नौसादर के फ़ायदे
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नौसादर वेद हक़ीम से जानकारी लेकर ही प्रयोग करें
1. दांतों के कीड़े :
दांतों में कीड़े लगने से दांत में गड्ढ़े बन जाते हैं। फिटकरी, सेंधानमक तथा नौसादर बराबर मात्रा में लेकर बारीक पॉउडर बना लें। इस पॉउडर से रोजाना सुबह-शाम दांतों व मसूढ़ों पर मलने से दांतों के सभी रोग ठीक होते हैं।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग नौसादर और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अफीम को मिला लें। इसे कीड़े लगे हुए दांतों में रखने से कीड़ा मरकर बाहर आ जाता है।
2. खट्टी डकारे : नौसादर, कालीमिर्च 5 ग्राम इलायची दाना, 10 ग्राम पोदीना का चूर्ण एक साथ पीसकर रख लें। इसे रोज 3 बार आधा ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से खट्टी डकारें, बदहजमी, प्यास का अधिक लगना, पेट में दर्द, जी मिचलाना और छाती में जलन आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।
3. खांसी : 1 कप पानी में 1 चुटकी नौसादर मिलाकर दिन में 3 बार पीने से खांसी ठीक हो जाती है।
4. पुराना सिर दर्द : 10 ग्राम नौसादर को पीस लें, फिर इसे बोतल में भरकर पानी डाल दें। इसे 1-1 चम्मच सुबह-शाम 10-12 दिनों तक लेने से पुराने सिर के दर्द में लाभ होता है। सिर दर्द होने से 1 घण्टे पहले और दर्द बन्द होने के 1 घण्टे बाद 1-1 चम्मच पिलाने से दर्द ठीक हो जाता है।
5. अण्डकोष की सूजन और दर्द :
1 ग्राम नौसादर को 50 मिलीलीटर शराब में पीसकर अण्डकोषों पर लगाने से अण्डकोषों की सूजन कम हो जाती है।
10 ग्राम नौसादर को पीसकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालें इसी पानी में कपड़ा भिगोकर अण्डकोषों को सेंकने से सुजाक के कारण अण्डकोषों की सूजन और दर्द सही हो जाते हैं।
6. दांतों का दर्द :
नौसादर को ज्वार के दाने के बराबर रूई में लपेटकर सड़न वाले दांतों के नीचे दबाने से दांतों में हो रही पीड़ा नष्ट होती है।
नौसादर, फिटकरी और सेंधानमक बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर पॉउडर (मंजन) बना लें। इसके मंजन से रोजाना मंजन करें तथा सुबह-शाम गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ला करें। इससे दांतों के दर्द में आराम रहता है।
नौसादर को रूई में लपेटकर दर्द वाले दांत की जड़ में दबाकर रखें।
नौसादर और कपूर को मिलाकर टिकिया अथवा पोटली बनाकर दांतों के खोखल में दबाकर रखें। इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं तथा जबड़े का दर्द खत्म होता है।
7. श्वास या दमा :
नौसादर पान में रखकर खाने से श्वास-नली के विभिन्न रोग नष्ट हो जाते हैं।
नौसादर को चिलम में रखकर इसका धूम्रपान करने से श्वास रोग नष्ट हो जाते हैं।
नौसादर 10 ग्राम पीसकर तवे के बीचोबीच रख दें। फिर इसके चारों तरफ 3-4 इंच दूर, 200 ग्राम पिसे हुए नमक को गोलाकार में रख दें। तवे के ऊपर एक बड़ा प्याला का कटोरा से ढक दें। फिर तवे को चूल्हे पर चढ़ाकर करीब 1 घंटे तक धीमी आंच पर रखना चाहिए। इसे 1 चुटकी प्रतिदिन शक्कर के बताशे में रखकर दिन में 2 बार लेने से दमे में राहत मिलती है।
8. बादी का बुखार : नौसादर 3 ग्राम और कालीमिर्च का चूर्ण 2 ग्राम को मिलाकर देने से पारी का बुखार नहीं चढ़ता है।
9. मोतियाबिन्द : भुने हुए नौसादर को बारीक पीसकर आंखों में सोते समय सलाई के द्वारा लगाने से मोतियाबिन्द ठीक हो जाता है।
10. रतौंधी (रात में न दिखाई देना) : 1 ग्राम नौसादर को 3 ग्राम असली सिंदूर में अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भरकर शहद मिलाकर रख दें। इस मिश्रण को सलाई से आंखों पर लगाने से रतौंधी की बीमारी दूर हो जाती है।
11. जीभ का स्वाद ठीक करना : नौसादर 5 ग्राम और कालीमिर्च 5 ग्राम को पीसकर इसमें शहद मिलाकर जीभ पर रगड़े तथा गंदा पानी बाहर गिरने दें। इससे जीभ की कड़वाहट दूर होती है।
12. मसूढ़ों की सूजन : नौसादर, संगजराहत एवं फिटकरी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर पॉउडर (मंजन) बना लें। रोजाना इससे मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों की सूजन दूर होती है।
13. गर्भनिरोध : नौसादर तथा फिटकरी को बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर योनि में रखने से स्त्री बन्ध्या (बांझ) हो जाती है।
14. जुकाम : नौसादर, कपूर और चूने को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 शीशी मे भरकर रख लें। इस शीशी को बन्द करके अच्छी तरह से हिला लें और फिर शीशी को खोलकर नाक से सूंघने से बन्द जुकाम खुल जाता है और सिर के दर्द में भी लाभ मिलता है।
