*देव उठनी एकादशी से विवाह मुहूर्त होंगे शुरू*
कार्तिक शुक्लपक्ष एकादशी शुक्रवार 4 नवंबर से सावा शुरू हो जाएंगे, देव उठनी एकादशी को लोकाचार में अबूझ सावा कहा गया है, इसमें बिना मुहूर्त देखे विवाह कर सकते है। लेकिन इस बार शुक्रास्त होने से विवाह नहीं होंगे।
शास्त्रों के अनुसार केवल साढ़े तीन मुहूर्त ही मान्य है.. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, विजया दशमी और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा।
लेकिन लोकाचार में चार मुहूर्त मान्य है...आषाढ़ शुक्ल भड़लिया नवमी, देव उठनी एकादशी, माघ शुक्ल वसंत पंचमी, फाल्गुन शुक्ल फुलेरा दोज, आदि लोकाचार्य में मुहूर्त में मान्य है।
ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं फिर कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को जागते हैं। इसलिए देव उठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
देव उठनी एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने की परंपरा है, तुलसी भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है।
इसदिन से विवाह संस्कार,यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
*विवाह मुहूर्त* 04 नवंबर अबूझ सावा व 28 नवंबर।
*दिसंबर* 2,3,7,8,9 और 14 दिसंबर को अंतिम सावा होगा। फिर 16 दिसंबर से मकर संक्रांति रहेगा खरमास में विवाह वर्जित है। फिर मकर संक्रांति के बाद शुरु होंगे विवाह मुहूर्त।
*8 नवंबर को वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण*
महाविद्याक्षरा ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री ने बताया है।
8 नवंबर को चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले से मान्य होगा। सूतक में बालक, वृद्ध, रोगी को छोड़कर सभी लोगों के लिए भोजन निषिद्ध है।
गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए।
कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार खग्रास चंद्रग्रहण भारतीय समयानुसार 2:39 से शाम 6:19 तक होगा। *लेकिन रेवाड़ी शहर में चंद्रोदय के साथ शाम 5:30 शुरू होगा चंद्रग्रहण मोक्ष शाम 6:19 पर होगा।*
पूर्वी संभागों में अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल, बिहार,झारखंड, शेष भारत पश्चिमी,उत्तरी एवं दक्षिणी सभी अन्य क्षेत्रों में खण्डग्रास चंद्र ग्रहण देखा जा सकेगा इस ग्रहण को अमेरिका, हिंद महासागर,आस्ट्रेलिया एशिया आदि देशों में देखा जा सकेगा। शास्त्री जी के अनुसार चंद्रग्रहण मेषराशि भरणी नक्षत्र में होने वाला है।अतः इन राशि नक्षत्र वाले जातकों को हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड, महामृत्युंजय मंत्र आदि का जप करना चाहिए।
ग्रहणकाल में जपा गया मंत्र सिद्धप्रद होता है।
धर्म शास्त्रीय बचनों अनुसार धार्मिक कृत्य दान आदि करना चाहिए।