आँखें शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। आँखों के जरिये ही हम बाहरी दुनिया को देख पाते हैं और आँखों के जरिये ही हम प्रकृति में फैले रंगों का लुत्फ़ उठा पाते हैं। जीवन का आनंद उठाने के लिए आँखों का स्वस्थ और सुरक्षित होना अति आवश्यक है। हालांकि आजकल बुजुर्ग ही नहीं बच्चे भी नेत्रों से संबंधित बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। एक शोध के अनुसार, अधिकतर आँखों से संबंधित बीमारियों का कारण असंतुलित खान-पान और टीवी, मोबाईल जैसी चीजों का आवश्यकता से ज्यादा उपयोग करना है। लेकिन इसके साथ ही कुछ ज्योतिषीय कारण भी हैं जिनकी वजह से इंसान को आँखों से संबंधित बीमारियों से जूझना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शरीर का हर अंग किसी न किसी ग्रह से संबंधित माना गया है। इसलिए आपकी कुंडली में जब ग्रहों की दशा या अंतर्दशा चलती है तो उस दौरान उस ग्रह से जुड़े अंग में अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं। इसके साथ ही जन्म कुंडली में अगर कोई ग्रह अनुकूल अवस्था में नहीं है तो उस ग्रह से संबंधित अंग में कमजोरी या किसी प्रकार की बीमारी हो सकती है। हालांकि ज्योतिषीय उपायों से रोगों का इलाज किया जा सकता है। ऐसे में आज हम आपको नेत्रों से जुड़े रोगों के ज्योतिषीय कारण और उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। आँखों से जुड़े रोगों के ज्योतिषीय कारण द्वितीय और द्वादश भाव में ग्रहों की स्थिति यदि आपकी कुंडली के द्वितीय भाव में पाप ग्रह विराजमान हैं या द्वितीय भाव में स्थित ग्रह का किसी पाप ग्रह से संबंध है तो आपको आँखों से जुड़ी बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। ठीक इसी तरह द्वादश भाव में यदि कोई पाप ग्रह है या द्वादशेश का पाप ग्रहों से संबंध है तो आपको आँखों के रोग हो सकते हैं। सूर्य और चंद्रमा की स्थिति यदि आपकी कुंडली में सूर्य और चंद्रमा कमज़ोर अवस्था में हैं और उन पर पाप ग्रहों की दृष्टि है या सूर्य और चंद्रमा द्वादश भाव में युति बना रहे हैं तो आँखों की समस्याएं हो सकती हैं। सूर्य देव को मजबूत करने के लिए स्थापित करें सूर्य यंत्र लग्नेश, द्वितीयेश और शनि की युति यदि आपकी कुंडली के द्वितीय या द्वादश भाव में लग्नेश, द्वितीयेश और शनि की युति हो रही है तो आपकी आँखों के लिए यह अच्छा नहीं है, इसके कारण आपको आँखों से जुड़ी परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है। मंगल-शनि की युति आँखों से जुड़ी समस्या का एक कारण मंगल और शनि की द्वितीय भाव में युति भी है। इस युति के कारण आँखें कमजोर हो सकती हैं। त्रिक भाव में ग्रहों की युति यदि आपकी कुंडली में द्वितीयेश, द्वादशेश, लग्नेश और शुक्रकी युति त्रिक भाव में या द्वितीयेश, सप्तमेश, लग्नेश और चंद्र की युति त्रिक भाव अर्थात 6, 8 और 12वें भाव में हो रही है तो आपको नेत्रों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैें और आप जीवन में बार-बार आँखों से जुड़ी समस्याओं से जूझ सकते हैं। नेत्रों रोगों के ज्योतिषीय उपचार जिस तरह से विज्ञान ने आज आँखों की समस्याओं को दूर करने के लिए कई तरह के यंत्र और दवाईयां बना ली हैं ठीक इसी तरह ज्योतिषविदों ने वर्षों पहले नेत्रों से जुड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय बताए हैं। इन ज्योतिषीय उपायों की मदद से व्यक्ति आँखों से जुड़ी बीमारियों से बच सकता है और अपने जीवन को रंगीन बना सकता है। तो आइए जानते हैं आँखों को दुरुस्त रखने के लिए ज्योतिषीय उपचारों के बारे में। सूर्य देव को जल चढ़ाएं अगर आपको अपनी आँखों को रोशन बनाए रखना है तो धरती पर रौशनी के सबसे बड़े स्रोत सूर्य देव को कुंडली में प्रबल करना होगा। इसके लिए आपको सूर्य की आराधना करनी चाहिए और रोज सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा आप सूर्य देव के बीज मंत्र ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का भी जाप कर सकते हैं। प्रातः उगते हुए सूर्य देव को, जिनकी आभा लाल रंग की हो, नग्न आँखों से देखना नेत्र ज्योति बढ़ाता है। लग्नेश और द्वितीयेश को करें मजबूत आँखों से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए आपको अपनी कुंडली के लग्नेश यानि लग्न के स्वामी और द्वितीयेश यानि द्वितीय भाव के स्वामी को मजबूत करना चाहिए। इसके लिए आपको संबंधित ग्रहों की पूजा और ग्रहों के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए। द्वादशेश ग्रह के मन्त्र जाप द्वारा नेत्र रोग की पीड़ा कम होती है। मुख्य रूप से द्वितीयेश दायीं आँख तथा द्वादशेश बायीं आँख का प्रतिनिधित्व करता है। भगवान् शिव की करें आराधना भगवान शिव यूँ तो अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं लेकिन जिन लोगों को नेत्रों से जुड़ी परेशानियां हैं उन्हें पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान् शिव की आराधना करनी चाहिए। इसके साथ ही शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से भी आँखों से जुड़ी समस्याओं में लाभ मिलता है। इन मंत्रों का जाप करने से मिलते हैं अच्छे फल आँखों से जुड़ी परेशानियों से बचने के लिए ‘ॐ चंद्रशेखराय नमः’ मंत्र का हर रोज जाप करना चाहिए। इसके अलावा चाक्षुषी विद्या मंत्र का पाठ करने से भी आपको लाभ मिलेगा। प्रातः काल हरी घास पर नंगे पांव चलने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
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