इस संसार में अपने सपनों का घर ख़रीदना हर किसी की ख़्वाहिश होती है। आपका यह ख़्वाब कब पूरा होगा? आप यह ज्योतिष शास्त्र की मदद से जान सकते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारी जन्म कुंडली में घर, ज़मीन या प्रॉपर्टी ख़रीदने जैसे विशेष मामलों का भी पता चलता है। ग्रहों व नक्षत्रों का योग हमें इस बात का संकेत करते हैं। विशेषकर ज्योतिषीय दशा पद्धति एवं ग्रहों की अनुकूल चाल से इन चीज़ों को ज्ञात किया जाता है। बृहत् पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार घर, ज़मीन या अन्य प्रकार की अचल संपत्ति को ख़रीदने के लिए जातक की कुण्डली में चतुर्थ भाव बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भाव इन चीज़ों को ख़रीदने के शुभ समय की सही व्याख्या करता है। जन्मपत्री में चौथा भाव मानसिक शांति, ख़ुशी, माता, घरेलू जीवन, रिश्तेदार, घर, आत्म समृद्धि, आनंद, वाहन, ज़मीन, पैतृक संपत्ति, शिक्षा आदि को प्रदर्शित करता है। इसको लेकर कुछ मुख्य तथ्य इस प्रकार है :- यदि जन्म पत्रिका में चतुर्थ भाव का स्वामी, प्रथम भाव के स्वामी के साथ हो और त्रिकोण अथवा केन्द्र भाव में स्थित हो तो, यह स्थिति जातक के लिए एक से अधिक घर अथवा प्रॉपर्टी ख़रीदने का संकेत करती है। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह तृतीय भाव में हो और चौथे भाव का स्वामी शुभ स्थिति में हो तो उस जातक के लिए यह स्थिति आकर्षक घर ख़रीदने की होती है। यदि कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी अपनी ही राशि अथवा नवांश में हो और उसकी राशि उच्च स्थिति में तो यह अवस्था जातक को एक आरामदेह घर या प्रॉपर्टी दिलाती है। यदि कुंडली के चतुर्थ भाव में ग्रह उच्च अवस्था में तो जातक एक से अधिक घरों एवं ज़मीन जायदादों का मालिक बनता है। यदि कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी मित्र राशि या स्वयं की राशि में स्थित हो अथवा बलित हो तो यह अवस्था किसी जातक को आरामदेह घर, वाहन, ज़मीन आदि दिलाती है। नवम भाव का स्वामी केन्द्र में हो और चतुर्थ भाव का स्वामी अपनी मित्र राशि में स्थित हो या फिर चतुर्थ भाव में ग्रह का उच्च होना सुंदर घर दिलाता है। यदि किसी की जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल/शनि/शुक्र के साथ शुभ योग में हो तो यह स्थिति जातक को एक से अधिक सुंदर घरों को ख़रीदने का संकेत करती है। बृहस्पति, मंगल, शनि एवं शुक्र ग्रह की महादशा प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए शुभ होती है। घर, ज़मीन अथवा अन्य संपत्ति ख़रीदने में ग्रहों की भूमिका मंगल: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह ज़मीन का नैसर्गिक कारक होता है। शनि: ज्योतिष विज्ञान में शनि को ज़मीन अथवा प्रॉपर्टी के लिए दूसरा कारक ग्रह बताया गया है। शुक्र: वैदिक ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह समृद्धि का कारक होता है। यदि इसकी कृपा हुई तो यह किसी भी जातक को सुंदर और आकर्षक घर दिला सकता है। वहीं शनि और मंगल आपको घर तो दिला सकते हैं परंतु उनकी साज-सज्जा के लिए इंटिरियर कार्य की आवश्यकता होती है जिसका कारक शुक्र ग्रह होता है। जैसा कि हमने आपको बताया है मंगल ग्रह ज़मीन का प्राकृतिक कारक होता है। लेकिन जिस स्थान पर आप रहते हैं उसके लिए मंगल और शुक्र ग्रह की जिम्मेदार होती है। घर, ज़मीन अथवा अन्य प्रॉपर्टी ख़दीरने में विभिन्न भाव का महत्व प्रथम भाव : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुण्डली में प्रथम भाव जातक के शारीरिक स्वभाव और उसके व्यक्तित्व को दर्शाता है। इस भाव से आपके मन में अपने घर अथवा संपत्ति को लेकर विचार बनते हैं। द्वितीय भाव : जन्मपत्रिका में दूसरा भाव धन एवं धन की बचत को दिखाता है। बिना धन के नई प्रॉपर्टी आदि को ख़रीदना संभव नहीं है। चतुर्थ भाव: कुंडली में यह भाव व्यक्ति की ख़ुशियों और उसके घर-मकान को दर्शाता है। इसलिए घर या प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए कुंडली में चतुर्थ भाव और इसके स्वामी की परिस्थिति को देखा जाता है। एकादश भाव: हिन्दू ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में ग्यारहवें भाव से किसी भी जातक की आय और लाभ के बारे में पता चलता है। यदि यह भाव हमारे लिए अनुकूल परिणामकारी हो तो इससे हमारी आय में वृद्धि और धन का लाभ होता है। वहीं धन से हम अपनी प्रॉपर्टी को बढ़ा सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार प्रॉपर्टी अथवा घर ख़रीदने का शुभ मुहूर्त महादशा को प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय माना जाता है। प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए चतुर्थ/द्वितीय/एकादश/नवम भाव के स्वामी एवं उनमें अवस्थित ग्रहों की महादशा शुभ होती है। व्यक्ति की मध्य आयु में सूर्य ग्रह घर ख़रीदने का बड़ा कारक माना जाता है। चंद्रमा व्यक्ति की प्रारंभिक आयु में घर दिलाने का बड़ा कारक होता है। मध्य आयु में घर ख़रीदने के लिए मंगल ग्रह सबसे बड़ा कारक होता है। बुध ग्रह 32 से 36 साल की आयु में घर प्राप्त करने का कारक होता है। गुरु को 30 की आयु में घर प्राप्त करने का कारक माना जाता है। शुक्र और राहु ग्रह की वजह से व्यक्ति को शुरुआती उम्र में घर मिलता है। शनि और केतु के कारण व्यक्ति को 44 से 52 की उम्र में घर मिलता है। ज्योतिष के अनुसार प्रॉपर्टी में हानि का कारण यदि कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी चतुर्थ भाव से द्वादश भाव में अवस्थित हो अवथा नीच भाव में हो तो प्रॉपर्टी में हानि होने की संभावना है। यदि कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी 6, 8 और 12 भाव में हो तो संपत्ति में नुकसान हो सकता है। यदि कुण्डली में चतुर्थ भाव का स्वामी नीच में हो , चतुर्थ भाव में ग्रह की अनुपस्थिति हो और शनि और मंगल कमज़ोर स्थिति में हो तो भी जातक को प्रॉपर्टी, जमीन आदि में हानि का सामना करना पड़ता है।
बहुत-बहुत अच्छी जानकारी
Thanks For Nice Information