रत्न ज्योतिष
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🕉 श्री गणेशाये नम: 🕉
• रत्न ज्योतिष
□ पन्ने का धारक कौन -
ॐ,पन्ना के सम्बंध में कहा जाता है कि जो कोई इसे पहनेगा, अत्यधिक लाभ होगा। यह बात बहुत हद तक सही है। लेकिन यदि इसे वे लोग धारण करें, जिनकी
कुंडली में निम्नलिखित बातें हों तो यह अति फलदायक सिद्ध होगा-
卐 बुध का रत्न पन्ना है और बुध मिथुन राशि का स्वामी है। अतः मिथुन लग्न वालों के लिए पन्ना धारण करना सर्वोत्तम होता है। इससे चौतरफा लाभ होता है।
卐 कन्या लग्न वालों के लिए भी पन्ना लाभदायक है, क्योंकि बुध कन्या लग्न और पन्ना रत्न का स्वामी है।
卐 यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध छठे व आठवें भाव में स्थित हो, तो उसके लिए पन्ना पहनना लाभकारी होता है।
卐 यदि कुंडली में बुध सूर्य एक राशि राशि में स्थित हो तो पन्ना धारण करना परम लाभप्रद होता है।
卐 यदि बुध धनेश होकर नवम भाव में स्थित हो तो पन्ना पहनना कल्याणकारी माना जाता है।
卐 अगर बुध सप्तमेश होकर द्वितीय भाव में, नवमेश होकर चौथे भाव में या भाग्येश होकर छठे भाव में स्थित हो तो पन्ना पहनना अत्यंत शुभ व परम लाभदायी होता है।
卐 अगर बुध श्रेष्ठ भाव का स्वामी होकर, अपने भाव से अष्टम स्थान में स्थित हो, तो पन्ना अवश्य धारण करना चाहिए।
卐 यदि बुध की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो पन्ना पहनना लाभकारी सिद्ध होता है।
卐 यदि जन्मकुंडली में बुध श्रेष्ठ भाव-2, 3, 4, 5, 7, 9, 10 अथवा 11 का स्वामी होकर अपने भाव से छठे स्थान पर स्थित हो तो पन्ना पहनना अति उत्तम होता है।
卐 यदि बुध मंगल, शनि, राहु अथवा केतु के साथ स्थित हो, तो पन्ना पहनना शुभ माना जाता है।
卐 अगर बुध पर शत्रु ग्रहों की दृष्टि हो तो पन्ना अवश्य धारण करना चाहिए।
卐 व्यापार-वाणिज्य, गणित व एकाउंटेंसी सम्बंधी कार्य से जुड़े लोग पन्ना अवश्य धारण करें। इससे अच्छा फल प्राप्त होता है।
卐 जिन व्यक्तियों की स्मरण शक्ति कमजोर हो उन्हें पन्ना धारण करने से लाभ होता है।
卐 जिन बच्चों का पढ़ाई में मन ना लगता हो या फिर जो पढ़ते हो वह शीघ्र ही भूल जाते हैं, उनके लिए यह उनकी मानसिक विचारधारा और बुद्धि को सहयोग देता है
卐 जो व्यक्ति हकलाते या तुतलाते हो उनके लिये पन्ना औषधि का काम करता है
卐 जिन व्यक्तियों को तच्वा रोग होता हे उनके लिये भी पन्ना औषधि का काम करता है
卐 जो व्यापार करते हे उनके लिये पन्ना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता हे।
卐 जो सभा मे भाषण या कालेजो मे पढाते हे उनकी वाणी मे आकर्षण के लिये वो व्यक्ति भी पन्ना धारण कर सकते हे।
ॐ, राशि के लग्न के अनुसार पन्ने का व्यवहार -
पन्ना प्रत्येक राशि मैं भिन्न फल देता है, जो निम्नलिखित है-
卐 मेष लग्न में बुध दो अनिष्ट भावों तृतीय और षष्ठ का स्वामी होता है। अतः इस लग्न के व्यक्तियों के लिए पन्ना अत्यंत हानिप्रद है।
卐 वृष लग्न में बुध द्वितीय और पंचम त्रिकोण का स्वामी होकर एक योगकारक ग्रह बन जाता है। अतः इस लग्न के व्यक्तियों द्वारा पन्ना धारण करने पर पारिवारिक शांति, धन लाभ, बुद्धि-बल, संतान सुख, मान-सम्मान, यश तथा भाग्योदय प्राप्त होता है। बुध की महादशा में पन्ना धारण करना विशेष तौर पर लाभकारी होगा । अगर वृष लग्न के जातक पन्ना को हीरे के साथ पहनें तो जीवन में सुख-समृद्धि की कमी नहीं होगी।
卐 मिथुन लग्न में बुध चतुर्थ भाव का स्वामी है। अतः इस लग्न के व्यक्तियोंको पन्ना अवश्य पहनना चाहिए, क्योंकि यह हमेशा कष्ट व विपत्ति से रक्षा करता है। बुध की महादशा में पन्ना पहनना विशेष लाभकारी होगा।
卐 कर्क लग्न में बुध तृतीय तथा द्वादश भाव का स्वामी है। ये दोनों भाव अशुभ होते हैं।इसलिए ऐसे जातकों को पन्ना नहीं धारण करना चाहिए।
