हस्तरेखा से जाने अपनी जिंदगी

Share

Astro Rakesh Periwal 11th May 2019

क्या है हस्तरेखा ज्ञान? ****************** हस्तरेखा को भारतीय ज्योतिष का एक प्रमुख अंग माना जाता है। प्राचीन काल से इस विद्या का महत्त्व बहुत ज्यादा रहा है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस विद्या का ज्ञान प्राप्त कर लेता है वह किसी का भी हाथ देखकर उसके भविष्य में घटने वाली घटनाओं को जान सकता है।

हस्त रेखा की दुनिया में सबसे बड़ा नाम है कीरो का और भारत में हस्त रेखा की सबसे ज्यादा पुस्तक कीरो की ही मिलती है. कीरो ने वैज्ञानिक पद्धति से भविष्य की गणना करना आरंभ किया था जो बहुत ही सटीक बैठती है और भारतीय ज्योतिष के ज्ञानी भी कीरो को अपना आदर्श मानते है। हस्त रेखा विज्ञान के दो भेद माने जाते है। जहाँ हाथ की रेखाओं से व्यक्ति के भूतकाल और भविष्य की घटनाओं का आकलन करने में सहायक होती है वाही हाथ एवं उँगलियों की बनावट से व्यक्ति के स्वभाव, उसका कार्य क्षेत्र इत्यादि का आकलन करने में सहायक होती है। हाथ की रेखाएं:- हाथ एवं उँगलियों की बनावट मैं आपको हस्त रेखा की मुख्य-मुख्य रेखाओं और उनका मानव जीवन पर प्रभाव से सम्बंधित जानकारी देने वाला हूँ. हाथ की प्रमुख रेखाएं :- हाथ की हथेली में मुख्यत: सात बड़ी और सात छोटी रेखाओं का महत्त्व सबसे ज्यादा है क्यूँकि ये रेखाए व्यक्ति के जीवन से सम्बंधित समस्त बातों को अपने में समेट लेती है और व्यक्ति के वर्तमान एवं भविष्य का निर्धारण करती है और वो सात बड़ी रेखाएं है 1. आयु रेखा 2. ह्रदय रेखा 3. मस्तिष्क रेखा 4. भाग्य रेखा 5. सूर्य रेखा 6. स्वास्थ्य रेखा 7. शुक्र मुद्रिका इसके अलावा सात और छोटी रेखाएं हैं- 1. मंगल रेखा 2. चन्द्र रेखा 3. विवाह रेखा 4. निकृष्ट रेखा इसके अतिरिक्त तीन मणिबंध रेखाएं होती हैं

इनका स्थान हथेली की जड़ और हाथ की कलाई है। यह सात रेखाएं व्यक्ति के जीवन के बारे में बहुत कुछ बता देती है. उदाहरण के लिए जीवन रेखा से किसी भी व्यक्ति की आयु का अनुमान हो जाता है जबकि वहीँ मस्तिष्क रेखा व्यक्ति की मनोदशा, उसकी विद्या बुद्धि एवं जीवन में सफलता के आयाम इत्यादि की सूचक होती है, इसी तरह ह्रदय रेखा से व्यक्ति के स्वाभाव, उसके वैवाहिक जीवन का आकलन, और आपसी रिश्ते इत्यादि का आकलन होता है और भाग्य रेखा स्वयं अपने नाम से ही अपना परिचय दे देती है.
आइये इन सात महत्त्वपूर्ण रेखाओं के बारे में थोडा सा विस्तार से जानते है. सबसे पहले जानते हैं आयु रेखा के बारे में:- 1. आयु रेखा आयु रेखा यानी जीवन रेखा शब्द से ही इस रेखा का अनुमान हो जाता है. जीवन रेखा हाथ के अंगूठे और तर्जनी उंगली के मध्य से आरम्भ होकर हथेली के आधार तक जाती है. जीवन रेखा जितनी लम्बी और स्पष्ट होती है व्यक्ति की आयु उतनी ही लम्बी होती है यदि जीवन रेखा बीच में कही अस्पष्ट या टूटी हुई होती है तो उसे अल्प आयु या स्वाथ्य का नुक्सान होने का आभास कराता है. यदि जीवन रेखा पूर्ण स्पष्ट होकर हथेली के आधार तक जाती है तो व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है जबकि अस्पष्ट और और टूटी हुई रेखा आयु में बाधा का आभास कराती है।
2. ह्रदय रेखा यह रेखा सबसे छोटी उंगली (कनिष्ठिका) के नीचे से निकलकर तर्जनी उंगली के मध्य तक पहुँचती है. यह रेखा व्यक्ति के स्वाभाव को दर्शाती है. ह्रदय रेखा जितनी लम्बी होती है व्यक्ति उतना ही मृदुभाशी, सरल और जनप्रिय होता है इस प्रकार के व्यक्ति समाज में सर्व स्वीकार होते है और व्यक्तिगत जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ जीवन यापन करते है. इन लोगों के मन में छल कपट बहुत ही कम पाया जाता है और संतोषी प्रवत्ति के होते है. और जिन लोगों की ह्रदय रेखा छोटी होती है वह व्यक्ति असंतोषी, चिडचिडा, शंकालु अवं समाज से दूर रहने वाले वाली प्रवत्ति के होते है. ऐसे व्यक्ति छोटी सोच वाले होते है और जल्दी किसी पर विश्वास नहीं करते है. आम तौर पर इस प्रकार के व्यक्ति क्रूर प्रवत्ति के होते है।

