पुत्र मोक्ष का द्वार है सनातन शास्त्रों में बार बार, जगह जगह ऐसा समझाया गया है बताया गया है कि पुत्र मोक्ष का द्वार है, क्या ये कोरी कल्पना है, मनगढ़त है या विज्ञान विहीन है, नही ऐसा कुछ भी नही है ये तो सिर्फ सूत्र है और इस सूत्र के पीछे बहुत ही गूढ़ सनातन विज्ञान, तत्व विज्ञान और जीवन जीने के तरीके को समझाया गया और एक प्रारंभिक स्तर जो की मोक्ष जाने के लिए बेहद जरूरी है आइए इस सूत्र को गहराई से समझते है। पुत्र का जन्म होगा और युवा होते होते वो पिता की जिम्मेदारी अपने सर ले कर पिता को जिम्मेदारी मुक्त कर देगा और फिर पिता धर्म का अनुशरण करके मोक्ष की तरफ बढ़ चलेंगे ऐसा भी बहुत लोगो का मानना है लेकिन मैं यंहा पे एक बात थोड़ी और साफ कर दु की प्राचीन भारत मे 50 वर्ष की आयु के बाद वानप्रस्थ आश्रम और 75 वर्ष के बाद सन्यास आश्रम जीवन का हिस्सा था तो हर कोई 50 वर्ष के बाद तो धर्म मे लग ही रहा था तो फिर भी पुत्र को अतिआवयशक बताया है और मैने जितना शास्त्रों को समझा है तो वही मैं प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। सबसे पहले समझते है की पुत्र का जन्म कैसे होता है पुत्र के जन्म के लिए माता के रज और पिता के वीर्य में जल तत्व का प्रभाव होना अत्यंत आवयशक है बिना जल तत्व के प्रभाव से कभी भी पुत्र का जन्म नही हो सकता है। अब मैं यंहा पे थोड़ा जल तत्व के विषय मे बता दु की ये क्या है और क्या क्या इसके मुख्य कर्म है, जल तत्व, पंचतत्व में से चौथे नम्बर का एक तत्व है जो कि अग्नि तत्व के बाद और पृथ्वी तत्व से पहले आता है और धर्म, दया, ज्ञान, जिज्ञासाएं, मानवता, अनुशासन, गुरु, स्थिरता ये सब जल तत्व के अधिकार क्षेत्र में आते है। अब समझते है कि माता के रज और पिता के वीर्य में जल तत्वों का प्रभाव कैसे आता है, रज और वीर्य में जल का प्रभाव जब ही आएगा जब शरीर मे जल का प्रभाव रहेगा और शरीर मे जल का प्रभाव जब ही रहेगा जब उनका रहन सहन और खान पान में जल तत्व का प्रभाव रहेगा, अब समझते है कि रहन सहन और खान पान में जल तत्वों का प्रभाव कैसे रहेगा, रहन सहन में जल तत्व का प्रभाव जब ही रहेगा जब आपके पूर्वज, आप और आपका परिवार धर्म के मार्ग पे चलेंगे या धर्म का अनुसरण करेंगे और जब आप धर्म की राह पे चलेंगे तो जल तत्व स्वतः ही बढ़ने लगेगा और अब बात करते है खान पान की, खान पान जब सात्विक होगा तब स्वतः धर्म भी बढ़ेगा और जल तत्व भी बढ़ेगा, तो अब ये निश्चित हो गया कि शरीर मे जल तत्व जब ही बढ़ेगा जब आपका दैनिक आचरण धर्म के अनुसार ही चलता हो और जब इतना सब कुछ धर्म के अनुसार चलेगा तो आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी और जब इतना सब कुछ धर्म के हिसाब से चलेगा तो मोक्ष स्वतः ही शुलभ हो जाएगी। आपके घर मे पुत्र का जन्म इस बात की तरफ इशारा करते है की आपके साथ जल तत्वों का प्रभाव जुड़ा हुआ है और इसलिये ही सनातन शास्त्रों में पुत्र को मोक्ष का द्वार कहते है। पुत्र मोक्ष का द्वार है ये तो मात्र एक सूत्र है और इस सूत्र के पीछे की हकीकत और गूढ़ विज्ञान, जितना आज तक मुझे समझ आया है आपके सामने प्रस्तुत किया है सनातन विज्ञान ही महाविज्ञान है और यंहा हर शब्द विज्ञान से परिपूर्ण है तो जब सनातन शास्त्रों को पढ़े बड़ी जिम्मेदारी के साथ पढ़े और ये मान कर ही पढ़े की आप दुनिया का सबसे बड़ा विज्ञान पढ़ रहे है। ।।जय माता दी।।