*पितृपक्ष प्रारंभ 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक* पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा से श्राद्धपक्ष प्रारंभ होकर आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तिथि तक होता है। 16 दिन का पितृपक्ष होता है लेकिन इसबार 17 दिन का पितृपक्ष है जो कि ठीक नहीं होता है। ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री ने बताया है अगर कुंडली में पित्रदोष है तो श्राद्धपक्ष में यह उपाय करें पितृ गायत्री, का जप करावें पितरों का श्राद्धतर्पण करें पीपल व बरगद के पेड़ की पूजा करें। श्राद्धपक्ष में पंचबली भोग लगाना चाहिए। गाय, कौआ, कुत्ता, चींटी, देव आदि को भोजन कराना चाहिए। महाविद्याक्षरा ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य ने बताया है पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को याद कर उनका तर्पण किया जाता है। इन दिनों पूर्वजों के निमित्त दान पुण्य किया जाता है ताकि पूर्वजों की कृपा बनी रहे। *पितरों का श्राद्ध कैसे करें* पूर्वजों का जिस तिथि में अग्निसंस्कार होता है श्राद्धपक्ष में उसी तिथि को श्राद्धतर्पण, पिंडदान, पंचबली व ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
जलमें कालेतिल, जौ, कुश, दूध, सफेद पुष्प डालकर विधि पूर्वक तर्पण करना चाहिए।
जिन पूर्वजों की तिथि याद ना हो तो उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को करना चाहिए। यह तिथि 6अक्टूबर 2021 बुधवार को है।
शास्त्री जी ने बताया कि अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक, ब्रह्मांड ऊर्जा तथा उस ऊर्जा में पितृप्राण व्याप्त होता है। भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन प्रकार का ऋण होता है पितृऋण, देवऋण, ऋषिऋण, आदि इनमें से प्रमुख पितृऋण होता है। पितरों के आशीर्वाद से वंश विस्तार व धन-धान्य की वृद्धि होती है 16 दिनों की अवधि को पितृपक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष कहते हैं हिंदू धर्म में श्राद्धपक्ष का विशेष महत्व होता है।
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