राजनीति_सफलता_के_ग्रह_योग
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राजनीती छेत्र एक बहुत बड़ा छेत्र है जो समाजहित और जनता के लिए कार्य करता है।राजनीती में सफलता के लिए सभी 9 ग्रहो का अनुकूल होना जरुरी होता है क्योंकि सभी ग्रह आज की राजनीती में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।सूर्य खुद राजा है यह सरकार और राजनीती का कारक है।इसके प्रभाव से राजनीती में नाम, राज्य, उच्च पद, सम्मान, यश-कीर्ति मिलती है।चंद्रमा मन है राजनीती में कई तरह से कठोर और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते है जो मन की मजबूती पर निर्भर करते है इसीकारण जातक के चंद्र का मजबूत और अनुकूल होना जरूरी है।मंगल यह सेनापति है, जनता के साहस, जोश से भाषण देना, निडर होकर समाज हित में काम करना यह मंगल के प्रभाव से हो पाता है।बुध इसके बिना राजनीती में सफलता मिलना नमुमकिन है क्योंकि बुध बुद्धि, भाषण देने की कला, बोलने की कला, गहराई से सोचने समझने की समझ का कारक है इसीकारण इसकी अनुकूलता भी जरूरी है।गुरु यह राज्यकृपा और उच्च पद, मंत्री पद का कारक है, सलह देना यही गुरु की देन होती है।राजनीती में जो समाजहित के लिए सलह दी जाती है वो गुरु ग्रह के ही अंतर्गत ही आती है इन कारणों से गुरु की अनुकूलता जरूरी है।शुक्र भी राजनीती में गुरु की तरह की कार्य करता है लेकिन गुरु से सोच-समझ और सलह में कुछ कम।गुरु शुक्र दोनों ग्रह मंत्रीपद के कारक ग्रह है।शनि यह जनता का कारक है जब तक जनता का सहयोग राजनीतिज्ञ को न मिले तब तक राजनीती में सफलता नही मिल सकती।शनि की अनुकूलता से ही जातक जनता है का हितेषी होता है और जनहित में काम भी करता है जिस कारण से जलजतक जनता का प्यारा होता है जो शनि की ही देन है।राहु यह आज की राजनीति का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है।एक तरह यह आज की राजनीति का हीरो है।आज राजनीती में हर तरह का षड्यंत्र, षड्यंत्र संबंधी काम,जरूरत से ज्यादा चालाकी, रूप बदलबदलकर सबका प्यार बनकर अपना फायदा सोचने वाला राहु राजनीती में छप्पड़ फाड़ कर सफलता दिलाता है।यह अपनी पैनी और चतुर बुद्धि से राजनीती में अपने विरोधियो और शत्रुओ मुह बन्द करने में महिर है।यही राहु आज की राजनीती का असली खिलाडी है।केतु की भूमिका सामान्य ही राजनीती में रहती है।।
राजनीती में जैसे सभी ग्रहो का अनुकूल होना जरूरी है वेसे ही कुंडली के कुछ भाव, भावेशों का भी बली और अनुकुल होना जरूरी है।पहला लग्न लग्नेश बली होना ही चाहिए लग्न लग्नेश पर शुभ प्रभाव होना शुभ रहता है क्योंकि लग्न लग्नेश जातक खुद है और खुद का प्रभाव और छवि जो राजनीती में अपनी पहचान बनाता है यह लग्न लग्नेश की की अनुकूलता से मिलती है।दशम भाव, दशमेश जो राजनीती का घर है जिस कारण से भाव भावेश दोनों का बली और शुभ योगो में होना जरूरी है।दशमेश का दशम के साथ शुभ योगो गजकेसरी योग, लक्ष्मी योग, बुधादित्य योग, सुनफा-अनफा योग, पंचमहापुरुष योगो का योग का होना राजनीती में महान सफलता दिलाता है जातक सफल और उच्च स्तर का राजनीतिज्ञ होता है।दशमेश का त्रिकोणेश और केंद्र त्रिकोण के सम्बन्ध में केंद्र या त्रिकोण में होना चाहिए, दशम भाव, भावेश जितना ज्यादा शुभ बली ग्रह और ग्रहयोगों के प्रभाव में होगा उतना ही अच्छे सफल योग राजनीती में बनते है।नवम भाव जो भाग्य का घर का बली होना, नवमेश का केंद्र त्रिकोण या नवम भाव में ही होना, शुभ ग्रह योगो में होना सफलता देगा जातक का भाग्य राजनीती में उसका साथ देता है।इसके आलावा विशेष रूप से जनता का भाव भावेश चतुर्थ/भावेश, बुद्धि-विवेक, मंत्रियो का भाव पंचम भाव भावेश, षष्ट भाव भावेश जो सबसे बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि यह भाव प्रतियोगिताओ का होता है और राजनीती में अलग-अलग पार्टियो के बीच चुनाव के समय और समय समय पर प्रतियोगिताएँ जीत के लिए होती रहती है प्रचार-प्रचार आदि के द्वारा जो षष्ट भाव भावेश के शुभ बली होने से संभव हो पाता है।सातवाँ भाव यह राजनीती के दशम भाव से दशम भाव है इस कारण से इस भाव/भावेश का विचार भी दशम भाव/भावेश की तरह किया जाता है।इसके आलावा अनुकूल और योगकारक ग्रहो की दशाओ का जातक के जीवन में सही समय पर आना भी जरूरी होता है जिन ग्रह दशाओ के प्रभाव से जातक सफलता और सफलता के मुकाम पर पहुचता है इस कारण से राजनीती ग्रह योगो सहित सही ग्रह दशाओ का सही समय पर आ जाने से जातक एक सफल और उच्च स्तर का राजनीतिज्ञ बनने में सफल रहता है।