में आपसी विचारों में मतभेद हुआ करता है,शनि और सूर्य की इस युति में मंगल बद हो जाता है,जातक का काम सुबह और शाम का हो जाता है,उसे दिन और रात में किसी प्रकार का कार्य संतुष्ट नही कर पाता है,खाने पीने के लिये हमेशा मन किया करता है,शराब कबाब की तरफ़ मन आकर्षित होता है,और अगर जातक के अन्दर किसी प्रकार की बन्दिश हुआ करती है,तो वह दवाइयों और तामसी चीजों के प्रति अपने को लगा लेता है,अधिकतर इस काल में जातक का दिमाग सही दिशा में नही जा पाता है,मंगल के बद होने के कारण जातक का दिमाग लडाई झगडों की तरह जाता है.
राहु का सूर्य के ऊपर गोचर
पिता के प्रति माया मोह का चक्कर चालू हो जाता है,उसे हर किसी से धन प्राप्त करने और धन के प्रति ही सोच काम करती है,सरकारी कामों में सडक या बिजली वाले कामों का ठेका आदि लेने के लिये जातक का मन जाता रहता है,पिता का अपमान करने से जातक को कोई हिचक नही होती है,वह पुत्र के प्रति उतना वफ़ादार नही होता है जितना कि होना चाहिये,अक्सर उसके भार युक्त दिमाग के कारण पति या पत्नी में मतभेद हुआ करते है,राहु सूर्य को ग्रहण देता है,नाम के आगे कोई न कोई दाग जरूर लग जाता है.पिता को इस दौरान कोई चोट या हादसा होने की पूरी पूरी सम्भावना होती है.
केतु का सूर्य के ऊपर गोचर
केतु सन्यासी प्रवृत्ति दिमाग में देता है,पिता के अन्दर या जातक के अन्दर त्याग की भावना का उदय होना चालू हो जाता है,जातक को लोगों को उपदेश देने वाली बात मिलती है,अक्सर जातक को सरकारी कामो या पिता वाले कामो के लिये डाकिये की तरह से काम करना पडता है,किसी सामाजिक संस्था में कार्य कर्ता के रूप में भाग लेना पडता है.