राशिचक्र में सबसे प्रथम मेष राशि आती है चर स्वभाव लिए हुए अग्नि तत्व राशि ऊर्जा से पूर्ण गुस्सेल प्रकति जल्दी में कार्य करने की इच्छा लिए हुए पित्तात्मक जिसका लाल रंग बड़ा शरीर चौपाया रात में बलि पूर्व दिशा का निवास राजा के समान वर्ण पर्वत पर वास प्रठोदय जिसका मंगल स्वामी है नक्षत्रों में अश्विनी भरणी कृतिका जिसके सानिध्य में हो मेष राशिवाले व्यक्ति के लक्ष्य साफ होते है तथा अदम्य साहस एव उत्साह से अपने लक्ष्यों को पाने के लिए आगे बढ़ते है स्वभाव से चर राशि होने से चलायमान कार्य करते है परिणाम तत्काल मिले ऐसी अपेक्षा में बिना विचार के कार्य करते है परंतु परिणाम न मिले तो फिर झुंजुलाहत गुस्से का रूप धर काम को बीच मे छोड़ देते है बैठे रहना इन्हें पसंद नही करो या मरो जैसे कार्य करने में हर परिस्थितियों में विजयी होने के गुण लिये हुए बाधाओ का सामना करते है चुनोती को शक्ति से न आक कर क्रोध से आंकते है इसका चिन्ह मेंढा है यह पुरुष राशि है
भावना प्रधान न होकर यथार्थवादी दृटिकोण अधिक रखते है इनकी कर्मठता लगन इन्हें उन परिस्थितियों में भी पावरफुल रखती है जिसमे लोग आसानी से हार मान चुके होते है मेष राशि के लोग सहायता खूब करते है अन्याय सहन नही होता डांटते फटकारते ज्यादा है अपने discipline के विरुद्ध किसी को जाना ये बर्दास्त नही करते जेमिनी ज्योतिष के अनुसार- ग्रहो की तरह राशियों की भी दृष्टि होती है चर राशि अपने पास वाली इस्तिर को छोड़कर सभी इस्तिर को देखती है इस्तिर राशि अपने समीप की चर को छोड़ बाकी की चर राशियों को देखती है द्विस्वभाव स्वयं को छोड़ सभी दिस्वभाव को देखती है अब वृ ष भ राशि के बारेम