महालक्ष्मी साधना  

Share

Ravinder Pareek 05th Nov 2020

॥   महालक्ष्मी साधना  ॥

 ऐं ह्रीं श्रीं श्री गुरू पादुकां पूजयामि नमः ।

2 ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री परम गुरू पादुकां पूजयामि नमः ।

3 ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री परात्पर गुरू पादुकां पूजयामि नमः ।

श्री चक्र के बिन्दु पीठ में भगवती शिवा महात्रिपुरसुन्दरी का ध्यान करके योनि मुद्रा का प्रदर्शन करते हुए पुन: इस मन्त्र से तीन बार पूजन करें :- 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्री ललिता महात्रिपुर सुन्दरी श्री विद्या राज राजेश्वरी श्री पादुकां पूजयामि नमः ।

अब श्रीसूक्त का विधिवत पाठ करें :-

ॐ हिरण्यवर्णा हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् । चन्द्रां हिरण्यमयींलक्ष्मींजातवेदो मऽआवह ।।1।।

तांम आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्या हिरण्यं विन्देयंगामश्वं पुरुषानहम् ।।2।।

अश्वपूर्वां रथमध्यांहस्तिनादप्रबोधिनीम् । श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवीजुषताम् ।।3।।

कांसोस्मितां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्वलन्तींतृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मेस्थितांपद्मवर्णा तामिहोपह्वयेश्रियम् ।।4।।

चन्द्रां प्रभासांयशसां ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवीजुष्टामुदाराम् । तांपद्मिनींमीं शरण प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतांत्वां वृणे ।।5।।

आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः । तस्य फ़लानि तपसानुदन्तुमायान्तरा याश्चबाह्या अलक्ष्मीः ।।6।।

उपैतु मां देवसखःकीर्तिश्चमणिना सह । प्रादुर्भूतोसुराष्ट्रेऽस्मिन्कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।। 7।।

क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मींनाशयाम्यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च सर्वा निर्णुद मे गृहात् ।।8।।

गन्धद्वारांदुराधर्षां नित्यपुष्टांकरीषिणीम् । ईश्वरींसर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ।।9।।

मनसः काममाकूतिं वाचःसत्यमशीमहि । पशुनांरुपमन्नस्य मयिश्रीःश्रयतांयशः ।।10।।

कर्दमेन प्रजाभूता मयिसम्भवकर्दम । श्रिय

कर्दमेन प्रजाभूता मयिसम्भवकर्दम । श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।11।।

आपःसृजन्तु स्निग्धानिचिक्लीतवस मे गृहे । नि च देवी मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।12।।

आर्द्रा पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्मालिनीम् । चन्द्रां हिरण्मयींलक्ष्मी जातवेदो मेंआवह ।।13।।

आर्द्रा यःकरिणींयष्टिं सुवर्णा हेममालिनीम् । सूर्या हिरण्मयींलक्ष्मींजातवेदो म आवह ।।14।।

तां मऽआवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वन्विन्देयं पुरुषानहम् ।।15।।

यःशुचिः प्रयतोभूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् । सूक्तमं पंचदशर्च श्रीकामःसततं जपेत् ।।16।। 

इन्हीं मन्त्रों से हवन भी कराया जाए ॥ 

किसी विद्वान ब्राह्मण को बुलाकर प्रतिदिन १०८ पाठ कराया जाए उसका ११ बार प्रत्येक मन्त्र से  हवन कराया जाए ॥ लक्ष्मी घर मैं बैठ जाती है ॥ यह हमने प्रत्यक्ष देखा है।

धन की प्राप्ति के लिए *************इस मंत्र का प्रत्येक दिन कम से कम 108 बार पाठ करें. दिवाली के दिन 1008 बार पाठ करें. याद रखें, इसके लिए उस दिन शुद्धता, सात्विकता, स्वच्छता व शाकाहारी होना जरूरी है. अपना घर स्वच्छ रखें और पीले वस्त्र पहनें.

ग्रंथों में लक्ष्मी, यश-कीर्ति की प्राप्ति और अलक्ष्मी के नाश के उपाय के रूप में कई उपाय मिलते हैं. मंत्र से भी लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है.

'ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमही तन्नो लक्ष्मी देवी प्रचोदयात' 

इस मंत्र का दीपावली के दिन 1008 बार पाठ करें. गृहस्थ को हमेशा कमलासन पर विराजित लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. कमलासना लक्ष्मी की आराधना से इंद्र को देवाधिराज होने का गौरव प्राप्त हुआ था. इंद्र ने लक्ष्मी की आराधना 'कमलवासिन्यै नम:' मंत्र से की थी.  यह मंत्र आज भी अचूक है. दीपावली के मौके पर अपने घर के ईशान कोण में कमलासन पर मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजित कर श्रीयंत्र के साथ यदि उक्त मंत्र से पूजन किया जाये और निरंतर जाप किया जाये, तो चंचला लक्ष्मी स्थिर होती हैं.

दीपावली की रात देवी लक्ष्मी के साथ एकदंत मंगलमूर्ति गणपति की पूजा की जाती है. पूजास्थल पर गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति या तसवीर के पीछे शुभ और लाभ लिखा जाता है व इनके बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है. लक्ष्मीजी की पूजा से पहले भगवान गणेश की फूल, अक्षत, कुमकुम, रोली, दूब, पान, सुपारी और मोदक मिष्ठान से पूजा की जाती है. फिर देवी लक्ष्मी की पूजा भी इसी प्रकार से की जाती है.

कुबेर धन के अधिपति यानि धन के राजा हैं. पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा का एकमात्र उन्हें ही स्वामी बनाया गया है. कुबेर भगवान शिव के परम प्रिय सेवक भी हैं. धन के अधिपति होने के कारण उन्हें मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है. कुबेर मंत्र को उत्तर की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है. अति दुर्लभ कुबेर मंत्र इस प्रकार है-

'ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:'

इस मंत्र का दीपावली के दिन 1008 बार पाठ करें.

किसी उच्च कोटि महात्मा के बताया हुवा है

और कई लोगों को भी करवाया है...

 "श्री सूक्त "

नाम तो सभी जानते ही होंगे 

ये प्रयोग केवल दीवाली की रात में करना होता है...

इसके लिये कम से कम 2विद्वानो का सहयोग

 चाहियेगा..सपत्नीक पूर्व या उत्तर की ओर मुख करना है 

.पवित्रीकरण..आसन शुद्धि...संकल्प....गणेशअम्बिका  पूजन..कलश पूजन आदि करके 

हवन कुंड में विधि पूर्वक अग्नि स्थापन करके...हवन प्रारंभ करें...गौ का घी...बेलपत्र...से आहुति देनी है..

प्रत्येक मन्त्र को शुध्द उचारण 

करते हुए....विल्वपत्र को घी चुपड कर विल्वपत्र की आहुति दें..

दिवाली की सम्पूर्ण रात्रि 

ये हवन चलेगा...ये एक दिन का ही प्रयोग है 

जिस पे भगवती की कृपा होगी वही कर पायेगा.इस को....

ये प्रयोग करने के 6 महीने के अंदर आप हर तरह से समृध्द होंगे...

ये प्रयोग  किसी किताब से नहीं लिया बल्कि मेरे गुरुदेव जी ने मुझे बताया ओर मैंने स्वयम किया है। लाभांतिक हु


Like (3)

Comments

Post

Thanks you sir


Important and useful article


Chuninda artical


Lajawab artical


Chander Mukhi

Thanks sir ji


Chander Mukhi

Bindas


Chander Mukhi

Well done


Chander Mukhi

Good job


Chander Mukhi

🍀💐🌼🌸🥀


Chander Mukhi

🏵️🌹🥀🌷🌼


Chander Mukhi

😉🐡🥀🌼🌺🌷🌼🏵️


Chander Mukhi

👍👍👌


Chander Mukhi

🙏🙏


Chander Mukhi

Thanks


Chander Mukhi

Nice article


Chander Mukhi

Jai lakshmi maa


Suman Sharma

Jai lakshmi mata


Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।

Top