15. चोट : चोट और मोच से पैदा दर्द और सूजन पर नौसादर और कलमीशोरा पानी में घोलकर कपड़े भिगोकर पट्टी करने से लाभ होता है।
16. मोच होने पर : नौसादर, कलमी शोरा 10-10 ग्राम पीसकर 200 मिलीलीटर पानी में मिलाकर इससे कपड़ा भिगोकर बार-बार मोच पर लगायें।
17. गिल्टी (ट्यूमर) : नौसादर को पानी में डालकर किसी कपड़े को उस में भिगोकर गिल्टी पर बांधने से आराम मिलता है।
18. प्लेग (चूहों से होने वाला) रोग : नौसादर, आक के फूल, शुद्ध वत्सनाग और पांचों नमक बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीस लें। फिर इसे 3 घंटे तक प्याज के बारीक रस में घोंटकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसकी 1-1 गोली ताजे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम और रात को खाने से प्लेग के रोगी को लाभ होता है।
19. आधासीसी (माइग्रेन, आधे सिर का दर्द ) अधकपारी :
नौसादर और कुटकी को पीसकर जल में मिलाकर माथे पर लेप की तरह लगाने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।
नौसादर और बड़ी इलायची के छिलकों को महीन पीसकर जिस तरफ आधासीसी है उस तरफ की नाक के छेद से सूंघने से आधासीसी खत्म हो जाती है।
लगभग 10-10 ग्राम नौसादर और हल्दी को पीसकर सूंघने से आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
लगभग लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम नौसादर खिलाने से आधासीसी का दर्द खत्म हो जाता है।
10 ग्राम नौसादर और 1 ग्राम कपूर को पीसकर चुटकी भर नाक से जोर से सूंघने से आधाशीशी (आधे सिर का दर्द), पूरे सिर का दर्द और दांत का दर्द ठीक हो जाता है।
20. नाक से खून का आना (नकसीर) : पिसे हुए नौसादर को नाक से सूंघने से नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाती है।
21. पेट में दर्द :
नौसादर ठीकरी 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, भुनी हुई हींग 10 ग्राम सौंठ 10 ग्राम को अच्छी तरह बारीक पीसकर रख लें, फिर उसमें मीठा सोडा 10 ग्राम की मात्रा में मिलाकर रख लें, इस बने चूर्ण को 3 ग्राम लेकर गर्म पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
नौसादर 4 ग्राम, सुहागा 4 ग्राम और सौंफ 2 ग्राम को अच्छी तरह से बारीक पीसकर उसमें मीठा सोडा 4 ग्राम की मात्रा में मिलाकर रख लें, फिर आधे से 2 ग्राम की मात्रा में सुबह, दोपहर और शाम को रोगी को देने से पेट की बीमारियों में आराम होता है।
नौसादर, सुहागा, एलुआ, हल्दी और फिटकिरी को बारीक पीसकर पानी मिलाकर लेप बना लें, फिर इस लेप को पेट पर लेप लगाने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
नौसादर लगभग 2 ग्राम को पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
22. स्तनों के रोग : नौसादर 8 ग्राम को लगभग 50 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह घोलकर स्तनों पर लगाने से स्तनों में पड़ी हुई गांठें पिघल जाती हैं तथा सूजन भी समाप्त हो जाती है। नोट : पहली बार स्तनों में दूध आते समय प्राय: गांठ पड़ जाती है। जिसके कारण सूजन आ जाती है तथा दर्द होने लगता है।
23. उपदंश (फिरंग) : नौसादर को पानी में घोल लें, फिर उसमें एक साफ कपड़ा भिगोकर गांठ के ऊपर से रख दें तो वह बैठ जाती है।
24. हिस्टीरिया : नौसादर और चूना को बराबर मात्रा में मिलाकर एक शीशी में अच्छी तरह से बन्द करके रख दें और जब हिस्टीरिया या सिरदर्द हो या बेहोशी, गुल्यवायु, हो तो शीशी को खोलकर उसकी गैस सूंघा दें, इससे तुरन्त ही लाभ मिलता है।
25. मिर्गी (अपस्मार) :
नौसादर और बिना बुझा हुआ चूने को बराबर भाग में लेकर एक शीशी में भरकर डॉट लगाकर रख दें। मिर्गी का दौरा आने पर रोगी की नाक से लगाकर तुरन्त हटा लेना चाहिए। इस तरह से रोगी होश में आ जाता है।
50 ग्राम नौसादर को 1 लीटर केले के पत्तों के रस में डालकर रख दें और मिर्गी का दौरा पड़ने पर नाक में इस रस को टपकाने से यह रोग खत्म हो जाता है।
26. मुंह को सुन्न करना : अकरकरा और नौसादर को पीसकर तालु और मुख (मुंह) में बहुत ज्यादा रगड़ने से मुंह में इतनी शून्यता (सुन्न हो जाना) पैदा हो जाती है कि अगर मुंह में अंगारे भी भर लें तो मुंह नहीं जलता है।
27. सिर दर्द :
नौसादर और सीप के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
नौसादर में चोआ डालकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को चुटकी भर नाक में रखकर सूर्य की ओर देखने से छींकें आती हैं। इससे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
28. बच्चों के रोग : 2 चावल भर नौसादर लें, जितनी उम्र का बच्चा हो उतनी मात्रा के हिसाब से हर रोज दूध में मिलाकर पिला दें। इससे बच्चे का जिगर नहीं बढ़ेगा।