*🚩जन्म/लग्न कुंडली में बनने वाले अनूभूत-सिद्ध प्रबल 53 विशेष राजयोग* ---^^---^^---^^---^^०0०^^---^^---^^---^^--- *०१- मेष लग्न हो और लग्न में सुर्य हो गुरु ९ वे भाव में , मंगल १० वे भाव में, तथा शनि ११ वे भाव में होतो, प्रबल राजयोग होता है।
* *०२- मेष लग्न हो, सूर्य लग्न में मेष राशि का गुरु ४ थे भाव में कर्क राशि का शनि ७ वे भाव में तुला राशि का होतो, प्रबल राजयोग होगा।*
*०३- लग्न में सूर्य हो, तथा १० वे भाव में मंगल होतो, प्रबल राजयोग होगा।*
*०४- लग्न में सूर्य तथा चतुर्थ भाव में गुरु+चंद्रमा होतो, प्रबल राजयोग होगा।* *
०५- लग्न में सूर्य, चतुर्थ भाव में चंद्रमा तथा ७ वे भाव में शनि होतो प्रबल राजयोग होता है।*
*०६- मेष लग्न हो, और लग्न में उच्च राशि मेष का सूर्य हो, चंद्रमा ४ थे भाव में, तथा शनि ७ वे भाव में तुला राशि का होतो, प्रबल राजयोग होता है।
* *०७- मेष लग्न की कुंडली में लग्न में सूर्य मेष राशि का, ४ थे भाव में स्वराशि का चंद्रमा तथा १० वे भाव में उच्च राशि मकर का मंगल होतो , उच्च स्तरीय प्रबल राजयोग होगा।*
*०८- मेष लग्न हो और लग्न में सूर्य, २ रे भाव में चंद्रमा, ५ वे भाव में गुरु हो, ८ वे भाव में मंगल हो, तथा ११ वे भाव में शनि होतो, प्रबल राजयोग होता है।*
*०९- मेष लग्न हो और लग्न में सूर्य,३ रे भाव में बुध , ५ वे भाव में गुरु तथा ८ वे भाव में मंगल होतो, प्रबल राजयोग होता है।
* *१०- वर्षभ लग्न में सूर्य और बुध की युति ९ वे भाव में हो, तथा २ रे भाव में बलवान शनि हो साथ ही ११ वे भाव में शुक्र होतो, राजयोग होता है।* *
११- यदि वर्षभ लग्न हो और लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो, दुसरे भाव में स्वराशी का बुध हो, ४ थे भाव में सिंह राशि का सूर्य हो तथा ७ वे भाव में स्वराशी का मंगल होतो यह उत्तम राजयोग होता है।* *
१२- यदि वर्षभ लग्न हो और लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा , ५ वे भाव में सूर्य+बुध की युति हो ६ ठे भाव में शुक्र हो, तथा ३ रे भाव में गुरु हो , तथा ७ वे भाव में मंगल होतो यह प्रबल राजयोग होता है।* *
१३- यदि वर्षभ लग्न हो और लग्न में चंद्रमा, ७ वे भाव में गुरु, १० वे भाव में शनि तथा ४ थे भाव में सूर्य होतो , संघर्ष के बाद राजयोग का फल मिलता है।* *
१४- यदि लग्न में चंद्रमा , २ रे भाव में गुरु हो, ६ थे भाव में शनि तथा अन्य ग्रह ११ वे भाव में होतो, जातक को राजयोग का फल मिलता है।* *
१५- यदि मिथुन लग्न हो और ९ वे भाव में शनि हो तथा ११ वे भाव में सूर्य+बुध हो तो, राजयोग होता है।* *
१६- यदि मिथुन लग्न हो और ९ वे भाव में शनि हो तथा ११ वे भाव में चन्द्र+मंगल की युति होतो, यह एक राजयोग होता है।*
