*6 जुलाई से शुरू होगी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि,15 को भड़ली नवमी* आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 6 जुलाई से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ होकर 15 जुलाई तक गुप्त नवरात्रि रहेगी। अष्टमी 14 जुलाई, भड़ली नवमी 15 जुलाई, गुप्त नवरात्रि वर्ष में दो बार आती हैं। आषाढ़ और माघ में आने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है। घटस्थापना उत्तर या पूर्व दिशा की ओर करना चाहिए। शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है। जिन्हें गुप्त रूप से किया जाता है। इसलिए यह गुप्त नवरात्रि के रूप में जाने जाते हैं, इसमें तांत्रिक साधना 10 महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए विशेष पूजा करते हैं साथ ही सिद्धि प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माने जाते है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति का प्रयास करते हैं गुप्त अर्थात छिपा हुआ। इस नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि हेतु साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या तंत्र साधना के लिए मां काली, तारा ,त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। अतः कल्याण कामी पुरुष यत्नपूर्वक दुर्गार्चन में तत्पर हो जाते है। इन ऋतुओं के आने पर विद्वानों को भगवती चण्डी की आराधना में संलग्न हो जाना चाहिये। गुप्त नवरात्रि में दुर्गा आराधना श्रेष्ठकर है। नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ, दुर्गा चालीसा, देवी मंत्र, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे, इस मंत्र का जप करने से सारी इच्छाओं की पूर्ति होती है। दुर्गा सप्तशती व्यास जी द्वारा रचित मार्कंडेय पुराण से ली गई है इसमें 700 श्लोक व 13 अध्यायों का समावेश होने के कारण इसे सप्तशती का नाम दिया गया है। तंत्र शास्त्रों में इसका सर्वाधिक महत्व प्रतिपादित है और तांत्रिक क्रियाओं का इसके पाठ में बहुधा उपयोग होता है दुर्गा सप्तशती में 360 शक्तियों का वर्णन है। शास्त्री जी ने बताया है कि शक्ति पूजन के साथ भैरव पूजन भी अनिवार्य है। दुर्गा सप्तशती का हर मंत्र ब्रह्मवशिष्ठ विश्वामित्र ने साबित किया है, शापोद्धार के बिना पाठ का फल नहीं मिलता दुर्गासप्तशती के 6 अंगों सहित पाठ करना चाहिए। कवच,अर्गला,कीलक, और तीनों रहस्य महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती का रहस्य बताया गया है। दुर्गा सप्तशती के चरित्र का क्रमानुसार पाठ करने से शत्रुनाश और लक्ष्मी कि प्राप्ति व सर्वदा विजय होती है, सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।