3. मस्तिष्क रेखा यह रेखा तर्जनी उंगली के नीचे से और जीवन रेखा के आरंभ स्थान से निकलती है और सबसे छोटी छोटी ऊँगली कनिष्का के नीचे हथेली तक जाती है किसी-किसी व्यक्ति के हाथ में यह रेखा कनिष्का तक पहुचने से पहले ही समाप्त हो जाती है मस्तिष्क रेखा कहलाती है. मस्तिष्क रेखा जितनी लम्बी होती है व्यक्ति का मानसिक संतुलन उतना ही अच्छा होता है. ऐसे लोग भाग्य से ज्यादा मेहनत पर विश्वास करते है. इन लोगों की स्मरण शक्ति काफी अच्छी होती है और प्रत्येक कार्य को सोच समझ कर करते है. इस प्रकार के लोगों में हमेशा कुछ न कुछ सीखने की ललक रहती है. जबकि इसके विपरीत छोटी मस्तिस्क रेखा वाले लोग जल्दबाजी में रहते है, कर्म से से ज्यादा भाग्य पर विश्वास करते है और किसी जल्दबाजी में निर्णय लेते है. जिसका पछतावा उन्हें बाद में होता है।

4. भाग्य रेखा यह रेखा मध्यमिका और अनामिका के बीच से निकलकर नीचे हथेली तक जाती है. यह रेखा प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में नहीं पायी जाती है. भाग्य रेखा जितनी स्पष्ट होती है व्यक्ति का जीवन उतना ही सरल होता है जबकि इसके विपरीत जिन व्यक्तियों के हाथ में यह रेखा अस्पष्ट या टूटी हुई हो वह व्यक्ति जीवन में थोडा बहुत संघर्ष करता है और जिन व्यक्ति के हाथ में यह रेखा नहीं होती है इससे तात्पर्य यह होता है कि इस प्रकार के व्यक्ति कर्मवादी, मेहनती होते है और जीवन में संघर्षों से घिरे रहते है. भाग्य रेखा की व्याख्या बहुत कुछ मस्तिस्क रेखा पर भी निर्भर करती है।

5. सूर्य रेखा यह रेखा सभी व्यक्तियों के हाथ में नहीं होती है. यह रेखा चन्द्र पर्वत से आरम्भ होकर ऊपर तीसरी उंगली अनामिका तक जाती जाती है. जिस व्यक्ति के हाथ में यह रेखा होती है वह व्यक्ति निडर, स्वाभिमानी, द्र? इच्छाशक्ति वाला होता है. इस प्रकार के व्यक्ति जीवन में कभी हार नहीं मानते है और नेतृत्व प्रिय होते है।

६. स्वास्थ्य रेखा यह रेखा सबसे छोटी उंगली कनिष्का से आरम्भ होकर हथेली के नीचे की और चली जाती है. यह रेखा व्यक्ति के स्वास्थ की सूचक होती है।
7. शुक्र मुद्रिका यह रेखा कनिष्का और अनामिका के मध्य से आरंभ होकर तर्जनी और अनामिका के मध्य तक चंद्राकार रूप में होती है. यह रेखा आम तौर पर उन लोगों में पायी जाती है जो विलासी जीवन जीते है. इस प्रकार के लोग कामुक, खर्चीले और भौतिकतावादी होते हैं। सात छोटी रेखाओं के बारे में भी जानें- 1. मंगल रेखा यह रेखा जीवन रेखा और अंगूठे के बीच से निकलती है और मंगल पर्वत तक जाती जाती है। मंगल रेखा जितनी स्पस्ट होती है व्यक्ति उन्तना ही तीव्र बुद्धि का होता है, प्रत्येक कार्य को सोच समझ कर करने वाला होता है. ऐसे व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति बहुत ही जुझारू होते है जब किसी कार्य को ठान लेते है उसे पूरा कर के छोड़ते हैं। 2. चन्द्र रेखा यह रेखा कनिष्ठिका और अनामिका के मध्य से निकर कर नीचे मणिबंध तक जाती है. यह रेखा धनुषाकार होती है. इस रेखा को प्रेरणादायक रेखा भी कहते है. जिस व्यक्ति के हाथ में यह रेखा पायी जाती है वह व्यक्ति अपनी उन्नति के लिए सदैव लगा रहता है. इस प्रकार के व्यक्ति व्यवहार कुशल होते है जल्दी ही लोगों से घुल मिल जाते है। 3. विवाह रेखा कनिष्ठिका उंगली के नीचे एक या दो छोटी-छोटी रेखाएं होती है और ह्रदय रेखा के सामानांतर चलती है विवाह रेखा कहलाती है. इसे प्रेम रेखा भी कहते है. यह रेखाए जितनी स्पष्ट होती है व्यक्ति रिश्तों को उतना ही महत्त्व देता है। 4. निकृष्ट रेखा यह रेखा दु:ख देनी वाली रेखा होती है इसलिए इसे निकृष्ट रेखा कहते है. यह चन्द्र रेखा की ओर से चलती है और स्वास्थ्य रेखा के साथ चलकर शुक्र स्थान में प्रवेश करती है।


Like (1)

Comments

Post

Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।