आत्मा व परमात्मा कुंडली द्वारा
Shareद्वादश भाव का वो रहस्य जो आपको किसिने नेही बताया। जीव लगन =स्वयम् (आप खुद) दूसरा घर =जीवात्मा और माया का सम्बन्ध का फ़ल तीसरा घर=माया के कारण चौथा घर=जीवात्मा और माया का वियोग पंचम घर=जीव आत्मा की परिणाम छटा घर =जीब आत्मा और माया के संयोग का कारण सातवाँ घर=माया अष्टम घर= जीवात्मा और माया का वियोग का फ़ल नवम घर=जीवात्मा का कारण दशम घर =जीव आत्मा और माया का संयोग एकादश घर =माया का परिणाम या फ़ल द्वादश घर = जीव आत्मा और माया का वियोग के कारण। जब सिर्फ़ मै होता है।दूसरे किसी भी प्रकार की पदार्थ की उपलब्ध होना नेही होता। जब नातों शरीर होता है।ना इंद्रिय होता है और नाहि मन।लेकिन फिर भि मै होता है। अहंकार कि उस बिशुद्धा अवस्था का नाम परमात्मा है। जब आत्मा जीव शरीर को प्राप्त होता है और आत्मा का सम्बन्ध माया (दिखने वाले जगत संसार )से होने लगता है तब आत्मा को ये अनुभूति होने लगता है की मै भि हु और मेरे अतिरिक्त भि है। ये मेरे अतिरिक्त (आलाभा) जो है वही माया है। जीव आत्मा जब माया के साथ युक्त होता है तो कुंडली के द्वादश घर बनते है।www.futurestudyonline.com ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री🙏