अपने आप को पहचानना होगा कि हम और आप ज्योतिष हैं या नक्षत्रसूची । हमें पुरा भरोषा है कि नक्षत्रसूची का अर्थ भी हमलोगों को नहीं पता ।
साधारण शब्दों में यदि नक्षत्रसूची का अर्थ कहें तो पाखंडी कहना ही उचित है । हमारे साथ-साथ हम जैसे ज्योतिषियों से जुड़ने वाले सभी जिज्ञासुओं को समझना होगा कि हम ज्योतिष के संपर्क में हैं या किसी नक्षत्रसूची के संपर्क में ।
नक्षत्रसूची कि विषय में बृहत्संहिता में लिखा गया है -
अविदित्वैव यः शास्त्रं दैवज्ञत्वं प्रपद्यते ।
स पंक्तिदूषकः पापो ज्ञेयो नक्षत्रसूचकः ।।
जो पुरूष ज्योतिषशास्त्र को जाने बिना दैवज्ञ बन जाय, उस पापात्मा पंक्तिदूषक को ही नक्षत्रसूची जानना चाहिए ।
बृहत्संहिता में सिर्फ और सिर्फ ज्योतिष के ही विषय में लिखा गया है लेकिन हमें अब पुस्तकों से वास्ता कहां पड़ता हम और आप तो सुनी-सुनायी बातों को ही बांच कर ज्योतिष बन बैठे हैं । पीयुषधारा में लिखा है ”परावाक्येन वर्तन्ते ते वै नक्षत्रसुचकाः” ।
अब आप और हम जरूर समझ चुके होंगे कि ज्योतिष किसे कहते हैं और नक्षत्रसूची कौन है । अर्थ के युग में अर्थ की आवश्यक्ता हम सभी को है पर कितना है इसका पता किसी को नहीं है और प्राप्त करने के लिए हमारे पास सामर्थ्य है कि नहीं इसकों समझना नहीं चाहते और झुठ-फरेब का सहारा लेकर अपने इस जन्म को तो नरकीय बनाते ही हैं वेद ज्ञाता दैवज्ञ कहलाते हुए भी पुनर्जन्म से मुक्ति के लिए अभ्यास भी नहीं करते ।
यदि हम और आप नक्षत्रसूची हैं तो आज से ही कुछ न कुछ ज्योतिष ज्ञान को हासिल करने का प्रयास करें ताकि नक्षत्रसूची पापत्मा बनकर पाप के भागी न बनें ।
अपने कल्याण के बाद ही हमसभी औरों का कल्याण कर सकेंगे, अपने-आप को भटकाकर दुसरों को मार्ग दिखाना संभव नहीं हैं ।
उम्मीद करते हैं हम-आप में से कोई नक्षत्रसूची बनकर न रहें ।
धन्यवाद !