जिस प्रकार हर एक परिवार में माता-पिता, भाई-बहन और अन्य रिश्तेदार होते हैं, उसी तरह ऋषि-मुनियों ने नवग्रहों को हमारे परिवार के सदस्यों की तरह जोड़कर उनका अध्ययन किया है। आइए, जानें हम भी कैसे खुश रह सकते हैं- सूर्य : सूर्य पिता है। सूर्य की कृपा के लिए हमें उनकी आराधना करना चाहिए। सूर्य की कृपा मिलने पर जातक की कीर्ति बढ़ती है, दुःख कम हो जाते हैं। चन्द्रमा : चन्द्रमा माता है, अतः जिस प्रकार माँ की सेवा करने से मन को शांतता मिलती है, उसी प्रकार चन्द्रमा की आराधना करने से जीवन में शीतलता मिलती है। यदि चन्द्रमा की कृपा न हो तो जातक सब सुखों के रहते भी मन में दुःखी रहता है। मंगल : मंगल छोटा भाई है। मंगल पराक्रम का ग्रह है। इसकी कृपा न होने पर जातक के पराक्रम में कमी आती है। सभी प्रकार के हथियार और औजार आदि का प्रतिनिधि है मंगल। बुध : बहन, बुआ, मौसी आदि है बुध। बुध वाणी का भी कारक है। यदि बुध शुभ होंगे तो आपके शब्द, आपकी वाणी खाली नहीं जाएगी। बुध को प्रसन्न रखें और फिर जीवन में उसका सकारात्मक असर देखिए। बृहस्पति : बड़े भाई हैं बृहस्पति। इसके अलावा उन्हें सलाहकार और उच्च शिक्षक का भी स्थान प्राप्त है। यदि जातक पर उनकी कृपा है तो उन्हें अच्छी सलाह मिलती रहेगी। उनकी आराधना करने वाले का चरित्र और कीर्ति उज्ज्वल होती है। गीता,रामायण, उपनिषद या वेदों का पठन करें शुक्र : पति के लिए पत्नी और पत्नी के लिए पति है शुक्र। उन्हें एक-दूसरे का आदर करना ही चाहिए। शुक्र की कृपा होने पर घर में वैभव की प्राप्ति होती है। घर को भौतिक साधनों से संपन् करने के लिए शुक्र को प्रसन्न रखना चाहिए। समय समय पर एक दूसरे को उपहार देकर खुश रखें शनि : घर का मुखिया है, जो एक सेवक की भांति आपको सुखी रखेगा और यदि उसकी अनदेखी करोगे तो दुःख ही दुःख मिलेगा। जो लोग अपने घर के मुखिया और दफ्तर/ कारखानों में काम करने वाले सेवकों/अधिनस्तो/नोकरो के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते, उन्हें शनि देवता दुःखी करते हैं। शनि न्याय प्रिय है शराब कबाब व उल्टे व्यसन करने वाले को शनि उतना ही दंड देता है जितने व्यसन भयंकर होते हैं राहु : ससुराल के सभी लोग सास-ससुर आदि राहु हैं। ससुराल वालों से संबंध अच्छा रखने वालों पर राहु प्रसन्न रहते हैं। कुंडली में राहु एनर्जी है पॉवर है पॉजिटिव शक्ति है यदि राहू के विपरीत होने पर ससुराल वालों को प्रसन्न रखें। व चंदन इत्र व गुलाब इत्र की खुसबू का उपयोग करें सदैव लाभ होगा केतु : संतानें केतु हैं। व पुत्र सन्तान को भी केतु माना जाता है केतु की प्रसन्नता के लिए अपनी संतानों के प्रति उत्तरदायित्वों का पालन नैतिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर करना चाहिए। केतु शुभ स्थिति में हो तो जातक को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है। केतु मोक्ष का कारक भी माना जाता है। दूसरी तरफ मोक्ष भी संतान से ही प्राप्त होता है।
very nice article by Astro Ravi ji
बहुत अच्छा लिखा है जैसे भाई-बहन अन्य रिश्तेदार होते हैं, उसी तरह ऋषि-मुनियों ने नवग्रहों को हमारे परिवार के सदस्यों की तरह होते हैं