हिंदू पंचांग और ज्योतिष गणना के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2021 को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के पर्व का लोग वर्षभर इंतजार करते हैं. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, पूजा और दान का विशेष महत्व बताया गया है.
सूर्य का किसी विशेष राशि में जाना या गोचर करना सक्रांति कहलाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो उसे मकर सक्रांति कहा जाता है सूर्य लगभग 1 महीने तक एक राशि में रहते हैं और 1 महीने के बाद वह दूसरी राशि में गोचर करते हैं और कुल मिलाकर 12 राशियां होती है तो वर्ष में 12 सक्रांति होती है जब सूर्य जनवरी के समय मकर सक्रांति में उत्तरायण होते हैं तो उसे देवताओं का समय कहा जाता है उत्तरायण सूर्य को बेहद शुभ माना जाता है.
मकर संक्रांति पर ग्रह स्थिति व ज्योतिषीय संयोग---
मकर संक्रांति का पर्व इस वर्ष वृहस्पतिवार को पड़ रहा है. देव गुरु बृहस्पति मकर राशि में ही विराजमान रहेंगे. इसलिए इसे एक विशेष संयोग के तौर भी देखा जा रहा है.मकर संक्रांति पर इस बार विशेष 5 ग्रही संयोग बनने जा रहा है. मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर मकर राशि में 5 ग्रह एक साथ विराजमान रहेंगे. मकर संक्रांति पर मकर राशि में सूर्य, शनि, बृहस्पति, बुध और चंद्रमा का गोचर रहेगा.
क्यों मनाया जाता है मकर सक्रांति का पर्व,धार्मिक पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व----
अब जानेंगे कि मकर सक्रांति का धार्मिक पौराणिक और ज्योतिष से क्या संबंध है ज्योतिष शास्त्र मे सूर्य और शनि का संबंध इस पर्व से होने से यह पर्व काफी महत्वपूर्ण है ऐसा माना जाता है कि सूर्य इस त्यौहार पर अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं क्योंकि मकर राशि शनिदेव की है इसके अलावा शुक्र मकर सक्रांति पर उदय हो जाते हैं शुभ कार्य की शुरुआत हो जाती है मकर सक्रांति एक ऐसा दिन है जिस दिन उपायों द्वारा सूर्य और शनि के बुरे प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है मकर सक्रांति पर नया अनाज भी आता है और उस नए अनाज से से नवग्रह की पूजा की जाती है जिससे कि पारिवारिक शांति बनी रहे इस तरह मकर सक्रांति सूर्य और शनि दोनों की कृपा प्राप्त करने का दिन है क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि है।ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं है, क्योंकि दोनों आपस में शत्रु का भाव रखते हैं लेकिन इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं। इसलिए इस त्यौहार के पीछे पिता-पुत्र के संबंधों को भी माना जाता है।
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं इसलिए बहुत खास माना जाता है भीष्म पितामह जब बाणों की शैया पर लेटे हुए थे उन्होंने भी इस चीज को बहुत ध्यान में रखते हुए दक्षिणायन सूर्य में अपना शरीर नहीं त्यागा जैसे ही सूर्य उत्तरायण हुए तभी अपने शरीर का त्याग किया उत्तरायण सूर्य की महत्ता काफी बढ़ जाती है और यही कारण है कि इस दिन के लिए दान पुण्य का बहुत महत्व माना जाता है भारत में मकर संक्रांति का बहुत गहरा धार्मिक महत्व है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों को पराजित किया था। कहा जाता है कि भगवान ने असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। ऐसे में इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मानाया जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार गंगा को महाराज भगीरथ ने इस दिन अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करने को पवित्र समझा जाता है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है। इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है। इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है।मकर संक्राति के दिन विशेष रूप से गंगा स्नान का महत्व है।
मकर सक्रांति पर करें खास ज्योतिषीय उपाय----
मकर सक्रांति के दिन आपको दो ग्रहों का वरदान मिल सकता है सूर्य और सूर्य पुत्र शनि से लाभ पाने के लिए विशेष चीजों से विशेष प्रयोग किए जाएं तो शुभ फल मिलेगा मकर सक्रांति पर किए जाने वाले शुभ कर्मों में सबसे पहले प्रात काल स्नान कर लेना चाहिए
1. तांबे के पात्र में पानी भरकर लाल फूल, अक्षत, कुमकुम डालकरी सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए और सूर्य के बीज मंत्र का 108 बार जप कीजिए( ओम घृणि सूर्याय नमः)
2. श्रीमद्भागवत के 1 अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें और अगर पूरी गीता का पाठ नहीं कर पाते तो गीता के 11 अध्याय का पाठ करें
3. नई अनाज का खासतौर से दाल ,चावल का खिचड़ी, तिल, गुड, तांबा ,लाल वस्त्र ,कंबल का ,मोटे कपड़ों का और शुद्ध देसी घी, गेहूं का दान किसी निर्धन व्यक्ति को इस दिन जरूर करें
4. भोजन में नए अनाज, काली दाल व चावल की खिचड़ी बनाएं प्याज लहसुन आदि का प्रयोग ना करें सात्विक भोजन बनाए भगवान को भोग लगाएं और इसके बाद इसको प्रसाद रूप में ग्रहण करें और अपने घर में परिवार में बांटे तो आपके लिए बहुत शुभ होगा
5. लोहे के बर्तन में या कटोरी में काले तिल रखकर 108 बार ओम शं शनिश्चराय नमः मंत्र का जाप करके उसे निर्धन व्यक्ति को दान कर दीजिए इस उपाय से शनि से मिल रही पीड़ा से मुक्ति मिलेगी अगर तिल और गुड़ के लड्डू या मिठाई किसी गरीब को दी जाए तो आपकी कुंडली की खराब सूर्य और शनि बेहतर हो जाते हैं
6. मकर सक्रांति पर नये अनाज की खिचड़ी खाने से पूरे वर्ष आरोग्य की प्राप्ति होती है खिचड़ी खाने से व बाटंने से आपके सारे ग्रह मजबूत होते हैं सूर्य अगर कुंडली में खराब है तो शाम को अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए
यह सब उपाय करने से कुंडली के बिगड़े हुए सूर्य निश्चित रूप से बेहतर होगा सूर्य देव की कृपा बरसेगी और शुभ फल मिलेगा ! सूर्य से ज्यादा लोग शनि से डरते हैं लेकिन
शनिदेव को खुश करने के लिए भी मकर सक्रांति पर कुछ उपाय किए जा सकते हैं मकर सक्रांति पर पूजा उपासना करके शनि को भी बेहतर किया जा सकता है
शनिदेव के मंत्रों का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए, काले तिल और लोहे के बर्तन का दान करना भी मकर सक्रांति पर शनि की बुरे प्रभाव से बचाता है
शनि को प्रसन्न करना है तो दिन मैं भोजन नहीं करना चाहिए और शाम के समय काले उड़द की खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाना है और गरीबों में वितरित करना चाहिए
अगर कुंडली में शनि खराब है भगवान सूर्य को काले तिल के दाने डालकर जल अर्पित करिए इस दिन सुबह सूर्य को जल चढ़ाना और शाम को पीपल के वृक्ष पर तेल का दिया जलाने से कुंडली में सूर्य और शनि की खराब स्थिति बेहतर होती है
मकर सक्रांति के दिन सूर्य और शनि को बेहतर करने की उपाय करने के साथ-साथ नित्य कर्म करना बहुत जरूरी है पुरानी चीजों का दान करने से बचें इस दिन झाड़ू का दान नहीं करना चाहिए ,दान हमेशा श्रद्धा और मन से किया जाना चाहिए मकर सक्रांति पर किसी निर्धन और गरीब व्यक्ति को दान करने से माना जाता है कि व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि और संपन्नता आती है इस लिये दान अवश्य कीजिए !
दीपिका माहेश्वरी🙏🙏
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nice