मकर संक्रांं‍ति पूजन व‍िध‍ि

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Astro Brajesh Shastri 13th Jan 2022

*मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व*

👉🏻शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।

मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व  की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की. इस समय सूर्य उत्तरायण होता है अतः इस समय किये गए जप और दान का फल अनंत गुना होता है मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी।
          
*मकर संक्रांं‍ति पूजन व‍िध‍ि*
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भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। पानी में तिल मिलाकार स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। इस द‍िन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है।इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पंचोपचार विधि से पूजा-अर्चना करनी चाहिए इसके बाद यथा सामर्थ्य गंगा घाट अथवा घर मे ही पूर्वाभिमुख होकर यथा सामर्थ्य गायत्री मन्त्र अथवा सूर्य के इन मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करना चाहिये।

मन्त्र 👉  १- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:

*२-*  ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम: 

पूजा-अर्चना में भगवान को भी तिल और गुड़ से बने सामग्रियों का भोग लगाएं। तदोपरान्त ज्यादा से ज्यादा भोग प्रसाद बांटे।

इसे घर में बनाए या बाजार में उपलब्ध तिल के बनाए सामग्रियों का सेवन करें। इस पुण्य कार्य के दौरान किसी से भी कटु शब्द बोलना अच्छा नहीं माना गया है। 

मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उनका तर्पण जरूर करना चाहिए।

*राशि के अनुसार दान योग्य वस्तु*
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मेष🐐 गुड़, मूंगफली दाने एवं तिल का दान करें। 

वृषभ🐂 सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दान करें। 

मिथुन👫 मूंग दाल, चावल एवं कंबल का दान करें। 

कर्क🦀 चावल, चांदी एवं सफेद तिल का दान करें। 

सिंह🦁 तांबा, गेहूं एवं सोने के मोती का दान करें। 

कन्या👩 खिचड़ी, कंबल एवं हरे कपड़े का दान करें। 

तुला⚖️ सफेद डायमंड, शकर एवं कंबल का दान करें। 

वृश्चिक🦂 मूंगा, लाल कपड़ा एवं तिल का दान करें। 

धनु🏹 पीला कपड़ा, खड़ी हल्दी एवं सोने का मोती दान करें। 

मकर🐊 काला कंबल, तेल एवं काली तिल दान करें। 

कुंभ🍯 काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी एवं तिल दान करें।
 
मीन🐳 रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल एवं तिल दान करें।
    
*कुछ अन्य उपाय*
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सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण है
👉  कहते हैं इसी त्यौहार पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं
👉 अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति ख़राब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं
👉 यदि परिवार में रोग कलह तथा अशांति हो वहां पर रसोई घर में ग्रहों के विशेष नवान्न से पूजा करके लाभ लिया जा सकता है
👉 पहली होरा में स्नान करें,सूर्य को अर्घ्य दें
👉 श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें,या गीता का पाठ करें
👉 मनोकामना संकल्प कर नए अन्न,कम्बल और घी का दान करें
👉 लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें
👉 सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें
मंत्र  "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"
👉 संध्या काल में अन्न का सेवन न करें
👉 तिल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें
👉 शनि देव के मंत्र का जाप करें
👉 मंत्र  "ॐ प्रां प्री प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
👉 घी,काला कम्बल और लोहे का दान करें।

*मकर संक्रांति 14 जनवरी को,*
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मकर संक्रांति का त्योहार हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है। बीते कुछ वर्षों से मकर संक्रांति की तिथि और पुण्यकाल को लेकर उलझन की स्थिति बनने लगी है। आइए देखें कि यह उलझन की स्थिति क्यों बनी हैं और मकर संक्रांति का पुण्यकाल और तिथि मुहूर्त क्या है। दरअसल इस उलझन के पीछे खगोलीय गणना है। गणना के अनुसार हर साल सूर्य के धनु से मकर राशि में आने का समय करीब 20 मिनट बढ़ जाता है। इसलिए करीब 72 साल के बाद एक दिन के अंतर पर सूर्य मकर राशि में आता है। ऐसा उल्लेख मिलता है कि मुगल काल में अकबर के शासन काल के दौरान मकर संक्रांति 10 जनवरी को मनाई जाती थी। अब सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 और 15 के बीच में होने लगा क्योंकि यह संक्रमण काल है।

👉🏻साल 2012 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को हुआ था इसलिए मकर संक्रांति इस दिन मनाई गई थी। पिछले कुछ वर्षों में मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई गयी ऐसी गणना कहती है। इतना ही नहीं करीब पांच हजार साल बाद मकर संक्रांति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनाई जाने लगेगी