*१७- कर्क लग्न हो और ११ वे भाव में बुध, चंद्रमा, व शुक्र तीनों की युति हो तथा गुरु लग्न में हो तथा १० भाव वे में सूर्य हो तो , यह एक प्रबल राजयोग होता है।* *
१८- कर्क लग्न हो और लग्न भाव में गुरु हो, २ रे भाव में सूर्य तथा ७ वे भाव में मंगल होतो यह एक राजयोग होगा।*
*१९- यदि कर्क लग्न हो और लग्न में गुरु+चन्द्र की युति तथा १० वे भाव में सूर्य हो तो यह एक प्रबल राजयोग होगा।*
*२०- यदि कर्क लग्न हो और सूर्य मेष राशि का, गुरु कर्क राशि का शनि तुला राशि का तथा मंगल मकर राशि का होतो, जातक उच्च स्तरीय सरकारी पद पाता है।*
*२१- जिस जातक का कर्क लग्न हो और लग्न में गुरु उच्च राशि कर्क का हो, शनि चतुर्थ भाव में तुला राशि का हो, तथा सूर्य मेष राशि का १० वे भाव में होतो, ये उच्च स्तरीय राजयोग होगा।* *
२२- लग्न में गुरु कर्क राशि का १० वे भाव में मेष राशी का सूर्य, तथा ७ वे भाव में उच्च राशि मकर का होतो, प्रबल राजयोग होगा।*
*२३- कर्क लग्न में गुरु, ४ थे भाव में तुला का शनि तथा ७ वे भाव में मकर का मंगल हो तो यह भी राजयोग होगा।
* *२४- कर्क लग्न हो तथा लग्न में ही गुरु +चंद्रमा की युति हो तथा शनि ४ थे भाव में तुला राशी का हो तो, यह भी एक राजयोग है।* *२५- कर्क लग्न हो तथा लग्न में चंद्रमा +गुरु की युति हो तथा ७ वे भाव में मकर राशि का मंगल तो यह प्रबल राजयोग होता है।*
*२६- कर्क लग्न हो और लग्न में उच्च राशि का गुरु हो तथा १० वे भाव में मेष राशि का मंगल हो तो, प्रबल राजयोग होगा।* *२७- यदि कर्क लग्न हो और १० वे भाव में सूर्य+मंगल की युति तथा ९ वे भाव में गुरु+चन्द्रमा की युति हो तो प्रबल राजयोग होता है।*
*२८- कन्या लग्न हो और लग्न में बुध हो तथा ५ वे भाव में मंगल+शनि हो, तथा ४ थे भाव में गुरु+शुक्र+चंद्रमा की युति होतो यह प्रबल योग होता है।*
*२९- तुला लग्न हो तथा लग्न में शनि हो, ७ वे भाव सूर्य, तथा १० वे भाव में गुरु होतो यह प्रबल राजयोग होता है किन्तु काफी संघर्ष के बाद सुख मिलता है।*
*३०- तुला लग्न हो लग्न में शनि , चतुर्थ भाव में मंगल तथा ७ वे भाव सूर्य होतो , यह पब्ल राज योग होता है।*
*३१- तुला लग्न हो और ४ थे भाव में मंगल , १० वे भाव में गुरु हो तथा लग्न में शनि होतो, यह एक राज योग होगा।* *
३२- तुला लग्न हो और लग्न में शनि , ७ वे भाव में सूर्य हो तथा १० वे भाव में चंद्रमा होतो. भरपूर संघर्ष के बाद राजयोग होगा।* *
३३- लग्न में शनि तथा १० वे भाव में गुरु +चंद्रमा की युति हो तथा तुला लग्न होतो , यह एक राज योग होगा।* *
३४- तुला लग्न हो लग्न में शनि , ४ थे भाव में मगल तथा १० वे भाव में चंद्रमा होतो , बहुत मानसिक कष्ट के साथ ही यह एक प्रबल राजयोग है।* *
