दशम भाव ज्योतिष में दशम भाव को कर्म का भाव कहा जाता है। यह भाव व्यक्ति की उपलब्धि, ख़्याति, शक्ति, प्रतिष्ठा, रुतबा, मान-सम्मान, रैंक, विश्वसनीयता, आचरण, महत्वाकांक्षा आदि को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त कुंडली में दशम भाव जातक के करियर अथवा उसके व्यवसाय को बताता है। मुख्य रूप से इस भाव के माध्यम से जातकों के कर्म के कार्यक्षेत्र का विचार होता है।
कर्म (व्यवसाय), जीवनशैली, साम्राज्य, सफलता, आचरण, सम्मान, बलिदान, गुण, अर्थ (धन), गमन (चाल), ज्ञान (बुद्धि), प्रवृत्ति (झुकाव) ये सभी दसवें भाव से ज्ञात होती हैं। दशम भाव के कारकत्व दशम भाव व्यवसाय, रैंक, अस्थायी सम्मान, सफलता, आजीविका, आत्म सम्मान, धार्मिक ज्ञान और गरिमा को दर्शाता है।
ज्योतिष में दशम भाव का महत्व पाश्चात्य ज्योतिष में कुंडली के दशम भाव को पिता का भाव माना जाता है, क्योंकि कुंडली में दशम भाव ठीक चौथे भाव के विपरीत होता है जो कि माता का भाव है। प्राचीन काल में, पिता को ही गुरु माना जाता था और कुंडली में नवम भाव गुरु का बोध करता है। अतः नवम भाव को गुरु के साथ-साथ पिता का भाव माना जाता है। ऋषि पराशर के अनुसार, नवम भाव पिता का भाव होता है। जबकि दसवां भाव पिता की आयु को दर्शाता है। काल पुरुष कुंडली में दशम भाव को मकर राशि नियंत्रित करती है और इस इस राशि का स्वामी “शनि” ग्रह है। दशम भाव को लेकर उतर-कालामृत में कालिदास कहते हैं, कुंडली में दशम भाव से व्यापार, समृद्धि, सरकार से सम्मान, सम्माननीय जीवन, पूर्व-प्रतिष्ठा, स्थायित्व, अधिकार, घुड़सवारी, एथलेटिक्स, सेवा, बलिदान, कृषि, डॉक्टर, नाम, प्रसिद्धि, खजाना, ताकतवर, नैतिकता, दवा, जाँघ, गोद ली गई संतान, शिक्षण, आदेश आदि चीज़ों का विचार किया जाता है।
“जातका देश मार्ग” के लेखक कहते हैं कि कुंडली में दशम भाव के माध्यम से व्यक्ति के मान-सम्मान, गरिमा, रुतबा, रैंक आदि को देखा जाता है। वहीं प्रश्नज्ञान में भटोत्पल कहते हैं कि दशम भाव से साम्राज्य, अधिकार की मुहर, धार्मिक योग्यता, स्थिति, उपयोगिता, बारिश और आसमान से जुड़ी चीजों से संबंधित मामलों की जानकारी प्राप्त होती है
। सत्य संहिता में लेखक ने दसवें भाव को किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, रैंक, रुतबा तथा प्रतिष्ठित एवं सज्जन लोगों के साथ उसके संबंध की जाँच करने वाला बताया है।
वराहमिहिर के पुत्र पृथ्युशस ने दशम भाव को लेकर कहा है कि इस भाव से किसी के अधिकार से संबंधित सूचनाएँ, निवास, कौशल, शिक्षा, प्रसिद्धि आदि चीज़ों को ज्ञात किया जाता है। संकेत निधि में रामदयालु ने कहा है कि कुंडली के दशम भाव से जातक के अधिकार, परिवार, ख़ुशियों में कमी देखी जाती है। यह भाव लोगों के पूर्वजों के प्रति कर्म, व्यापार, व्यवसाय, आजीविका, प्रशासनिक नियुक्ति, खुशी, स्थिति, कार्य घुटने और रीढ़ की हड्डी को देखा जाता है। विभिन्न ज्योतिषीय किताबों में दशम भाव को लेकर लगभग समान बातें लिखी गई हैं। यह भाव जातक की नैतिक ज़िम्मेदारी तथा उसकी सांसारिक गतिविधियों से संबंधित सभी विचारणीय प्रश्नों को दर्शाता है। यह भाव लोगों के स्थायित्व, प्रमोशन, उपलब्धि एवं नियुक्ति के बारे में बताता है। इस भाव का मुख्य प्रभाव जातक के कार्य, व्यापार या अधिकार क्षेत्र पर दिखाई पड़ता है।
