🌹 धनतेरस की पूजा विधि🌹सबसे पहले धनत्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनें। और शुद्ध जल से भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें। इस दिन किसी जरूरतमंद को दान अवश्य करें।धनतेरस के दिन में अपनी क्षमतानुसार कोई भी शुभ वस्तु खरीदें। इस दिन कौन-कौन सी शुभ वस्तु खरीदी जा सकती हैं,
पूजा स्थल को साफ करके यहां आटे या चावल की मदद से अल्पना उकेरें। ईशान कोण या पूर्व दिशा में चौकी की स्थापना करें। आप चाहे तो यहां स्वस्तिक भी बना सकते हैं।अब यहां चौकी स्थापित करें, और इस पर एक साफ लाल वस्त्र बिछाएं। इसे गंगाजल से शुद्ध करें।
अब सभी भगवानों के आसन के स्वरूप में इसपर कुछ अक्षत डालें। इस चौकी पर माता लक्ष्मी को स्थापित करें।
माता लक्ष्मी के साथ ही कुबेर यंत्र को कुबेर देवता के रूप में, और एक सुपारी को श्री गणेश के रूप में स्थापित करें।
अब एक कलश में जल भरें। इसकी ग्रीवा पर कलावा बांधें। अब चौकी पर कुछ अक्षत डालकर यहां इस कलश को स्थापित करें।इसके मुख पर एक बड़ा दीपक रखें और इसे प्रज्वलित करें। यह जल कलश भगवान धन्वंतरि का स्वरूप है।
यमराज देवता की पूजा के लिए एक बड़ा मिट्टी का दीपक लें। इसमें एक कौड़ी, एक सिक्का और भोग के रूप में थोड़ा सा गुड़ या शक्कर डालें। इसे सरसों के तेल से भरकर इसमें तीन या चार रुई की बातियां रखके इसे जलाएं।
13 मिट्टी के दीपक प्रज्वलित करने के लिए पूजा की चौकी के पास रखें।अब जल पात्र से तीन बार आचमन विधि करें, और चौथी बार बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर हाथ साफ करें। इसके बाद स्वस्तिवाचन मन्त्र का उच्चारण करें।
अब प्रथम पूज्य श्री गणेश, माता लक्ष्मी, कुबेर देव, यमदीप और जलकलश पर गंगाजल छिड़कें।
इसके बाद हल्दी, कुमकुम, रोली, चंदन आदि से पंचोपचार की क्रिया पूरी करें। चौकी पर विराजमान देवों को कलावा अर्पित करें। कौड़ी और सिक्का माता के चरणों में भी रखें।
इसके बाद सभी भगवानों को अबीर, गुलाल और अन्य सुगंधित चीजें चढ़ाएं, और धुप-अगरबत्ती जलाएं। साथ ही सभी दीपकों को प्रज्वलित करें।
धनतेरस के दिन अपने जो भी सामग्री खरीदी है, उसे पूजा में चौकी के पास अवश्य रखें। खील-बताशा और धनिया भी माता लक्ष्मी को धनतेरस के दिन अवश्य चढ़ाएं।
सोने- चांदी के आभूषण, सिक्के, बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग आदि भी पूजा में अवश्य रखें।
चांदी या अन्य किसी भी धातु की साफ कटोरी में खीर और फल-मिष्ठान्न का भोग लगाएं।ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची) चढ़ाएं।पूजा में अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा भी रखें। यदि आपकी पूजा में किसी तरह की कोई कमी रह गई है, तो दक्षिणा उसकी पूर्ति करती है।इसके बाद दाएं हाथ में पुष्प लेकर चौकी पर विराजित सभी देवों से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्ध जीवन की कामना करें। और इस पुष्प को देवों के चरणों में अर्पित करें।
अब कर्पूर से आरती करें। और सबमें प्रसाद वितरित करें।मृत्युदेव यमराज जी के लिए जो दीपक आपने जलाया है, उसे ले जाकर अपने घर की दक्षिण दिशा में रखें। यह दीपक को जलाकर घर के भीतर नहीं रखा जाता है, इसीलिए इसे घर के बाहर दहलीज पर भी रखा जा सकता है।
अगले दिन कलश का जल तुलसी को अर्पित कर दें।
इस धनतेरस पर यह सरल पूजा विधि आपके धनतेरस के अनुष्ठान को सफल बनाएगी। साथ ही माता लक्ष्मी आपके घर में स्थिर रूप से निवास करेगी।