श्रीरामचन्द्राष्टकम्

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Ravinder Pareek 20th Oct 2020

*श्रीरामचन्द्राष्टकम्-२*

सुग्रीवमित्रं परमं पवित्रं
सीताकलत्रं नवमेघगात्रम्।
कारुण्यपात्रं शतपत्रनेत्रं
श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि॥१॥

संसारसारं निगमप्रचारं
धर्मावतारं हृतभूरिभारम्।
सदा निर्विकारं सुखसिन्धुसारं
श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि॥२॥

लक्ष्मीविलासं जगतां निवासं
भूदेववासं शरदिन्दुहासम्।
लंकाविनाशं भुवनप्रकाशं
श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि॥३॥

मन्दारमालं वचने रसालं
गुणैर्विशालं हृतसप्ततालम्।
क्रव्यादकालं सुरलोकपालं
श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि॥४॥

श्यामाभिरामं नयनाभिरामं
गुणाभिरामं वचनाभिरामम्।
विश्वप्रणामं कृतभक्तकामं
श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि॥५॥

वेदान्तवेद्यं सकलैश्चमान्यं
हृतारिमानं क्रतुषु प्रधानम्।
गजेन्द्रपालं विगताभिमानं
श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि॥६॥

लीलाशरीरं रणरङ्गधीरं
विश्वैकवीरं रघुवंशधीरम् ।
गंभीरनादं जितसर्ववादं
श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि॥७॥

अघेऽतिभीतं सुजने विनीतं
तमोविहीनं मनुवंशदीपम्।
ताराप्रगीतं व्यसने च मित्रं
श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि॥८॥

रामचन्द्राष्टकं पुण्यं
प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
कोटिजन्मकृतं तस्य
पापं सद्यो विनश्यति ॥९॥   


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Chander Mukhi

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Chander Mukhi

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Dhnyawad sir ji


रामचन्द्राष्टकं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत्। कोटिजन्मकृतं तस्य पापं सद्यो विनश्यति ॥९॥


Suman Sharma

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श्रीरामचन्द्राष्टकम्


Suman Sharma

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