३५- तुला लग्न में शनि तथा १० वे भाव में स्वराशी का चंद्रमा होतो जातक जीवन में अवश्य ही उच्च पद प्राप्त करता है किन्तु दाम्पत्य जीवन बहुत कष्टमय होगा।*
*३६- यदि तुला लग्न हो और लग्न में शुक्र+शनि की युति तथा ७ वे भाव में मंगल हो, १० वे भाव में गुरु तथा १२ वे भाव में सूर्य +बुध की युति हो यह प्रबल राजयोग होता😢 है।*
*३७- तुला लग्न में शनि लग्न में उच्च राशि का ४ थे भाव में उच्च राशि मकर का मंगल तथा १० वे भाव में कर्क राशि का गुरु हो तो प्रबलतम राजयोग होता है।*
*३८- तुला लग्न में शनि ७ वे भाव में सूर्य, १० वे भाव गुरु हो तो, यह एक राजयोग होगा।
* *३९- मकर लग्न हो और ५ वे भाव में उच्च राशि का चंद्रमा हो, ९ वे भाव में गुरु तथा लग्न में बुध + शुक्र हो तो यह राजयोग होता है।* *४०- मकर लग्न हो और ५ वे भाव में उच्च राशि का चंद्रमा हो और उसको गुरु देखता हो , साथ ही लग्न में बुध+शुक्र लग्न में हो तो यह एक राजयोग है।* *४१- मकर लग्न हो और लग्न में मंगल तथा ४ थे भाव में सूर्य, व ७ वे भाव में गुरु हो तो यह एक विशेष राजयोग होगा।
* *४२- मकर लग्न में मंगल, ४ थे भाव में सूर्य, तथा १० वे भाव में शनी हो तो, प्रबल राजयोग होगा।* *
४३- मकर लग्न में मंगल हो, ७ वे भाव में गुरु तथा १० वे भाव में शनि होतो, यह एक राजयोग होगा।*
*४४- यदि मकर लग्न में मंगल तथा ७ वे भाव में गुरु होतो यह भी राजयोग होगा।
* *४५- मकर लग्न में मंगल, तथा ७ वे भाव में चंद्रमा तथा ४ थे भाव में उच्च का सूर्य हो तो, यह प्रबल राजयोग होगा।*
*४६- मकर लग्न में लग्न में मंगल , १० वे भाव में शनि , तथा ७ वे भाव में चन्द्रमा होतो यह राज योग होता है।* *
४७- मकर लग्न में मंगल , तथा ७ वे भाव में चंद्रमा होतो, यह राजयोग होता है।*
*४८- मकर लग्न में मंगल+चंद्रमा हो तथा १२ वे भाव में सूर्य होतो, यह भी राजयोग होता है।* *४९- मकर लग्न में शनि, ३ रे भाव में चंद्रमा, ६ थे भाव में मंगल , ९ वे भाव में बुध तथा १२ वे भाव में गुरु होतो, राजयोग होता है।
* *५०- मकर लग्न में शनि, ४ थे भाव में मंगल, ७ वे भाव में चंद्रमा, ८ वे भाव में सूर्य, ९ वे भाव में बुध, १० वे भाव में शुक्र होतो, प्रबल राजयोग होता है।
* *५१- कुम्भ लग्न हो और ४ थे भाव में शुक्र, होतो, यह एक राजयोग होता हैं
* *५२- कुम्भ लग्न में शनि, ५ वे भाव में बुध, ७ वे भाव गुरु, १० वे भाव में मंगल होतो, यह राजयोग होता है।
* *५३- मीन लग्न में ३ रे भाव में चंद्रमा, ६ ठे भाव में सूर्य, ७ वे भाव में बुध, ८ वे भाव में शुक्र, १० वे भाव में गुरु, ११ वे भाव में मंगल तथा १२ भाव में शनि होतो, यह एक विशेष राजयोग होता है।* *-हरिःओउःम्🔔*