हम में से बहुत से लोगों ने अपनी कुंडली कभी न कभी किसी न किसी पंडित जी को अवश्य दिखाई होगी और पंडित जी ने कुछ बुद्बुदाते हुए कुछ अपनी उंगली पर गिनते हुए कुछ गणनाएं की होंगी । क्या आपके मन में कभी यह जिज्ञासा नहीं हुई कि आखिर ये क्या कर रहे हैं और कैसे फलकथन करते हैं ? आइए इस बारे में कुछ चर्चा करते हैं पंडित जी को आप जिस भाव से संबंधित समस्या के बारे में पूछते हैं वह उस भाव को और उस भाव के स्वामी को और उन पर पड़ रही दृष्टियों के प्रभाव को देखते हुए ही कुछ कहते हैं जैसे आपने विवाह के बारे में पूछा कि यह विवाह कब होगा तो वह सप्तम भाव सप्तमेष और उसके ऊपर पढ़ रही ग्रहों की दृष्टियां और युति की समीक्षा करके कुछ परिणाम निकालते हैं और यदि कहीं राहु केतु शनि मंगल दृष्टिगत हुए तो तुरंत ही अशुभ फल की घोषणा कर देते हैं या साढ़ेसाती, पितृदोष, मंगल दोष , कालसर्प योग होने की पुष्टि करते हुए उपाय पर पूरा जोर लगा देते हैं आप तो गए थे विवाह कब होगा यह पता करने पर यह तो आपको बताया नहीं कि वह कब होगा एक नई समस्या आपके सामने खड़ी हो गई और जिसके बारे में आपको पहले से कोई पता नहीं था तो विवाह की बात तो आप भूल गए और इस समस्याओं का समाधान करने में ही संलग्न हो गए । अब इनके लिए एक ही चीज की जरूरत होती है और वह होती है पूजा और पूजा तो सिर्फ पंडित जी करवाएंगे तभी तो इनका सारा जोर पूजा पर है । एक बार मैं फ्री एस्ट्रो सेशन कर रहा था ऐसे सेशन में यदाकदा लोगों को गाइड करने के लिए करता रहता हूं तब जोधपुर से एक बड़े नाम वाले पंडित जी ऑनलाइन मुझसे पूछने लगे कि मेरे बेटे की नौकरी कब लगेगी और वह प्राइवेट होगी या सरकारी होगी तो मेरे मन में तो आया कि कह दूं कि आपका तो इतना बड़ा नाम है ज्योतिष के क्षेत्र में आप खुद क्यों नहीं पता करते पर मैं जानता हूं कि वह पारंपरिक ज्योतिष में काम करते हैं और जिस में प्रवीणता हासिल करना हर किसी के बस का नहीं है इसके लिए बहुत मेहनत बेहद और बहुत इच्छा शक्ति चाहिए । कुछ लोग लघुपाराशरी के 40 नियम याद करके ज्योतिष शास्त्री होने का स्वांग करने लगते हैं उन्हें खुद ही पता नहीं होता की घटनाओं का विश्लेषण कैसे करते हैं और किस तरीके से हम कोई नतीजे निकाल सकते हैं किसी की आलोचना करना मेरा मकसद नहीं है मेरा मकसद है कि समाज को यह पता चलना चाहिए कि ज्योतिष आखिर है क्या ? रॉकेट साइंस तो है नहीं जिसका कोई बहुत भारी अध्ययन हो ठीक है ज्योतिष है और उसके सिद्धांत हैं और सिद्धांतों को काटने के सिद्धांत हैं इसलिये कोई निर्णय करना बहुत मुश्किल होता है मैं नाडी़ ज्योतिष पर सबसे ज्यादा जोर देता हूं क्योंकि भविष्य फल कथन की जो तकनीक नाड़ी ज्योतिष में वह बहुत ही आसान है कुंडली पर नजर डालते ही आपको 2 मिनट में पता चल जाएगा कि क्या होना है जैसे विवाह कब होगा यह जानना बहुत ही आसान है सप्तम भाव के कस्पल सब लार्ड को देख लीजिए वह कौन सा ग्रह है और यदि यह ग्रह 2,7,11 इन भावों को सिग्नी फाइ कर रहा है तो विवाह जरूर होगा इसमें कोई शक नहीं है लेकिन अगर जो यह ग्रह 1,6,10 इन भावों को सिग्नीफाई कर रहा है तो कितने ही पूजा पाठ करा लो विवाह नहीं होगा । अब हमें देखना है कि यह है कि विवाह की प्रॉमिस तो मौजूद है पर विवाह होगा कब इसके लिए सबसे पहले चल रही महादशा का विश्लेषण करेंगे अगर यह पॉजिटिव है तो क्या अंतर दशा और प्रत्यंतर दशा भी पॉजिटिव है यदि तीनों ही पॉजिटिव हैं तो विवाह होगा और जो अगर इनमें से कोई नेगेटिव है तो आगे की अंतर या प्रत्यंतर दशा का विश्लेषण करना होगा अब जब एक बार हमने यह जान लिया है कि इस अवधि में विवाह होगा यह अवधि 3 माह से लेकर 3 साल तक की हो सकती अब यह तो बहुत लंबा समय हो गया तो पिन पॉइंट करने के लिए हमें गोचर का सहारा लेना होगा और यह भी बहुत आसान है यह देख लीजिए कि विवाह के पॉजिटिव इंडिकेशन देने वाले कोई तीन ग्रह जब एक साथ एक ही राशि में आ जाएंगे या एक दूसरे को देखने लगेंगे तो विवाह उस अवधि में होगा यदि आपके मन में भी कोई प्रश्न हो तो पूछ सकते हैं