*सावन शिवरात्रि में होगी चार प्रहर की पूजा* *श्रद्धा का महासावन* *"सृष्टि का मूल तत्व "शिव" है* पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिव उपासना तथा से शिवतत्व को जानने का महीना हैं। शिव को सृष्टि का मूलतत्व सृजक, पालक तथा संहारक माना गया है। शिव अत्यंत भोले है किन्तु अनुशासन के अत्यंत कठोर देवता माने गए हैं। शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री ने बताया कि श्रावण में शिव की विशेष आराधना मनुष्य को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा देती है। शिव का स्वरूप तथा उनका परिवार मानव को सांसारिक संकीर्ण वैचारिक परिधि से बाहर निकलकर "वसुधैव कुटुंबकम्" की परिकल्पना समझता है! उनके परिवार के सदस्य प्राय: विरूद्ध स्वभाव के है फिर भी साथ मिलकर रहते हैं। ज्योतिषाचार्य शास्त्री के अनुसार शिव का वाहन नंदी, पार्वती वाहन सिंह परस्पर शत्रु होकर भी मित्र बनकर रहते हैं। शिव के गले में सर्प, गणेश के वाहन मूषक को भी क्षति नहीं पहुंचाता। कार्तिकेय का वाहन मयूर कभी सर्प को नहीं डराता क्योंकि परिवार के मुखिया शिव हैं,उन्हें अनुशासन प्रिय है। श्रावण में शिव आराधना परिवार में समन्वय कि वृद्धि करती हैं। श्रावण मास में वामन पुराण और महाभारत के अनुसार जो मनुष्य मासपर्यंत एक समय भजन करने व भगवान का रुद्राभिषेक करने से वंश वृद्धि होती है तथा दूध,घी,धेनु का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है, तथा विष्णु,शिव का अभिषेक करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य शास्त्री के अनुसार इस श्रावण मास में विधि पूर्वक सोमवार का व्रत करना चाहिए। सक्षम रहने पर संपूर्ण उपवास तथा रात्रि में एक समय भजन करना चाहिए। श्रावण शुक्लपक्ष पंचमी को नागपंचमी कहते हैं। नागपंचमी विद्य ग्राह्य होती है।अतः नाग पूजा में षष्ठीयुक्त पंचमी को ही ग्रहण करना चाहिए क्योंकि उसी में नागगण संतुष्ट होते हैं। 9 अगस्त को नागपंचमी है जिन लोगों की कुण्डली में कालसर्प दोष है उनको चांदी के नाग नागिन से रुद्राभिषेक करना चाहिए। 1 अगस्त और 17 अगस्त को प्रदोष रहेगा। 2 अगस्त को मास शिवरात्रि है। इस दिन शिवलिंग में गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। क्योंकि शिव जी का एक नाम भी रूद्र है। रुद्र का अभिषेक यानी रुद्राभिषेक, शहर के "धारूहेड़ा चुंगी" स्थित "ज्योतिष संस्थान" के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार शिव पुराण में बताया गया है की रुद्राभिषेक करना विशेष फलदाई है। *सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा शिवात्मका* अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित है और सभी देवता रूद्र की आत्मा में हैं। रुद्र सर्वशक्तिमान है। रुद्राभिषेक में भगवान शिव के रूद्र अवतार की पूजा होती है। यह भगवान शिव का प्रचंड रूप है समस्त ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश करता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया है घर में किन किन शिवलिंगों से पूजा कर सकते है। *स्वर्णम् कोटि गुणं महम्* अर्थात_सोने के शिवलिंग से भी करोड़ गुना पारद शिवलिंग का महत्व है। *पारद शिवलिंग, नर्मदेश्वर, पार्थिव(मिट्टी)* के शिवलिंग बनाकर घर में भी रुद्राभिषेक करवा सकते है। श्रावण मास में किसी दिन भी भगवान भोलेनाथ को जल,पंचामृत, बिल्वपत्र, भांग,आंकड़ा,धतूरा,शमी पत्ती आदि चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। *पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं* शास्त्री जी के अनुसार शिवरात्रि में भोलेनाथ का गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी प्राप्ति, दूध से मनोकामनाएं पूर्ण, घी से आरोग्यता व वंश वृद्धि, इत्र युक्त जल से बीमारी नष्ट होती है। सरसों के तेल से शत्रु नाश, दही से भवन वाहन प्राप्ति, तथा शहद युक्त जल से अभिषेक करने पर समस्त पापों का नाश होता है।