शादी कितनी आयु में होगी,जल्दी होगी अथवा देरी से होगी
Share
11th Sep 2017
कुंडली द्वारा जाने किस जातक का विवाह किस आयु में सम्पन होगा,
> जब जन्म कुण्डली में सप्तम भाव और सप्तमेश बलवान हो तथा लग्न या द्वितीये भाव अथवा सप्तम भाव या
एकादश भाव में सप्तमेश विराजमान हो हो तो ऐसे जातको का विवाह 20 -22 वर्ष की आयु में हो जाता है,
> जब जन्मकुंडली में सप्तमेश बलवान हो तथा शुक्र केंद्र अथवा त्रिकोण में विराजमान हो तो लड़के के विवाह का
योग 24 -26 वर्ष में बनता है,
इसी प्रकार कन्या लड़की की कुण्डली में सप्तमेश बलवान हो गुरु केन्द्र अथवा त्रिकोण में विराजमान हो तो कान्या के
विवाह का योग 22 -24 वर्ष में बनता है,
> यदि जन्मकुण्डली में चन्द्रमा सातवे स्थान में,शुक्र तथा सप्तमेश एकादश भाव में हो तो जातक का विवाह 27 -28 वे वर्ष में होता है ,
> यदि लड़की की कुण्डली में गुरु चन्द्रमा से सातवे स्थान में हो तो उस कन्या का विवाह बिना किसी बढ़ा के 22 -24 वर्ष के बीच होता है,
>यदि जन्मकुंडली में सप्तमेश मित्र राशि स्वराशि,उच्च राशि में सप्तम भाव में बुध के साथ विराजमान हो तो ऐसे
जातक का विवाह 28 -30 वर्ष की आयु में सम्पन्न होता है,
> यदि जन्म कुण्डली में मंगल लग्न अथवा चतुर्थ अथवा सप्तम या अष्टम अथवा द्वादश में विराजमान हो तो जातक
का विवाह 28 से 30 की आयु में सम्पन्न होता है,
> यदि जन्म कुंडली में मंगल लग्न चतुर्थ,सप्तम,अष्टम,अथवा द्वादश भाव में हो तथा सप्तमेश नीच,अथवा शत्रु राशि
में हो तो ऐसे जातक का विवाह बहुत मुश्किल से अथवा विरोध और परेशानियों के बाद,बड़ी आयु की स्त्री अथवा बड़े
आयु के पुरुष से होता है,और वैवाहिक जीवन प्रभावित रहता है विवाह 30 -35 वर्ष में होता है,
> यदि जन्म कुण्डली में लग्न भाव,द्वितीये भाव,अथवा सप्तम भाव में नीच या शत्रु राशि का ग्रह विराजमान हो तो
जातक के विवाह कार्य में अनेक प्रकार की बाधा आती है,तमाम कोशिशो के बाद भी विवाह 28 -30 वर्ष की आयु के बाद
ही हो पाता है,
> अगर जन्मकुण्डली में लग्नेश सप्तम भाव में तथा सप्तमेश लग्न में विराजमान हो दोनों ग्रह अपनी अपनी उच्च
अथवा मित्र राशि में हो तो ऐसे जातक का विवाह बड़े आराम से 18 -20 वर्ष की आयु में हो जाता है,
[ किस ग्रह की दशा में विवाह होगा ]
>सप्तमेश के साथ यदि कोई ग्रह हो तो उस ग्रह की दशा अथवा अंतर्दशा में विवाह कार्य पूर्ण होता है,
> सप्तम भाव में विराजमान ग्रह जब मित्र राशि,स्वराशि,स्वयग्राही अथवा उच्चराशि में हो तो उसकी दशा अथवा अंतर्दशा में विवाह कार्य पूर्ण होता है,
> दशमेश अथवा अष्टमेश मित्र राशि में अथवा उच्च राशि में अथवा सम राशि में में होकर बलवान हो तो उसकी दशा
अथवा अंतर्दशा में भी विवाह सम्पन होता है,
> लड़के की जन्मकुंडली में शुक्र जिस राशि में स्थित है उस राशि का स्वामी जन्मकुण्डली में त्रिक भाव में यदि न हो तो
उस गृह की दशा अथवा अंतर्दशा में जातक का विवाह सम्पन्न हो सकता है,
> धन भाव का स्वामी जिस राशि में हो, उस राशि के स्वामी की दशा या अन्तर्दशा जब आती है तो विवाह कार्य पूर्ण होता है,