फलदीपिका में मंत्रेश्वर ने दशम भाव के लिए प्रवृति शब्द का प्रयोग किया है। किसी व्यक्ति के कार्य/व्यवसाय को समझने के लिए दशम भाव के साथ दूसरे एवं छठे भाव को देखना होता है। कुंडली में षष्ठम भाव सेवा, रुटीन एवं प्रतिद्वंदिता की व्याख्या करता है। जबकि द्वितीय भाव धन के प्राप्ति को बताता है। दसवें भाव को कर्मस्थान के रूप में जाना जाता है। हिन्दू शास्त्रों में मनुष्य के कर्म को इस प्रकार बताया गया है: संचित कर्म: पिछले जन्मों के संचित कर्म। प्रारब्ध कर्म: वर्तमान जन्म में प्राप्त संचित कर्मों का एक भाग। क्रियामान कर्म: वर्तमान जन्म के वास्तविक कर्म। आगामी कर्म: कर्म जिन्हें हम अपने अगले जन्म में साथ लेकर जाएंगे। यदि वर्तमान जन्म ही अंतिम जन्म है तो जातक मोक्ष को प्राप्त करता है। मेदिनी ज्योतिष के अनुसार दशम भाव राजा, राजशाही, कुलीनता, क्रियान्वयन, संसद, प्रशासन, विदेशी व्यापार, कानून व्यवस्था आदि को दर्शाता है। इस भाव से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य कार्यकारी व्यक्ति, सरकार एवं सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति का विचार किया जाता है।कुंडली में यह भाव नेतृत्वकर्ता का स्वामी होता है और अन्य देशों के बीच राष्ट्र की प्रतिष्ठा और स्थिति का बोध कराता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली का दशम भाव किसी राष्ट्र के सर्वोच्च अधिकार क्षेत्र को दर्शाता है। दशम भाव वाणिज्य मंत्रालय, राजा, सरकार, सत्ता, कुलीनता और समाज, उच्च वर्ग आदि को दर्शाता है। प्रश्न ज्योतिष के अनुसार, दशम भाव न्यायाधीश, निर्णय एवं चोरों द्वारा चोरी की गई वस्तुओं को दर्शाता है। कुंडली में दशम भाव से क्या देखा जाता है? करियर या प्रोफेशन राजयोग मान-सम्मान पिता की आर्थिक स्थिति जीवनसाथी की पारिवारिक स्थिति दशम भाव का अन्य भावों से अंतर्संबंध जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं। इन भावों का एक-दूसरे से अंतर-संबंध होता है। इसी शृंखला में दशम भाव का भी संबंध अन्य भावों से है। दशम भाव जातक के पेशे या अधिकार को नहीं बल्कि कार्य के वातावरण को दर्शाता है। अपने अपने कामकाजी माहौल में लोगों से किस तरह से मेलजोल अथवा बातचीत करते हैं। इसका पता कुंडली के दसवें भाव से चलता है। आप किसी के साथ जैसा व्यवहार करेंगे, वैसा ही व्यवहार दूसरों से प्राप्त करेंगे। इसलिए दूसरों के प्रति हमेशा सकारात्मक व्यवहार को अपनाएँ। कुंडली में दशम भाव पिता द्वारा प्राप्त शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अतिरिक्त दसवां भाव ईश्वर, अधिकार और सरकार को दर्शाता है। यह भाव जातक को ईश्वर या सरकार द्वारा बनाए नियमों का बोध कराता है। यदि जातक नियम के विरूद्ध कार्य करेंगे तो उन्हें इसका फल भुगतना पड़ता है। इसलिए दशम भाव सर्वोच्च शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह भाव पिता द्वारा प्राप्त धन या शिक्षा, पिता या गुरु की मृत्यु, लंबी यात्रा से लाभ, उच्च शिक्षा से लाभ, ससुराल पक्ष की संवाद शैली, जीवनसाथी की खुशी, भूमि और संपत्ति के अतिरिक्त उन्हें होने वाली पीड़ा, बच्चों के शत्रु, संवाद में आने वाली बाधाएं, धार्मिक कर्मों के लिए उपयोग की जाने वाली धन-संपत्ति, आध्यात्मिक लाभ, आय में कमी या बड़े भाई-बहनों को होने वाली हानि को बताता है।