Nadi astrology
Shareआज हम कुछ नाड़ी के साधारण विषय में चर्चा करेंगे
क्योंकि बिना समग्रिक रूप से समझे नाड़ी में फलित करना असंभब है।
कुछ बिशिष्ठ नाड़ी ग्रन्थ में
सुर्य नाड़ी
चंद्र नाड़ी
कुज नाड़ी
बुधनाड़ी
गुरु नाड़ी
शुक्र नाड़ी
शनि नाड़ी
लग्न नाड़ी
लग्नाधिपति नाड़ी
भृगु नाड़ी
नंदी नाड़ी
ध्रुब नाड़ी
सत्य नाड़ी
अगस्त्य नाड़ी
चन्द्रकला नाड़ी
सप्तऋषि नाड़ी
ईस्वर नाड़ी
जैसे ग्रन्थ है।
और इम्पोर्टेन्ट बात है की चंद्र कला में इन सब नाड़ी के कुछ ना कुछ अंश किसी ना किसी रूप में दिया हुआ है।
ताड़पत्र पर अंगूठे की निशान से जो अगस्त्य नाड़ी बिचार किया जाता है,उसमे 15 चैप्टर होते है।
1 चैप्टर में जातक के बारे में साधारण सी जानकारी।
2 चैप्टर में धन और परिवार
3 में भाई बहन और साहस
4 में माता और सुख
5 में संतान
7 में विवाह
6 में ऋण शत्रु रोग
8 में आयु
9 में भाग्य और धर्म
10 में कर्म
11 में लाभ और द्वितीय विवाह
12 में हानि
13 में दशा फल
14 में शांति
15 में दीक्षा
बिना ताड पत्र के भी आप यह सब बिषय पर बिचार कर सकते है।
उसके लीये कुछ बातो का ध्यान रखना पड़ता है।
यदि आपके जन्म राशि से चन्द्रमा 8 में हो तो उसदिन बिचार ना करे।
अमावस्या या कृष्ण पक्ष के प्रतिपद को बिचार ना करे।
राहु काल को बिचार ना करे।
और सबसे महत्पूर्ण बात
जबभी आपके पास कोई बिचार के लिये आये तो दो कुंडली बनाना।
1 जनम कुंडली
2 होरा कुंडली
आज होरा कुंडली के बारे में आप लीगों को थोडा बताते है।
कुछ लोग प्रश्न कुंडली बनाते है।
1 से 108
या 1 से 249 तक की संख्या लेके।
आप को ऐसा कुछ नेही करना है।
जब आप बिचार करने बैठे ,उस समय किस ग्रह का होरा चल रहा हो देख ले।
और उस समय की हिसाब से एक कुंडली बनाले।
जैसे अभी 8:12 पम delhi का एक कुंडली बनाये।
और अभी 7 :55 pm से शनि की होरा शुरू हुआ है।
तो आपको शनि को देखना है।
शनि धनु राशि में है।
पूर्व दिशा में है।
राहु के साथ त्रिकोणात्मक सम्बन्ध बना रहा है।
अर्थात शनि + राहु का योग बन रहा है।
यानि यदि अभी कोई आपसे बिचार के लिये आये और कर्म से सम्बंधित जानकारी प्राप्त करना चाह ता हो ,तो भले ही उनके कुंडली में अच्छे योग हो फिरभी आप अगले 6 /7 महीने तक कर्म को लेकर परेशानी का ही फलित दे।
6/7 महीने का क्या कारन ।
उस समय के बाद ,राहु से शनि का सम्बन्ध खत्म हो जायेगा ।
और शनि से विपरीत त्रिकोण में गुरु का गोचर होगा।
धर्मं + कर्म का योग या धर्मकर्माधिपति योग का निर्माण होगा।
इसलिये मात्र जनम कुंडली मत बनाये।
होरा कुंडली भी साथ में रखे।
अब एक होरा 1 घंटे का होता है।
यदि उस 1 घंटे के दौरान 3 जातक आपसे बिचार के लिये आये तो ?
1 जातक के लिये होरा lord
2 जातक के लिए होरा स्वामी जहा है उससे 5 लार्ड
और तीसरे जातक के लिये होरा स्वामी जहा बैठा है उससे 9 लार्ड को देखना होगा।
और किसी भी हालात 3 से ज्यादा जातक की कुंडली 1 घंटे में बिचार ना करे ।
अभी शनि की होरा है।
शनि धनु में है।
धनु से 5 मेष ।स्वामी मंगल दूसरे जातक के लिये।
धनु से 9 का स्वामी सूर्य तीसरे जातक के लिये। बिचार्य होगा।
यदि आप इन नियोमो का शुद्ध रूप से पालन करेंगे तो ऋषियो की आशिर्बाद से ग्रह आपसे बोलने लगेंगे