卐 सिंह लग्न में बुध द्वितीय और एकादश भाव का स्वामी होता है। अतः इस लग्न के व्यक्तियों द्वारा बुध की महादशा में पन्ना धारण करने पर आर्थिक लाभ, संतान, पारिवारिक सुख तथा यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है।
卐 कन्या लग्न में बुध लग्न व दशम भाव का स्वामी है। अतः इस लग्न के व्यक्तियों को पन्ना पहनने से हमेशा लाभ होता है। यह जातक की हर तरह से-शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक तौर पर-रक्षा करता है। इससे आयु में वृद्धि तथा व्यवसाय में उन्नति होती है। राजकृपा एवं मान- सम्मान आदि बढ़ता है।
卐 तुला लग्न में बुध नवम और द्वादश भाव का स्वामी होता है। द्वादश भाव में बुध की मूल त्रिकोण राशि पड़ती है। लेकिन साथ ही नवम त्रिकोण का स्वामी होने के कारण बुध को तुला लग्न के लिए शूद्र ग्रह माना गया है। अतः यदि तुला लग्न के जातक हीरा के साथ पन्ना धारण करें तो उन्हें परम लाभ एवं सुख प्राप्त होता है। क्योंकि तुला लग्न के स्वामी शुक्र और बुध में परम मित्रता है।
卐 वृश्चिक लग्न में बुध अष्टम व एकादश भाव का स्वामी है। वृश्चिक लग्न के स्वामी मंगल और बुध में मित्रता है। अत: बुध वृश्चिक लग्न के लिए शूद्र ग्रह नहीं माना जाता। इसके अलावा यदि बुध एकादश भाव का स्वामी होकर लग्न, चतुर्थ, पंचम या नवम भाव में स्थित हो तो उसकी महादशा में पन्ना धारण करने पर अधिक लाभ होगा। इससे धन-सम्पदा में भी वृद्धि होगा ।
卐 धनु लग्न में बुध सप्तम और दशम भाव का स्वामी है। यह केन्द्राधिपति दोष से दूषित होता है। फिर भी यदि बुध लग्न, द्वितीय, पंचम, नवम, दशम या एकादश भाव में स्थित हो तो पन्ना धारण करने से बुध की महादशा में आर्थिक लाभ, व्यवसाय में उन्नति तथा समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है। यदि बुध किसी निकृष्ट भाव में स्थित हो तो पन्ना पहनना ही श्रेयस्कर होता है।
卐 मकर लग्न में बुध षष्ठम व नवम भाव का स्वामी होता है। नवम त्रिकोण में बुध की मूल त्रिकोण राशि में कन्या होती है। साथ ही बुध मकर लग्नके स्वामी शनि का मित्र भी है। इसलिए मकर लग्न वालों के लिए पन्ना अति शुभ और लाभकारी रत्न माना गया है। यदि मकर लग्न वाले पन्ना के साथ नीलम धारण करें तो परम लाभ प्राप्त होता है। यह बुध की महादशा में लाभकारी सिद्ध होगा।
卐 कुम्भ लग्न में बुध पंचम त्रिकोण तथा अष्टम भाव का स्वामी है। इसलिए कुम्भ लग्न वालों के लिए यह शुभ ग्रह माना गया है। बुध की महादशा में इस लग्न के जातकों को पन्ना पहनने से विशेष लाभ होता है। अगर पन्ने के साथ हीरा भी धारण किया जाए तो अच्छे फल की प्राप्ति होती है।
卐 मीन लग्न में बुध चतुर्थ व सप्तम भाव का स्वामी होने के कारण केंद्राधिपति दोष से दूषित है। फिर भी यदि मीन लग्न में बुध लग्न, द्वितीय, पांचवें, नौवें, दसवें या एकादश भाव में स्थित हो अथवा स्वराशि में सातवें भाव में हो तो आर्थिक दृष्टि से बुध की महादशा में पन्ना धारण करना लाभप्रद होता है। लेकिन इस बात की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए कि बुध मीन लग्न के लिए प्रबल मारकेश है। इसलिए जन्मकुंडली के अनुसार, जिसकी आयु पूरी हो रही हो, उसे पन्ना छूना भी नहीं चाहिए क्योंकि बुध आर्थिक लाभ देकर भी मारक ग्रह बन जाता है।
॰ मिथुन राशि - क,की,कु,घ,ड,छ,के,को,ह ।
॰ कन्या राशि - ट,पा,पी,पू,प,ण,ड,पे,पो ।
॰ बुध का मन्त्र - ॐ बुं बुधाय नम:।
* पन्ने के साथ यह रत्न नहीँ पहने - मूँगा ओर मोती ।
• कोई से भी रत्न मन से ना पहने। अपनी राशि या जन्मकुण्डली के अनुसार पहनना ही अती उत्तम रहता हे।
* पुखराज,माणिक्य,पन्ना,नीलम,मूँगा,मोती,गोमेद, लह्सुनीया,मृछ्माणी,मंगल काटा मुक्तामणी, सम्पूर्ण लक्ष्मी एवं कुबेर यंत्र, पारद श्रीयंत्र, सम्पुर्ण यंत्र, रुद्राक्ष, तुलसी, चंदन, स्फटिक माला, स्फटिक श्रीयंत्र एवं रत्न हेतू विद्वान की देखरेख एवं कुण्डली के विश्लेषण के अनुसार ही पहनें व यन्त्र साधना करें