🌞🌞🌞🌞🌞🌞 *क्या पंचकों में शुभ कार्य नही करना चाहिऐ... क्यों ❓❓* 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 कई लोगों से अक्सर सुना होगा... पंचक लग रहैं और ये सुनकर डर जाते हैं कि इन पाँच दिनों कोई शुभ कार्य नहीं करना हैं.... परंतु सायद ये भ्रम हैं पंचकों के भी कई भेद हैं एवं उसके अनुसार पंचकों में भी .. कई कार्य प्रारम्भ करना बहुत शुभ और सफल हो सकते है.... एवं कई प्रकार के कार्य बहुत ही अशुभ भी हो सकते हैं।। तो आज चर्चा करते हैं पंचको के शुभाशुभ परिणाम और प्रकारों पर........ *वार अनुसार पंचक परिणाम:-* *1. रोग पंचक* - रविवार के दिन से शुरू होने वाले पंचक रोग पंचक कहलाता है, इसके प्रभाव से ये पाँच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते है | इस समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं करने चाहिये, हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना जाता है | *2- राज पंचक* - सोमवार से शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहते है, ये पंचक शुभ माने जाते है | इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है, राज पंचक में सम्पत्ति से जुड़े कार्य करना भी शुभ रहता है | *3 - अग्नि पंचक* - मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है | इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किये जा सकते है | इस पंचक में अग्नि का भय होता है| इन पंचकों में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरूआत को अशुभ माना जाता है | *4- चोर पंचक* -शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है| इन दिनों में यात्रादि करने की सख्त मनाही है व इन दिनों में लेनदेन व्यापार और किसी भी तरह के सौदे-समझौते नहीं करने चाहिये मना किये कार्य करने से धनहानि, धोके, और चोरी हो सकती है | *5- मृत्यु पंचक* -शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है | इसके नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर कष्टदायी होता है | इन पाँच दिनों में जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिये, इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है | *6-सामान्य* - इसके अलावा बुधवार और गुरूवार को शुरु होने वाले पंचक में ऊपर दी गयी बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया हैं| इन दो दिनों में शुरू होने वाले पंचकों मैं इन कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किये जा सकते है |👇👇 *पंचकों में कौन से कार्य नहीं करने चाहिये....* *1-* पंचक में चारपाई बनाना अच्छा नहीं माना जाता है, विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है | *2-* पंचक के दौरान जिस समय धनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास-फूस, लकड़ी आदि जलने वाली वाली वस्तुऐं इकट्ठी नहीं करनी चाहिये | अर्थात काष्ट संग्रह नहीं करना चाहिये | *3 -* पंचक के दौरान दक्षिण की यात्रा नहीं करनी चाहिये | क्योकि दक्षिण दिशा में काल का वास होता है, इस समय दक्षिण की यात्रा को हानिकारक माना गया है | *4-* पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र हो तब छत का निर्माण नहीं करना चाहिये | इस समय अगर छत का निर्माण किया गया तो धन हानि और घर में क्लेश बना रहता है | *5-* पंचकों में शव का दाह संस्कार (अंतिम संस्कार) नहीं करना चाहिये | अगर ऐसा करना ही पड़े तो किसी योग्य पंडित से विधी विधान से पंचक शान्ति कराकर ही करें | *पंचक के नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव:-* 1 - धनिष्ठा नक्षत्र में आग लगने का भय रहता है | 2 - शतभिषा में वाद विवाद होने का भय रहता है | 3 - पूर्वा-भाद्रपद नक्षत्र रोग कारक होता है | 4 - उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र में धनहानि के योग बनते है | 5 - रेवती नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने संभावनाऐं प्रबल रहती है | *पंचक के नक्षत्रों में कौन से शुभ कार्य किये जा सकते है:-* धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा-भाद्रपद, उत्तरा-भाद्रपद व रेवती नक्षत्र में व्यापार, मुंडन, सगाई, विवाह आदि कार्यों के लिऐ शुभ माने गये है | *पंचक के नक्षत्रों के शुभ फल:-* १. धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्रों को चर संज्ञक माना गया है, इसमें चलित कार्यों को शुभ माना गया है, जैसे वाहन खरीदना, यात्रा करना, मशीनरी संबन्धित कार्य करना शुभ होता है | २. उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र स्थिर संज्ञक माना जाता है | स्थिरता वाले कार्य करना शुभ होता है जैसे~ जमीन खरीदना, गृह-प्रवेश करना, फल वाले वृक्ष के बीज बोना, शान्ति पूजन का कार्य करना | ३. रेवती नक्षत्र मैत्री संज्ञक माना जाता है, इसमें कपड़े से संबन्धित सौदा करना, किसी वाद-विवाद का निपटारा करना व गहने खरीदना शुभ होता है | *अतः पंचकों से डरने की ही नहीं... समझने की आवश्यकता है।*