गजकेसरी योग
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गजकेसरी योग" फलित ज्योतिष का प्रसिद्ध सुयोग है। जैसा की सर्वविदित है गज का अर्थ "हाथी" एवं केसरी का अर्थ "सिंह" होता है। दोनों ही बलवान एवं निडर होते हैं। बलवान शासक का मंत्री भी शक्तिशाली हो जाता है।इसी प्रकार बृहस्पति की शुभता के कारण चंद्रमा भी सशक्त बन जाता है।
"केन्द्रस्थिते देवगुरौ मृगाड्कांद्,
योगस्तदाहुर्गजकेसरीति।
दृष्टे सिताययैन्दुसुतै शशांके,
नीचास्तहीनै र्गजकेसरी स्यात्।।
चन्द्रमा से केंद्र में बृहस्पति हो तो "गजकेसरी योग" होता है।शुक्र,गुरु ,बुध ये ग्रह यदि नीच अथवा अस्त न होते हुए चंद्रमा को देखे तो भी गजकेसरी योग होता है।
"गजकेसरीसंजातस्तेजस्वी धनधान्यवान्।
मेधावी गुणसंपन्नौ राज्यप्राप्तिकरो भवेत्।।
जातक तेजस्वी धनधान्य से संपन्न, मेधावी, गुणसंपन्न एवं राज्य या शासन का सहयोगी या पदाधिकारी होता है। अतः केवल बृहस्पति और चंद्रमा का केन्द्रस्थ या त्रिकोस्थ होना ही शुभकारी नहीं होता है। चंद्रमा एवं बृहस्पति चतुर्थ या दशम भावस्थ होकर दृष्ट हो या युतिगत हो तथा महादशा एवं अंतर दशा अनुकूल हो तो राज्य या शासन से लाभ प्राप्त होता है, फलदिपीका ग्रंथ मे:
"केसरीव रिपुवर्ग निहन्ता प्रोढ़वाक् सदसि राजसवृति:।
दीर्घजीव्यतियशा: पटुर्बुद्धिस्तेजसा जयति केसरियोग:।।
जातक शत्रुहंता, कुशल वक्ता,दीर्घायु, यशस्वी, तेजस्वी,चतुर बुद्धि एवं राजसी वृत्ति वाला होता है।
आमतौर पर सिंह और गज मे मित्रता नहीं होती है और सिंह अवसर मिलने पर हाथी पर हमला कर ही देता है किंतु हाथी अपने शारिरीक बल से सिंह को खदेड़ देता है।
वैसे ही बृहस्पति एवं चंद्रमा दोनों सौम्य ग्रह है किंतु जब सौम्यता कलुषित होती है तो मानसिक विकार का रूप ले सकती है। बृहस्पति का मन मलिन नहीं होता है किंतु स्वाभिमान आहत होने पर क्रोध अवश्य आता है किंतु चंद्रमा तो मन का कारक होता है, मलिनता से ओतप्रोत व्यक्तित्व निस्वार्थ दाता नहीं हो सकता है। गजकेसरी योग में भी चंद्रमा की शुभता बहुत महत्वपूर्ण होती है।
अतः यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि "गजकेसरी योग" मे गज या बृहस्पति का बलाबल कितना है एवं योगकारक ग्रह की महादशा जीवन के किस भाग को प्रभावित कर रही है, पश्चात ही भविष्य कथन करना चाहिए