*करवाचौथ 20 अक्टूबर को, शहर में रात 07:58 के बाद हो सकेंगे चंद्र दर्शन* कार्तिक कृष्णपक्ष श्रीगणेश चतुर्थी को (करवाचौथ)का व्रत रखा जाता है। करवाचौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, (करक) मिट्टी के पात्र को कहा जाता है, जिसमे महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती है। इस बार 20 अक्टूबर को करवाचौथ व्रत व चंद्रोदय को अर्घ्य दान होगा। शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए महाव्रत की तरह है। चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश को माना जाता है, इस दिन सर्वप्रथम गणेश गौरी, चौथ माता व चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए। महिलाएं दिनभर अपने पति की लम्बी दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करती है,ऐसा करने से चौथ माता अखण्ड सौभाग्यवती का आशीर्वाद देती है। रात में चांद का दीदार करने और छलनी से पति का चेहरा देखने के बाद महिलाएं इस व्रत को पारण करती हैं। ज्योतिषाचार्य शास्त्री के अनुसार *करवाचौथ का महत्व* करवाचौथ के व्रत को लेकर बताया गया है कि इसको करने से न सिर्फ पति की आयु लंबी होती है, बल्कि इस व्रत को करने से विवाहित जीवन की सारी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार *करवाचौथ पूजा मुहूर्त* अभिजीत_ मुहूर्त दोपहर 11:45 से 12:30 तक, शाम_ 05:48 से रात्रि 08:58 तक। करवाचौथ में रोहिणी नक्षत्र में की जायेगी पूजा। रोहिणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में सभी से सौंदर्य व चंद्रमा का अत्यंत स्नेही नक्षत्र होने से करवाचौथ सौभाग्य के लिए विशेष सुखदायी माना जाता है। चंद्रोदय रेवाड़ी समयानुसार रात 07:58 पर चंद्रोदय होगा। शास्त्री के अनुसार *करवाचौथ पर कैसे करें पूजा* श्रृंगार का सामान, चुनरी, चूड़ी, बिंदी, मेंहदी,सिंदूर, छलनी, मिट्टी का बर्तन, गंगाजल, कुमकुम चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, मीठा, कच्चा दूध,घी, आदि सामग्री थाली में रख लें, फिर विधि विधान से पूजन करें व कथा सुनें। *व्रत पारण* पूजा के बाद, चांद को अर्घ्य देने के बाद, अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें।