होली
Shareहोली पूजन विधी😄होलिका का पूजा करने से सुख-समृद्धि और धन-सम्पदा की प्राप्ति होती है. ये भी मन जाता है की होली पूजा करने से मनुष्य हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है.
होली की पूजा कब और कैसे की जाती है?
होली की पूजा होलिका दहन से ठीक पहले की जाती है. यह पूजा कहीं भी की जा सकती है. आमतौर पर लोग इस पूजा को सामुदायिक तौर पर एक साथ करते हैं. हर गली मोहल्ले में होली के कई दिन पहले से किसी सार्वजनिक स्थान पर लकड़ियाँ, सुखी पत्तियां, पेड़ की डालियाँ, गोबर के कंडे इत्यादि सामग्री जमा किया जाना शुरू हो जाता है. यह ढेर एक मजबूत लकड़ी के आसपास इकठ्ठा किया जाता है और इसे होलिका नाम से बुलाया जाता है. होलिका दहन वाले दिन इसे जलाने से पहले इसकी पूजा की जाती है. होलिका दहन के बाद जो राख बचती है, लोग उसे घर ले जाते हैं और दूसरे दिन इस राख को अपने शरीर पर मलते हैं. ऐसा करना शुभ माना जाता है. कहते हैं ऐसा करने से शरीर पवित्र होता है. इसके बाद सब रंग और अबीर से होली खेलते हैं.
होली की पूजा विधि
सर्वप्रथम निम्न पूजा सामग्री जमा करें:
एक कलश या बर्तन में पानीगोबर के कंडे या गोबररोली (पूजा कुमकुम, सिन्दूर)अक्षत (वह चावल जो टूटा हुआ ना हो, साबुत हो )धूप, अगरबत्ती इत्यादि सुगन्धित पूजा सामग्रीफूल मालाएंमोली (पवित्र धागा)कच्ची हल्दी की गांठेसाबूत मूंग की दालबताशेनारियलगुलालएक सीधा डंडा गेहूँ कि बाल और हरा चना भून कर प्रसाद बाटे
गोबर के कंडों से मालाएं बना लें. गोबर से और भी खिलोने बनायें जैसे ढाल, तलवार, सूरज, चाँद, इत्यादि. एक खिलौना होलिका के प्रतिरूप का भी बनायें.घर में जिस जगह पर पूजा की जानी हो, वह जगह पानी से धोकर गोबर का चौका लगायेंचौका लग जाने के बाद एक सीधा डंडा लें और उसे चौके पर स्थापित करेंइस डंडे के चारों तरफ गोबर के कंडों से बनायीं मालाएं लगा दे. इन मालाओं को बढ़कुला और गुलरी भी कहा जाता हैइन मालाओं के आसपास गोबर से बनी ढाल, तलवार, और बाकी सारे खिलौनें भी रख देंअब आप पूजा के लिए तैयार हैं. होली पूजन मुहूर्त के समय तैयार की गयी होलिका की पूजा करेंहोली पूजा के समय सारी पूजन सामग्री एक पूजा थाली में सजा लें – फूल, धूप, अगरबत्ती, रोली, मोली, अक्षत – सभी कुछ थाल में रखें. पानी को एक पूजा घट (लोटे) में रख लें.सबसे पहले गणेश, विष्णु और आप जिन देवी देवताओं को मानतें हैं, उनकी पूजा करें. इसके लिए पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख कर के बैठें और हाथ जोड़ कर इन देवताओं का ध्यान करें, मंत्र जाप भी कर सकतें हैं.इसके बाद भक्त प्रहलाद का ध्यान करें और उनकी पूजा करें. होलिका दहन की रीति प्रहलाद से जुड़ी है. प्रह्लाद के पिता हिरन्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद का वध करना चाह था परन्तु नारायण भक्त प्रहलाद की रक्षा भगवन विष्णु ने की और होलिका जल कर राख हो गयी परन्तु प्रहलाद आग में भी सुरक्षित रहे. तभी से होलिका दहन की प्रथा प्रारम्भ हुई है. प्रह्लाद की पूजा करने के लिए उनका ध्यान करते हुए ये मंत्र पढ़ें:
ऊँ प्रह्लादाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि 😄आचार्य बिनोद भरव्दाज