कन्या लग्न, बुध प्रधान लग्न है। यह द्विस्वभाव लग्न होने से जातक का मन एक जगह स्थिर नहीं रहता। यदि वे एक मत होकर कार्य करें तो प्रत्येक क्षेत्र में अच्छी सफलता पाने वाले होते हैं। बुध प्रधान लग्न होने के कारण उनका बौद्धिक स्तर अच्छा होता है। इनमें सोचने-समझने की शक्ति उत्तम होती है।
लग्नेश की स्थिति दशम भाव में हो तो ऐसे जातक अपने पिता के सहायक होते हैं। पिता के व्यापार में सहयोगी होने के साथ-साथ अच्छी सफलता पाने वाले होते हैं। बुध स्वराशिस्थ होने से पंचमहापुरुष योग में से एक भद्र योग बनाता है। ये राजनीति में हो तो शिखर तक पहुँचना इनके लिए कोई मुश्किल कार्य नहीं है।
सर्विस में हों तो अच्छे कार्यकुशल होते है। अक्सर लिखा-पढ़ी वाले कार्यों में सफलता मिलती है। बुध यदि द्वादश भाव में हो तो अपने मित्र सूर्य की सिंह राशि में होगा एवं बुध उच्चाभिलाषी होने से इनकी आकांक्षाएँ भी ऊँची होंगी। ये बाहर रहकर या विदेशों में भी रहकर अच्छी सफलता पाते हैं। गुरु-बुध साथ होने पर अपने जीवनसाथी से अच्छा सहयोग मिलता है और माता से भी लाभ पाने वाला होता है। ये अक्सर शासकीय सर्विस में या मैनेजमेंट में होते हैं।कन्या लग्न, बुध प्रधान लग्न है। यह द्विस्वभाव लग्न होने से जातक का मन एक जगह स्थिर नहीं रहता। यदि वे एक मत होकर कार्य करें तो प्रत्येक क्षेत्र में अच्छी सफलता पाने वाले होते हैं। बुधप्रधान लग्न होने के कारण उनका बौद्धिक स्तर अच्छा होता है।पंचमेश शनि त्रिकोण व षष्टेश होने से इतना शुभ फलदायी नहीं रहता है, फिर भी शनि की पंचम भाव में स्थिति उस जातक को शनै:-शनै: सफलता दिलाती है। ऐसे जातक विद्या में सफल होते हैं, लेकिन बाधाएँ अवश्य आती रहती हैं। धन कुटुम्ब से ऐसे जातक पूर्ण कहे जा सकते हैं। लग्नेश बुध साथ हो तो विद्या के क्षेत्र में अच्छी सफलता पाने वाले होते हैं और लक्ष्मी पुत्र होते हैं।शुक्र का भी साथ मिल जाए तो इनके यहाँ लड़का व लड़की दोनों ही होते हैं और इनकी संतान भाग्यशाली होती है। विद्या में अग्रणी चिकित्सक या इंजीनियरिंग में अच्छी सफलता पाने वाले होते हैं। धन की इन्हें कमी नहीं रहती। शनि की शुक्र स्थिति नवम् द्वादश में उत्तम रहती है। शुक्र इनके लिए सर्वाधिक कारक होता है।
भाग्येश त्रिकोण में सबसे बली नवम् भाव को माना गया है। भाग्येश भाग्य में हो तो ऐसे जातकों का भाग्य सदैव साथ देता रहता है। शुक्र द्वितीय धन भाव में हो तो भाग्येश धन में होने से धन की कमी महसूस नहीं रहती।
द्वितीयेश मार्केश होता है, लेकिन त्रिकोणेश में बली त्रिकोणेश होने से शुक्र मार्केश नहीं होता है। इनकी आवाज मधुर होती है। शुक्र के साथ शनि होकर नवम् भाव में हो तो ये सफल चिकित्सक बन सकते हैं या इंजीनियर भी हो सकते हैं। इन्हें ऑटोमोबाइल या कम्प्यूटर साइंस में भी अच्छी सफलता मिल सकती है। ये अच्छे नेत्र सर्जन भी हो सकते हैं। शुक्र की स्थिति पंचम, सप्तम में द्वितीय भाव में शुभ रहती है।आज कल शनि की ढैया चल रही है कन्या वालो पे।रह रह कर काम बिगड़ जा रहा है।पैसे डूबते जा रहे है अधिक मेहनत के बाद भी लाभ नही मिल रहा होगा।गुरु का गोचर तुला में कन्या वालो की जमा पूंजी तोड़ रहा है।धन का व्यय और व्यथ व्यय हो रहा है।पैसा टिकता नही उधार अधिक।मानसिक अशांति बढ़ रही होगी।ये सामान्य विश्लेषण है पूर्ण विश्लेषण के लिए भाव ,नक्षत्र,दशा अनिवार्य है।
अपनी कुंडली के दशा महादशा के अककॉर्डिंग उचित उपाय करें।
दीक्षा राठी