*ज्योतिषीय गणना एवं मुहुर्त के अनुसार*
 सूर्य सक्रान्ति समय से 16 घटी पहले एवं 16 घटी बाद तक का पुण्य काल होता है निर्णय सिन्धु के अनुसार मकर सक्रान्ति का पुण्यकाल सक्रान्ति से 20 घटी बाद तक होता है किन्तु सूर्यास्त के बाद मकर सक्रान्ति प्रदोष काल रात्रि काल में हो तो पुण्यकाल दूसरे दिन माना जाता है। 
*मकर संक्रांति 2022 का शुभ मुहूर्त-*
14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में  दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति का पुण्य काल 3 घंटा 02 मिनट का है। जो दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 45 मिनट तक है। मकर संक्रांति का महापुण्य काल 01 घंटा 45 मिनट का है जो दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शाम 4 बजकर 28 मिनट तक है।
*मकर संक्रांति फल-*
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वेदों में सूर्य उपासना को सर्वोपरि माना गया है। जो आत्मा, जीव, सृष्टि का कारक एक मात्र देवता है जिनके हम साक्षात रूप से दर्शन करते है। सूर्य देव कर्क से धनु राशि में 6 माह भ्रमण कर दक्षिणयान होते है जो देवताओं की एक रात्रि होती है। सूर्य देव मकर से मिथुन राशि में 6 माह भ्रमण कर उत्तरायण होते है जो एक दिन होता है। जिसमें सिद्धि साधना पुण्यकाल के साथ-साथ मांगलिक कार्य विवाह, ग्रह प्रवेश, जनेउ, संस्कार,
देव प्राण, प्रतिष्ठा, मुंडन कार्य आदि सम्पन्न होते है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते है इस सक्रमण को मकर सक्रान्ति कहा जाता है जिसमें स्वर्ग के द्वार खुलते है।

संक्रांति शुभ होगी या अशुभ इसका विचार उसके वाहन एवं उपवाहन से किया जाता है। फिर उसका नाम भी रखा जाता है और फिर देखा जाता है कि वह देश-दुनिया के लिए कैसी रहेगी। माना जाता है कि संक्रांति जो कुछ ग्रहण करती है, उसके मूल्य बढ़ जाते हैं या वह नष्ट हो जाता है। वह जिसे देखती है, वह नष्ट हो जाता है, जिस दिशा से वह जाती है, वहां के लोग सुखी होते हैं, जिस दिशा को वह चली जाती है, वहां के लोग दुखी हो जाते हैं।

इस वर्ष संक्रांति के प्रवेश समय मकर लग्न में पाँच ग्रहों की युति संसार भर में कही शुभ और कही अशुभ फल प्रदान करेगी। वाहन, दृष्टि सहित मकर संक्रांति के स्वरूप के अनुसार जमाखोर, चोर, लोभी, धूर्त और ठग के कार्यों से जनता त्रस्त रहेगी। अजा, अजजा, अल्पसंख्यक, निर्धन, असहाय, वरिष्ठ नागरिक, महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनेंगी। संगीतकार, अभिनेता और निर्माताओं के लिए कष्टप्रद रहेगी, वहीं भवन निर्माण, फर्नीचर, लकड़ी, खनिज संपदा, धातु के दामों में बेतहाशा वृद्धि होगी। नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप रहेगा और कई उग्र आंदोलन भी होंगे। उद्योगपतियों, व्यापारियों, आयात निर्यात करने वालो, शेयर कारोबारियों के लिये सुख फलदायक है। संक्रांति का पश्चिम दिशा की और गमन होगा। जिसके प्रभाव से देश के पश्चिमी प्रांतों के लिए कष्टकारक योग बनेगें। संक्रान्ति रात्रि अर्धभाग व्यापिनी होने से आतंकवादियों, हिसंक
प्रवृत्ति वालों, देश द्रोहियों के लिये कष्ट कारक रहेगी।

*मकर संक्रांति के वाहनादि परिचय*
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नाम👉 मन्द
वार मुख👉 उत्तर
दृष्टि👉 ईशान
गमन👉 दक्षिण
वाहन👉 सिंह
उपवाहन👉 गज
वस्त्र👉 श्वेत
आयुध👉 भुशुण्डी
भक्ष्य पदार्थ👉 अन्न
गन्ध द्रव्य👉 कस्तूरी
वर्ण👉 देवता
पुष्प👉 नाग्केश्वर
वय👉 शिशु
अवस्था👉 पन्थ्
करण👉 मुख पूर्व
स्थिति👉 बैठी
भोजन पात्र👉 सुवर्ण
आभूषण👉 नुपुर
कन्चुकी👉 विचित्र

*मकर संक्रांति 2022 का शुभ मुहूर्त-*

14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में  दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति का पुण्य काल 3 घंटा 02 मिनट का है। जो दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 45 मिनट तक है। मकर संक्रांति का महापुण्य काल 01 घंटा 45 मिनट का है जो दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शाम 4 बजकर 28 मिनट तक है।

*मकर-संक्रांति का राशि अनुसार फल*
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मेष-इष्ट  सिद्धि होगी 
वृषभ- धर्म लाभ होगा 
मिथुन- शारीरिक कष्ट रहेगा 
कर्क- सम्मान में वृद्धि होगी 
सिंह- भय व चिन्ता रहेगी 
कन्या- धन वृद्धि होगी 
तुला- कलह व मानसिक चिंता रहेगी 
वृश्चिक- धनागम व सुख-शांति प्राप्त होगी 
धनु- धन लाभ होगा 
मकर- स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होगी 
कुंभ- लाभ होगा 
मीन- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी
बृजेश कुमार शास्त्री


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BrajeshShastri

जय श्री राम


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यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।

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