गण दोष, देव, मनुष्य,राक्षस
Shareगण दोष-- देव्, मनुष्य व राक्षस--- उच्च विचार वालों की संगति से ऊँचाई प्राप्त की जा सकती है(देव् गण), समान श्रेणी के मनुष्यों की संगति से स्थिति उत्तम रहती है www.futurestudyonline.com
ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री
( मनुष्य गण) व तुच्छ विचार वालों की संगति से मनुष्य की बुद्धि भी तुच्छ हो जाती है( राक्षस गण) --- महाभारत । देव् गणवाले बुद्धि से विचार करते है, मनुष्य गण वाले हृदय से विचार करते है व राक्षस गण वालों के विचार न बुद्धि से होते है न हृदय से। वह तो भोगों में ही लिप्त रहते है। Astro Ajay Shastri खल बिनु स्वारथ पर अपकारी, अहि मूषक इव सुनु उरगारी--
जिस प्रकार सांप व चूहे में शत्रुता नहीं होती, फिर भी बिना लाभ के दूसरों की हानि करते हैं, उसी प्रकार नीच मनुष्य भी बिना स्वार्थ के दूसरों की हानि करते है।
ज्योतिष में सर्प व नेवले में शुत्रता होती है, परन्तु सर्प व चूहे में नहीं। जब वर व कन्या के गुण मिलाते है तो
शुत्र मित्र देखा जाता है। अगर सर्प व चूहे से योग बनता है, विवाह होता है तो, बिना कारण झगड़े रहते है।
ॐ हरि ॐ।